इटलीः जरूरी होगा कचरे वाला बायोफ़्यूल

मैट मैक्ग्राथ पर्यावरण संवाददाता, बीबीसी न्यूज़ क्रेस्सेंटिनो प्लांट में एंडवास्ड बायोफ़्यूल का उत्पादन कचरे से किया जा रहा है. दुनिया भर में बायो फ़्यूल या जैव ईंधन को लेकर कई तरह के प्रयोग चल रहे हैं और सीढ़ी दर सीढ़ी इस दिशा में कोशिशें आगे बढ़ रही हैं. बीबीसी को मिली जानकारी के मुताबिक इटली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 20, 2014 12:09 PM
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क्रेस्सेंटिनो प्लांट में एंडवास्ड बायोफ़्यूल का उत्पादन कचरे से किया जा रहा है.

दुनिया भर में बायो फ़्यूल या जैव ईंधन को लेकर कई तरह के प्रयोग चल रहे हैं और सीढ़ी दर सीढ़ी इस दिशा में कोशिशें आगे बढ़ रही हैं.

बीबीसी को मिली जानकारी के मुताबिक इटली यूरोप का पहला ऐसा देश बन गया है जहां कारों और ट्रकों में ‘एडवांस्ड बायो फ़्यूल्स’ के इस्तेमाल को क़ानूनन ज़रूरी कर दिया गया है.

कचरे से बनने वाले इस नए ईंधन के बारे में कहा जा रहा है कि यह ज़मीन के उस रकबे को कम करेगा जिन पर अनाज उपजाना बंद कर दिया गया था.

कूड़ा करकट से ईंधन बनाने वाले दुनिया के पहले कमर्शियल प्लांट की शुरुआत पिछले साल इटली में की गई थी.

साल 2018 से इटली में फ़्यूल सप्लाई करने वालों को पेट्रोल और डीज़ल में एडवांस्ड बायोफ़्यूल की 0.6 फीसदी मात्रा मिलानी अनिवार्य हो जाएगी.

दिशा निर्देश

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धान, भूसी या खेती के अन्य कचरे का इस्तेमाल इस बायोफ़्यूल बनाने में किया जा रहा है.

यूरोप में हाल के सालों में फ़्यूल बनाने में फसलों का इस्तेमाल एक विवादास्पद मुद्दा रहा है.

2009 में दोबारा इस्तेमाल में लाए जा सकने वाले ऊर्जा स्रोतों के इस्तेमाल को लेकर जारी किए गए एक दिशा निर्देश में ट्रांसपोर्ट सेक्टर में इनके दस फीसदी इस्तेमाल की बात कही गई थी.

ज़मीन का इस्तेमाल अनाज उपजाने की बजाय बायोफ़्यूल वाली फसलों के लिए करने पर यूरोप में चिंता के माहौल के यूरोपीय यूनियन ने इस सीमा को कम करके 5.75 फीसदी कर दिया था.

उसी वक्त यूरोपियन पार्लियामेंट ने साल 2020 तक एडवांस्ड बायोफ़्यूल के इस्तेमाल की सीमा ढ़ाई फीसदी करने के लक्ष्य पर वोट दिया था.

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