बेरोजगारी व नक्सल से त्रस्त हैं लोग, नहीं लग पाया कोई उद्योग
रांची/ लोहरदगा: अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र किसी जमाने में कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. कांग्रेस यहां से आठ बार जीती है. भाजपा के सधनू भगत दो बार जीत चुके हैं. वर्ष 2009 के चुनाव में आजसू पार्टी के कमल किशोर भगत ने भाजपा एवं कांग्रेस के गढ़ में आजसू का […]
रांची/ लोहरदगा: अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र किसी जमाने में कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. कांग्रेस यहां से आठ बार जीती है. भाजपा के सधनू भगत दो बार जीत चुके हैं.
वर्ष 2009 के चुनाव में आजसू पार्टी के कमल किशोर भगत ने भाजपा एवं कांग्रेस के गढ़ में आजसू का झंडा फहरा दिया. इस सीट पर कांग्रेस लगातार सात बार जीत चुकी है. कांग्रेस के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत भी इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.
झारखंड राज्य के निर्माण में लोहरदगा की महत्वपूर्ण भूमिका थी. लोगों क उम्मीद थी कि अलग राज्य निर्माण के बाद यहां के लोगों की तकदीर बदलेगी और क्षेत्र का विकास होगा. लेकिन जनता की उम्मीदें पूरी नहीं हो सकी. लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र में आज भी समस्याओं की लंबी सूची है. यहां बेरोजगारों की फौज है.
बॉक्साइट के भंडार के बावजूद यहां एक भी उद्योग नहीं हैं. सिंचाई की सुविधा नहीं है. बिहार सरकार के कार्यकाल में बनाये गये नंदनी डैम के नहर ध्वस्त हो चुके हैं. हर चुनाव में राजनीतिक दलों का यह मुद्दा होता है. जिले में आइटीआइ भवन का निर्माण 1.50 करोड़ की लागत से तीन साल पहले हुआ. लेकिन, यहां पढ़ाई नहीं शुरू हो सकी. जिले में बाइपास सड़क नहीं है. पेशरार प्रखंड तो बन गया, लेकिन वहां न तो प्रखंड कार्यालय बना और न ही वहां का विकास हुआ. यह इलाका अभी भी क्षेत्र के दुर्गम इलाके रूप में जाना जाता है. क्षेत्र में बिजली, सड़क, पेयजल की समस्या पहले जैसी ही है.