क्या आप देख पा रहे हैं वह छिपा हुआ सेब
।। दक्षा वैदकर ।।एक सात साल की लड़की को मैथ्स पढ़ा रहे टीचर ने पूछा, ‘अगर मैं तुम्हें एक सेब दूं, फिर एक और सेब दूं, फिर एक और सेब दूं, तो तुम्हारे पास कितने सेब हो जायेंगे?’ लड़की अपनी उंगली पर जोड़ने लगी. ‘चार’, उसने कहा. टीचर निराश हो गये. उन्हें लगा कि शायद […]
।। दक्षा वैदकर ।।
एक सात साल की लड़की को मैथ्स पढ़ा रहे टीचर ने पूछा, ‘अगर मैं तुम्हें एक सेब दूं, फिर एक और सेब दूं, फिर एक और सेब दूं, तो तुम्हारे पास कितने सेब हो जायेंगे?’ लड़की अपनी उंगली पर जोड़ने लगी. ‘चार’, उसने कहा. टीचर निराश हो गये. उन्हें लगा कि शायद बच्ची ने ठीक से सुना नहीं.
उन्होंने पुन: प्रश्न दोहराया- ‘ध्यान से सुनो, अगर मैं तुम्हें एक सेब दूं, फिर एक और सेब दूं, फिर एक और सेब दूं, तो तुम्हारे पास कितने सेब हो जायेंगे?’ लड़की टीचर का चेहरा देख कर समझ चुकी थी कि वे खुश नहीं हैं, वह पुन: अपनी उंगलियों पर जोड़ने लगी और सोचने लगी कि ऐसा क्या उत्तर बताऊं जिससे टीचर खुश हो जाएं. अब उसके दिमाग में ये नहीं था कि उत्तर सही हो, बल्किये था कि टीचर खुश हो जाये. उसने संकोच करते हुए कहा, ‘चार’. टीचर फिर निराश हो गये.
उन्हें याद आया कि लड़की को स्ट्रॉबेरी बहुत पसंद हैं. हो सकता है सेब पसंद न होने के कारण वो अपना फोकस लूज कर रही हो. इस बार उन्होंने बड़े प्यार व जोश के साथ पूछा, ‘अगर मैं तुम्हें एक स्ट्रॉबेरी दूं, फिर एक और स्ट्रॉबेरी दूं, फिर एक और स्ट्रॉबेरी दूं, तो तुम्हारे पास कितनी स्ट्रॉबेरी हो जायेगी?’ टीचर को खुश देख कर, लड़की भी खुश हो गयी और अपने उंगलियों पर जोड़ने लगी.
अब उसके ऊपर कोई दबाव नहीं था बल्किटीचर को ही चिंता थी कि उसका नया तरीका काम करेगा या नहीं. उत्तर देते समय लड़की फिर थोड़ा झिझकी और बोली, ‘तीन’. टीचर खुश हो गये. उनका तरीका काम कर गया था. उन्हें लगा कि अब लड़की समझ चुकी है और अब वो इस तरह के किसी भी प्रश्न का उत्तर दे सकती है. ‘अच्छा बेटा तो बताओ, अगर मैं तुम्हें एक सेब दूं, फिर एक और सेब दूं, फिर एक और सेब दूं, तो तुम्हारे पास कितने सेब हो जायेंगे?’ पिछला जवाब सही होने से लड़की का आत्मविश्वास बढ़ चुका था, उसने बिना समय गंवाये उत्तर दिया, ‘चार.’
टीचर क्रोधित हो उठा, ‘तुम्हारे पास दिमाग नहीं है क्या, जरा मुझे भी समझाओ कि चार सेब कैसे हो जायेंगे.’ लड़की डर गयी और टूटते हुए शब्दों में बोली, ‘क्योंकि मेरे बैग में पहले से ही एक सेब है.’
– बात पते की
* ऐसा होता है कि सामनेवाले का जवाब हमारे अनुकूल नहीं होता. ऐसे में हमें संतुलन न खोते हुए, उसके जवाब के पीछे छिपी वजह जाननी चाहिए.
* भिन्न माहौल में पले-बड़े होने के कारण लोगों की सोच अलग-अलग होती है. कहीं ऐसा तो नहीं कि आप भी छिपे हुए सेब को नहीं देख पा रहे.