अनुज कुमार सिन्हा (वरिष्ठ संपादक, झारखंड)
झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी गयी है. आप (मतदाताओं) का भाव अब बढ़ेगा. अब आपकी इज्जत बढ़ेगी. जिन नेताओं के द्वार पर आप अपने काम के लिए गिड़गिड़ाते थे, अब वे वोट के लिए आपके द्वार पर गिड़गिड़ायेंगे. आपकी इज्जत करेंगे. एक से एक तर्क देंगे. आपकी हर बात को मानेंगे. जो शर्त रखें, इनकार नहीं करेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि वे जानते हैं कि आप ही उन्हें गद्दी से उतार सकते हैं या गद्दी पर बैठा सकते हैं. यही लोकतंत्र की ताकत है. लेकिन ध्यान रखिए. यह गिड़गिड़ाहट सिर्फ चुनाव के दिन (रिजल्ट तक भी नहीं) तक ही रहेगा. उसके बाद ये नेता आपसे चुन-चुन कर बदला निकालेंगे. आप इन नेताओं के झांसे में न आयें. ध्यान से खोजिए कि 14 साल में किसने क्या दिया है. क्या काम किया है, किसका आचरण क्या रहा है. ऐसी बात नहीं है कि सभी नेता लोगों को बेवकूफ बनानेवाले ही हैं. अच्छे विधायक-नेता भी रहे हैं, लेकिन वे कुछ कर नहीं पाये. लाचारी बताते रहे. हां, कुछ नेताओं ने अच्छा काम किया है. बेशक, आप उन्हें हर हाल में विधानसभा में भेजे. लेकिन आप इन सभी नेताओं का हिसाब किताब लीजिए. परखिए कि 14 साल पहले ये नेता और आप कहां खड़ा थे? आज ये नेता कहां पहुंच गये हैं और जहां थे, वहीं रह गये. सवाल कीजिए कि झारखंड में बहाली क्यों नहीं हुई. पढ़ाई पूरी कर, डिप्लोमा-डिग्री लेने के बाद अब 10-12 साल से घुम रहे हैं. नौकरी नहीं मिली. अब तो उम्र ही नौकरी की नहीं रही. कौन है आपकी जिंदगी से खेलनेवाला? क्या यही देखने के लिए झारखंड बना था. किसी एक सरकार की नहीं, सभी सरकारों का यही हाल रहा है. राज्य के हालात को देखिए. गंभीर बीमारी हो गयी तो मरने के अलावा कोई और उपाय नहीं है. मुंबई, दिल्ली या दक्षिण के राज्यों में जाना पड़ेगा. चाहते थे तो झारखंड में एम्स बन सकता था लेकिन नहीं बना. जमीन तलाशते रह गये. अच्छे इंजीनियरिंग कालेज नहीं खुले. सच यह है कि अधिकांश नेता अपने लिए, परिवार और सात पुश्त के लिए पैसा जमा करते रहे. जनता की चिंता किसी को भी नहीं रही. गरीबी देखनी है तो जाइये सारंडा के अंदर के गांवों में, पूर्वी सिंहभूम के अंदर के (डुमरिया) के गांवों में, बंगाल से सटे इलाकों में, पलामू के इलाकों में.
अब चुनाव में एक से एक नेता आपके पास आयेंगे. भ्रष्ट नेता आयेंगे. इनमें से कई तो करोड़ों के मालिक हैं. ऐसा नहीं है कि यह पैसा उनका खानदानी पैसा है. बड़ा हिस्सा आपके हिस्से का है, राज्य का पैसा है जिसे इन नेताओं ने लूट लिया है. आपको इन्हें पहचानना है. इनके असली चेहरे को पहचानिये. देखिए कि इनमें से कौन आपके सुख-दुख का साथी है. कौन इनमें से सबसे कम बेईमान है, उसे सहयोग कीजिए. अगर आप आदर्श नेता इवीएम में खोजेंगे तो नहीं मिलेगा. ऐसे में कितने लोग नोटा का बटन दबाएंगे. इसी में बेहतर नेता को चुनिए. इस उम्मीद के साथ कि यह राज्य और आपके भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं करेंगे. आप इतना ही कर सकते हैं.