बीजिंग : दुनिया में हर साल सबसे ज्यादा मौत की सजाएं देने के लिए मानवाधिकार समूहों की आलोचना का शिकार बनने वाला चीन अब नौ अपराधों के लिए मौत की सजा को हटाने पर विचार कर रहा है. इन अपराधों में हथियारों एवं परमाणु सामग्री की तस्करी भी शामिल है.
सरकारी समाचार एजंेसी शिन्हुआ की खबर के अनुसार, आपराधिक कानून में संशोधन का मसौदा चीनी संसद, नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति को आज सौंपा गया ताकि सत्र के दौरान इसपर पहली चर्चा हो सके.
जिन नौ अपराधों के लिए मौत की सजा हटाए जाने का प्रस्ताव है, वे अपराध हैं- हथियारों, युद्ध सामग्री, परमाणु सामग्री या नकली मुद्रा की तस्करी, नकली मुद्रा बनाना, धोखाधडी से धन जुटाना, किसी व्यक्ति को वेश्यावृत्ति में जबरन डालना या किसी व्यक्ति के लिए इसका प्रबंध करना, किसी कमांडर या व्यक्ति को उसके कर्तव्य निवर्हन से रोकना और युद्धकाल में दूसरों को बहकाने के लिए अफवाहें उडाना. यह कदम अमेरिका के मानवाधिकार समूह दुई हुआ की उस रिपोर्ट के बाद उठाया जा रहा है, जिसमें कहा गया था कि पिछले साल चीन में लगभग 2400 लोगों को मौत की सजा दी गई.
फाउंडेशन ने कहा था कि यह संख्या वर्ष 2012 की संख्या से 20 प्रतिशत कम थी जबकि वर्ष 2002 में दी गई मौत की सजाओं की संख्या (12000) का यह एक अंश मात्र थी.
चीन कभी भी वार्षिक तौर पर उन नागरिकों की संख्या जारी नहीं करता, जिन्हें उस साल मौत की सजा दी गई होती है. पर्यवेक्षकों का कहना है कि मौत की सजाओं में कमी आ रही है क्योंकि मौत की सजाओं के सभी फैसलों को अब सुप्रीम पीपुल्स कोर्ट (उच्चतम न्यायालय) में समीक्षा के लिए जाना पडता हैं चीन ने इससे पहले आर्थिक अपराधों को बाहर रखा था.
दुई हुआ ने कहा कि शिंजियांग में आतंकवाद-रोधी अभियानों में और देशभर में भ्रष्टाचार-रोधी अभियानों में मौत की सजा दिए जाने के कारण वर्ष 2014 में आंकडों में कुछ ज्यादा कमी आने की संभावना नहीं है.