अब छोटे गांव हैं बड़ा बाजार

खपरैल व को-पक्के मकान वाले गांव आज ब.डे बाजार बन गये हैं. तमाम देसी-विदेशी कंपनियां अब अपने उत्पादों की बिक्री व नये ग्राहकों की तलाश में गांव की ओर रुख कर रही हैं. एक अध्ययन के अनुसार, वर्तमान में देश की दो तिहाई कंपनियां गांव में अपने व्यापार को विस्तार देने की कोशिश में जुटी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:49 PM

खपरैल व को-पक्के मकान वाले गांव आज ब.डे बाजार बन गये हैं. तमाम देसी-विदेशी कंपनियां अब अपने उत्पादों की बिक्री व नये ग्राहकों की तलाश में गांव की ओर रुख कर रही हैं.

एक अध्ययन के अनुसार, वर्तमान में देश की दो तिहाई कंपनियां गांव में अपने व्यापार को विस्तार देने की कोशिश में जुटी हैं. इनमें छोटे घरेलू उत्पाद बनाने वाली कंपनियों से लेकर दोपहिया व चार पहिया वाहन बनाने वाली कंपनियां तक शामिल हैं. बड़ी कंपनियां एक ओर जहां गांव में अपने उत्पादों के लिए बाजार तैयार कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर वे गांव को उनके उत्पादों के लिए बाजार भी उपलब्ध करा रही हैं. जैसे रिलायंस अपने स्टोर के लिए गांव से हर वो चीज खरीदती है, जो जहां उसे सस्ते में मिल जाये. रिलायंस कंपनी रांची व इसके आसपास के जिलों के दर्जनों गांव से सब्जियां व फलों का संग्रह करती है और न सिर्फ झारखंड के अपने स्टोरों में बेचती है, बल्कि पड़ोसी राज्यों के स्टोर में भी आपूर्ति करती है.

राहुल सिंह की पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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