छिपाई गई दादा के निधन की ख़बर
आदेश कुमार गुप्त खेल पत्रकार, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए इंचियोन एशियाई खेलों में भारतीय टीम ने हॉकी का स्वर्ण पदक तो जीता था लेकिन कप्तान सरदार सिंह के लिए यह जीत टीस से भरी हुई रही. कम ही लोगों को पता होगा कि इंचियोन के लिए रवाना होने के कुछ ही दिनों बाद सरदार […]
इंचियोन एशियाई खेलों में भारतीय टीम ने हॉकी का स्वर्ण पदक तो जीता था लेकिन कप्तान सरदार सिंह के लिए यह जीत टीस से भरी हुई रही.
कम ही लोगों को पता होगा कि इंचियोन के लिए रवाना होने के कुछ ही दिनों बाद सरदार सिंह के दादाजी का निधन हो गया था लेकिन परिवार ने सरदार सिंह को इसकी जानकारी बिल्कुल नहीं दी थी.
पिछले हफ्ते जब हॉकी टीम का सम्मान किया जा रहा था तो सरदार सिंह के चेहरे पर दादा को खोने का दुख साफ था.
दुखद समाचार
भारतीय हॉकी टीम के कप्तान सरदार सिंह ने बताया कि वह भारत से 12 सितंबर को इंचियोन रवाना हुए और 16 सितंबर को उनके दादाजी का निधन हो गया. इसके बावजूद सरदार सिंह के घर वालों ने उन्हें यह दुखद समाचार नहीं दिया.
चार अक्तूबर को सरदार सिंह स्वर्ण पदक के साथ वापस भारत लौटे. अगली सुबह एक मित्र के घर उन्होंने चाय की चुस्कियों के बीच एक अख़बार पर नज़र डाली जिसमें लिखा था, "सरदार से उनके घरवालों ने ग़म छिपाया."
उसके बाद जब सरदार सिंह को पूरी बात पता चली तो उन्होंने अपने घर फ़ोन किया. अपने दादाजी की मौत का उन्हें गहरा सदमा लगा क्योंकि उनके दादाजी उन्हें अक्सर प्रेरित करते रहते थे.
मनोबल
इससे पहले सरदार सिंह सोच रहे थे कि वह चंडीगढ़ से पटाखे लेकर जाएंगे और दादाजी बहुत खुश होंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. सरदार सिंह ने भरे गले से कहा कि शायद दादाजी होते तो इस ख़ुशी को जी भरकर मनाते.
दरअसल सरदार सिंह के घरवालो ने यह सोचकर सरदार से इतनी बड़ी बात छुपाई कि कहीं इससे उनके मनोबल पर असर ना पड़े.
16 साल बाद मिले एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक की ख़ुशी कहीं ना कहीं टीस में बदल गई सरदार सिंह और उनके परिवार के लिए.
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