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जानिए, अबतक कैसा रहा है झारखंड विधानसभा का स्वरूप

रांची : चुनाव आयोग ने आज शाम चार बजे दिल्ली में प्रेस कान्फ्रेंस बुलाई है. संभावना जतायी जा रही है इसमें झारखंड व जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान होगा. झारखंड के लिए यह ऐतिहासिक मौका होगा. इसके माध्यम से झारखंड वासियों को तय करना होगा कि उन्हें कैसी विधानसभा चाहिए. झारखंड की […]

रांची : चुनाव आयोग ने आज शाम चार बजे दिल्ली में प्रेस कान्फ्रेंस बुलाई है. संभावना जतायी जा रही है इसमें झारखंड व जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान होगा. झारखंड के लिए यह ऐतिहासिक मौका होगा. इसके माध्यम से झारखंड वासियों को तय करना होगा कि उन्हें कैसी विधानसभा चाहिए. झारखंड की पूर्वकीविधानसभाओं की तसवीर बहुत अच्छी नहीं रही है. झारखंड गठन के बाद पहली विधानसभा 2000 में झारखंड को बिहार से विरासत में मिली. दूसरी विधानसभा के लिए 2005 में चुनाव हुए. तीसरी विधानसभा के लिए 2009 में चुनाव हुए.
इस बार झारखंड में चौथी विधानसभा के लिए चुनाव होगा, पर यह राज्य में होने वाला तीसरा विधानसभा चुनाव होगा. अब तक झारखंड की सभी विधानसभा खंडित रही है. राज्य में गंभीर आपराधिक रिकार्ड वाले उम्मीदवार पूर्व की विधानसभाओं में चुन कर पहुंचते रहे हैं. एक प्रमुख अंगरेजी पत्रिका मेंपिछले साल प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड की मौजूदा विधानसभा में आपराधिक रिकार्ड वाले सर्वाधिक विधायक हैं. झारखंड में यह प्रतिशत देश के किसी भी राज्य से अधिक है. ऐसे में राज्य वासियों को अब तय करना है कि उनकी चौथी विधानसभा कैसी होगी.
2009 की विधानसभा का कैसा था स्वरूप
चुनावी राजनीति पर नजर रखने वाली संस्था नेशनल इलेक्शन वॉच ने 2009 में चुनी गयी विधानसभा यानी वर्तमान विधानसभा में चयनित कुल 81 विधायकों में 77 विजयी उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि का अध्ययन किया. इसमें 56 जनप्रतिनिधि पर आपराधिक मामले दर्ज थे. यह प्रतिशत 73 होता है. यानी राज्य के निवर्तमान विधायकों में 73 प्रतिशत के खिलाफ मामला दर्जथा. 35 उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे. यह प्रतिशत 45 है. राज्य में 21 करोड़पति उम्मीदवार विधायक चुने गये. 38 विधायक स्नातक हैं. मात्र 16 विधायकों ने अपने पैन नंबर की घोषणा की थी और आठ महिला उम्मीदवार विधायक चुनी गयी थीं. एक विधायक पर सर्वाधिक नौ मामले दर्ज थे. जबकि चार या पांच की संख्या में बहुत सारे विधायकों पर मुकदमा दर्ज था.
नेशनल इलेक्शन वॉच ने उस समय चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों का भी विेषण किया था. कुल 14 उम्मीदवारों का विेषण किया गया था, जिसमें 380 यानी 27 प्रतिशत के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे. 250 यानी 18 प्रतिशत के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे. चुनाव लड़ने वाले 81 यानी छह प्रतिशत उम्मीदवार करोड़पति थे. 514 यानी मात्र 37 प्रतिशत उम्मीदवार स्नातक थे. 922 यानी 66 उम्मीदवारों ने अपना पैन नंबर घोषित नहीं किया था. चुनाव में मात्र 87 यानी छह प्रतिशत महिला उम्मीदवार शामिल हुई थी.
2005 की विधानसभा का स्वरूप
2005 में हुए विधानसभा चुनावमें चुने गये 81 विधायकों में 72 की पृष्ठभूमि का नेशनल इलेक्शन वॉच नेअध्ययन किया. इसमें 31 विधायकों यानी 43 प्रतिशत पर आपराधिक मामले दर्ज थे. 18 विधायकों यानी 25 प्रतिशत पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे. दो करोड़पति विधायक चुने गये. यह प्रतिशत तीन है. 35 विधायक यानी 49 प्रतिशत करोड़पति थे. चुने गये 27 विधायकों ने पेन नंबर नहीं जमा किया था, यह प्रतिशत 38 प्रतिशत है. 2005 की विधानसभा में पांच महिलाएं (7}) चुनी गयीं. उस समय इलेक्शन वॉच ने कुल 148 चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों काअध्ययनकिया. इसमें 61 यानी 41 प्रतिशत पर आपराधिक मामले दर्ज थे, 33 यानी 22 प्रतिशत पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे. नौ यानी छह प्रतिशत करोड़पति उम्मीदवार थे. 71 यानी 48 उम्मीदवार स्नातक थे. 67 यानी 45 प्रतिशत उम्मीदवारों ने पैन नंबर जमा नहीं किया था.

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