।। दक्षा वैदकर ।।
जवाहर लाल नेहरू की पुस्तक ‘पिता के पत्र’ के अध्याय ‘जानवर कब पैदा हुए’ में एक पैराग्राफ है. इसका सार कुछ ऐसा है कि ‘जानवर धीरे-धीरे अपने को आसपास की चीजों के अनुकूल बना लेते हैं. जाड़ों में और ठंडे देशों में जहां खूब बर्फ गिरती है, चिड़िया और जानवर बर्फ की तरह सफेद हो जाते हैं. गरम देशों में जहां हरियाली और दरख्त बहुत होते हैं, वे हरे या किसी दूसरे चमकदार रंग के हो जाते हैं. इसका यह मतलब है कि वे अपने को उसी तरह का बना लेते हैं, जैसे उनके आसपास की चीजें हों.
उनका रंग इसलिए बदल जाता है कि वे अपने को दुश्मनों से बचा सकें, क्योंकि अगर उनका रंग आसपास की चीजों से मिल जाये, तो वे आसानी से दिखायी न देंगे, इसलिए चीते का रंग पीला और धारीदार होता है, उस धूप की तरह, जो दरख्तों से होकर जंगल में आती है. चीता घने जंगल में मुश्किल से दिखायी देता है. इस अजीब बात को जानना बेहद जरूर है कि जानवर अपने रंग-ढंग को आसपास की चीजों से मिला देते हैं. यह बात नहीं है कि जानवर अपने को बदलने की कोशिश करते हों, लेकिन जो अपने को बदल कर आसपास की चीजों से मिला देते हैं, उनके लिए जिंदा रहना ज्यादा आसान हो जाता है.
नेहरू जी ने आसान शब्दों में कितनी बड़ी सीख दे दी. यह बात हम इनसानों पर भी लागू होती है. आज लाखों, करोड़ों लोग हैं, जो अपना शहर, प्रदेश, देश छोड़ कर दूसरे शहर, प्रदेश व देश में रह रहे हैं. इनमें कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो खुद को उस नयी जगह व माहौल के अनुसार ढाल लेते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो बदलना नहीं चाहते.
यहां बदलने से अर्थ अपनी पहचान खो देना कतई नहीं है, यहां बदलने से अर्थ है खुद को उन लोगों के मुताबिक ढालना, जिनके बीच आपको रहना है, काम करना है. अगर आप किसी दूसरे प्रदेश के हैं और आपकी भाषा बिल्कुल अलग है, तो आपको एडजस्ट करने में ज्यादा मेहनत करनी होगी. आप अपनी मातृभाषा न भूलें, लेकिन जिस जगह पर रहते हैं, वहां की भाषा, रहन-सहन सीखने का प्रयास करें. यदि आप ऐसा नहीं करेंगे, तो कुछ बुरा तो नहीं होगा, लेकिन अगर आप ऐसा करेंगे, तो आपके लिए जीवन आसान जरूर हो जायेगा.
– बात पते की
* यदि आप दूसरे शहर में काम कर रहे हैं, तो लोगों से उन्हीं की भाषा में बात करने का प्रयास करें, ताकि वे आपको अपने बीच का ही समझें.
* खुद को सामनेवाले के रंग में रंग दें. जितना आप एक-दूसरे की पसंद को अपनायेंगे, दोस्त बनायेंगे आपके कार्यस्थल में उतने ही दोस्त बनते जायेंगे.