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ऑडी की ‘पायलेटेड ड्राईविंग’ कार और रफ़्तार

लियो केलियन टेक्नॉलोजी डेस्क एडिटर लग्ज़री कार बनाने वाली कंपनी ऑडी ने अपनी ‘सेल्फ़-ड्राइविंग’ यानि ख़ुद से चलने वाली कार के रफ़्तार में रिकॉर्ड बनाने का दावा पेश किया है. जर्मन कार कंपनी का कहना है कि उसका आरएस7 मॉडल दक्षिणी फ्रैंकफर्ट के हॉकेनहेम रेसिंग सर्किट पर 240किमी/घंटे की रफ़्तार से भीड़ रहित ट्रैक पर […]

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लग्ज़री कार बनाने वाली कंपनी ऑडी ने अपनी ‘सेल्फ़-ड्राइविंग’ यानि ख़ुद से चलने वाली कार के रफ़्तार में रिकॉर्ड बनाने का दावा पेश किया है.

जर्मन कार कंपनी का कहना है कि उसका आरएस7 मॉडल दक्षिणी फ्रैंकफर्ट के हॉकेनहेम रेसिंग सर्किट पर 240किमी/घंटे की रफ़्तार से भीड़ रहित ट्रैक पर दौड़ने में सबसे आगे रहा.

आरएस7 को ग्रैंड प्रिक्स ट्रैक का राउंड लगाने में केवल दो मिनट लगे.

सड़क पर चलने वाली गाड़ियां ‘पायलेटेड ड्राइविंग’ की मदद ले सकती हैं, कंपनी की ओर से रविवार को किए गए आरएस7 के प्रदर्शन का यही मूल मक़सद रहा.

वोल्क्स वैगन के एक डिवीज़न ऑडी ने जब स्टियरिंग व्हील के पीछे ड्राईवर बिठा कर राउंड लगवाई तो इसमें अपेक्षाकृत पांच सेकेंड ज़्यादा लगे.

ट्रैफ़िक जाम

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ऑडी की रिसर्च टीम के एक सदस्य का कहना है कि इस नए प्रयोग का इस्तेमाल जल्द ही संभव होगा.

डॉ होर्स्ट ग्लेसर कहते हैं, "दुर्घटनामुक्त ड्राइविंग एक सपना है. लेकिन कम से कम हम भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या तो घटा ही सकते हैं."

"ट्रैफिक जाम जैसी स्थितियों से निकलने में ‘पायलेटेड ड्राइविंग’ काफी काम का साबित होगा. जाम के समय जब भी ड्राइवर का ध्यान कहीं और होगा कार ख़ुद ही स्थितियों को क़ाबू में कर लेगी."

ग्लेसर ने बताया, "इसके अलावा ड्राइवर को दो पल आराम का मौक़ा भी मिल जाता है."

दुर्घटना की ज़िम्मेदारी किसकी?

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अमरीका और यूरोप में 15 साल के शोध के बाद कंपनी को ये कामयाबी मिली है.

आरएस7 में कैमरा, लेज़र स्कैनर, जीपीएस लोकेशन डाटा, रेडियो ट्रांसमिशन, रडार सेंसर और कंप्यूटर आदि उपकरण लगे हैं. ये उपकरण इसे ट्रैक पर अपना कमाल दिखाने के लायक़ बनाते हैं.

अमरीका और यूरोप में कंपनी ने 15 साल के शोध के बाद ये कामयाबी पाई है. लेकिन विशेषज्ञों ने इससे जुड़ी कुछ आशंकाएं भी व्यक्त कीं.

अस्टन बिज़नेस स्कूल के प्रोफ़ेसर डेविड बेली कहते हैं, "एक दशक के भीतर ड्राईवरमुक्त कार हमारे सामने होगी. लेकिन अभी इस दिशा में बहुत काम करना है."

वे कहते हैं, "इस तरह की कारों के साथ एक बड़ी दिक़्क़त ये है कि यदि कोई दुर्घटना हो जाती है तो क्या होगा?"

"तब कौन ज़िम्मेदार होगी? क्या वह ड्राईवर, भले वो कार नहीं चला रहा हो? या कार कंपनी? या सॉफ़्टवेयर कंपनी? कई क़ानूनी पेचीदगियां भी आड़े आएंगी."

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