सीबीआइ जांच : राज्यपाल से करेंगी मुलाकात

बर्नपुर: माकपा के पूर्व विधायक दिलीप सरकार की पत्नी शेफाली सरकार ने कहा कि यदि इस हत्याकांड की जांच केंद्रीय एजेंसी सीबीआइ नहीं करती है तो वे राज्य के राज्यपाल एमके नारायणन से मिलकर इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील करेगी. उन्होंने कहा कि फिलहाल वे वामफ्रंट द्वारा 17 जून को बारी मैदान में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:48 PM

बर्नपुर: माकपा के पूर्व विधायक दिलीप सरकार की पत्नी शेफाली सरकार ने कहा कि यदि इस हत्याकांड की जांच केंद्रीय एजेंसी सीबीआइ नहीं करती है तो वे राज्य के राज्यपाल एमके नारायणन से मिलकर इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील करेगी. उन्होंने कहा कि फिलहाल वे वामफ्रंट द्वारा 17 जून को बारी मैदान में आयोजित होने वाली शोक सभा की समाप्ति का इंतजार कर रही है. तबतक पुलिस के पास पर्याप्त समय है कि वह अपनी क्षमता व निष्पक्षता का परिचय देते हुये हत्यारों को गिरफ्तार करें.

उन्होंने गुरुवार को अपने आवास पर कहा कि उन्होंने इस संबंध में पार्टी नेताओं से भी बात करने का निर्णय लिया है. उन्होंने पिछले पांच दिनों में पुलिस की जांच पर कड़ी नाराजगी जतायी. उन्होंने कहा कि हत्यारों के खिलाफ सुराग तलाशने के बजाय पुलिस उनके पति के करीबी लोगों और कर्मियों से ही पूछताछ कर रही है. पूछताछ का भी अंदाजा यह है कि उन्होंने ही हत्या की साजिश की हो या हत्या की हो. पुलिस जांच को पूरी तरह गलत दिशा में ले जा रही है तथा आम जनता को भ्रमित करने के लिए ऐसा कर रही है, इसी कारण से उनका विश्वास स्थानीय पुलिस पर पहले से भी नहीं था. उन्होंने कहा कि पांच दिनों में पुलिस ने वैसा कुछ भी नहीं किया है जिससे उसकी जांच के प्रति विश्वास जम सके.

श्रीमती सरकार ने कहा कि शहर में एक के बाद एक कर तीन माकपा नेताओं व कर्मियों की हत्या की गयी. एक में भी पुलिस जांच की दिशा सही नहीं रही. इसके कारण हत्यारों की गिरफ्तारी और हत्या के कारणों का खुलासा नहीं हो पाया. पूर्व विधायक वामापद मुखर्जी के पुत्र सह माकपा सदस्य अर्पण मुखर्जी की हत्या की तरह ही उनके पति दिलीप सरकार की हत्या अपराधियों ने दिन-दहाड़े मॉर्निग वॉक करते हुए की. दोनों घटनाओं में अपराधी बाइक पर आये और मॉर्निग वॉक करने के दौरान गोली मार कर हत्या की.

दोनों की हत्या का इलाका भी एक ही रहा. दोनों कांड में पुलिस कुछ मिनट में मौके पर पहुंच गयी. दोनों मामलों में पुलिसिया जांच पर उंगली उठायी गयी और सीबीआइ जांच की मांग हुई. स्व. अर्पण मुखर्जी का मामला सीआइडी को सौंपा भी गया, लेकिन रिजल्ट शून्य रहा. न ही अपराधी गिरफ्तार हुए और न हीं हत्या के कारणों का खुलासा हो पाया. उसी तरह उनके पति की हत्या दिन-दहाड़े की गयी.

इस मामले में पुलिस को कुछ गवाह भी मिले. लेकिन जांच की दिशा गलत होने के कारण न अपराधी गिरफ्तार हो पाये, न हीं हत्या के कारण खुलकर सामने आये. केवल एक मंत्री के बयान के आधार पर पुलिस ने मामले को अलग दिशा में जांच शुरू कर दी. उनके पति के चरित्र हनन की कोशिश की गयी. उन्होंने हाई कोर्ट में मानहानी का मामला दायर करने की पूरी तैयारी कर ली है और 17 जून की स्मरण सभा के बाद पहल अपने मुकाम पर पहुंचेगी.

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