अधर में हेमंत सरकार

यूपीए में टूट के बाद राजद-कांग्रेस बढ़ा सकते हैं झामुमो की परेशानी रांची : हेमंत सोरेन की सरकार का भविष्य अब कांग्रेस और राजद के रुख पर निर्भर कर रहा है. गंठबंधन समाप्त होने के एलान के बाद यह बात भी उठने लगी है कि कांग्रेस और राजद सरकार से समर्थन वापस ले लेंगे. हालांकि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 1, 2014 5:53 AM
यूपीए में टूट के बाद राजद-कांग्रेस बढ़ा सकते हैं झामुमो की परेशानी
रांची : हेमंत सोरेन की सरकार का भविष्य अब कांग्रेस और राजद के रुख पर निर्भर कर रहा है. गंठबंधन समाप्त होने के एलान के बाद यह बात भी उठने लगी है कि कांग्रेस और राजद सरकार से समर्थन वापस ले लेंगे.
हालांकि अभी तक कांग्रेस ने सिर्फ गंठबंधन टूटने का एलान किया है. समर्थन वापसी के मुद्दे पर अभी पार्टी का स्टैंड साफ नहीं है. राजद भी अभी इस मुद्दे पर कुछ भी साफ नहीं कर रहा है. राजद चुनाव की तैयारी कर रहा है. सरकार में राजद, कांग्रेस और जदयू भी शामिल है. कांग्रेस के चार मंत्री सरकार में हैं, जबकि राजद के दो मंत्री सरकार में हैं. झामुमो के सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन स्वयं से कोई कदम नहीं उठायेंगे.
कांग्रेस गंठबंधन तोड़ी तो अब कांग्रेस को ही निर्णय करना है कि सरकार को समर्थन जारी रखा जाये या नहीं. इसके बाद ही झामुमो कोई कदम उठायेगा.
गौरतलब है हेमंत सोरेन की गंठबंधन सरकार का कार्यकाल तीन जनवरी 2015 को पूरा हो रहा है. इसके पूर्व ही चुनाव की प्रक्रिया आरंभ हो गयी है. राज्य में आदर्श अचार संहिता लागू है. मंत्रियों ने भी लगभग कार्यालय जाना छोड़ दिया है. चुनाव की पूरी प्रक्रिया 23 दिसंबर 2014 को पूरा होगी. इसी दिन मतगणना है.
इसके बाद ही नयी सरकार की स्थिति स्पष्ट हो सकेगी. तब तक अभी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार है. कहा जा रहा है कि यदि कांग्रेस और राजद समर्थन वापसी का एलान कर देता है तो सरकार अल्पमत में आ जायेगी. तब हेमंत सोरेन को इस्तीफा देना पड़ सकता है. ऐसी स्थिति में राज्यपाल के विवेक पर निर्भर करेगा कि वह हेमंत सोरेन को बतौर कार्यवाहक मुख्यमंत्री काम करने के लिए कहते हैं या राज्य में राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा करते हैं. महाराष्ट्र में भी एनसीपी और कांग्रेस में गंठबंधन न होने की स्थिति में एनसीपी ने समर्थन वापस ले लिया था.
कांग्रेस के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान को इस्तीफा देना पड़ा था. तब चुनाव के ठीक पहले राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा और राष्ट्रपति शासन में ही चुनाव कार्य संपन्न हुआ. जानकार बताते हैं कि महाराष्ट्र वाली स्थिति भी झारखंड में बन गयी है. हालांकि अभी कांग्रेस और राजद के तरफ स्टैंड साफ नहीं किया गया है.
कांग्रेस के अंदर समर्थन वापसी का दबाव
कांग्रेस के कुछ नेता गंठबंधन टूटने के बाद समर्थन वापसी का भी दबाव बना रहे हैं. वहीं केंद्रीय नेतृत्व ने सरकार के समर्थन में अब तक फैसला नहीं लिया है. कांग्रेस के एक खेमा की दलील है कि समर्थन वापस लेकर कोई लाभ नहीं है. प्रदेश नेतृत्व भी सरकार से समर्थन वापसी के पक्ष में नहीं है. समर्थन वापस ले कर झामुमो को सहानुभूति बटोरने देने के पक्ष में नहीं है.
गंठबंधन नहीं, तो सरकार क्यों चले : फुरकान
पूर्व सांसद फुरकान अंसारी ने कहा है कि जब गंठबंधन ही नहीं रहा, तो सरकार क्यों चलायें. सरकार से तत्काल समर्थन वापस लेना चाहिए. इस सरकार को चला कर कोई फायदा नहीं है. सरकार से कांग्रेस को नुकसान हुआ है. गंठबंधन ही नहीं है, तो सरकार में साथ चलना ठीक नहीं है. फुरकान अंसारी ने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व इसको लेकर जल्द ही फैसला लेगा.
जनता के निर्णय का इंतजार
बिहार विधान परिषद के सदस्य और लालू प्रसाद के विशेष प्रतिनिधि बन रांची आये भोला यादव ने कहा कि अब समर्थन वापस लेने या देने का समय चला गया है. चुनाव की घोषणा हो गयी है. पार्टी के तमाम नेता चुनाव कार्य में व्यस्त हो गये हैं. राज्य में आचार संहिता लागू है. ऐसी स्थिति में कोई कैसे समर्थन वापस ले सकता है. 23 दिसंबर को चुनाव की सारी प्रक्रिया समाप्त हो रही है. पार्टी जनता के निर्णय तक इंतजार करेगी.
कांग्रेस के अंदर समर्थन वापसी का दबाव
कांग्रेस के कुछ नेता गंठबंधन टूटने के बाद समर्थन वापसी का भी दबाव बना रहे हैं. वहीं केंद्रीय नेतृत्व ने सरकार के समर्थन में अब तक फैसला नहीं लिया है. कांग्रेस के एक खेमा की दलील है कि समर्थन वापस लेकर कोई लाभ नहीं है. प्रदेश नेतृत्व भी सरकार से समर्थन वापसी के पक्ष में नहीं है. समर्थन वापस ले कर झामुमो को सहानुभूति बटोरने देने के पक्ष में नहीं है.
गंठबंधन नहीं, तो सरकार क्यों चले : फुरकान
पूर्व सांसद फुरकान अंसारी ने कहा है कि जब गंठबंधन ही नहीं रहा, तो सरकार क्यों चलायें. सरकार से तत्काल समर्थन वापस लेना चाहिए. इस सरकार को चला कर कोई फायदा नहीं है. सरकार से कांग्रेस को नुकसान हुआ है. गंठबंधन ही नहीं है, तो सरकार में साथ चलना ठीक नहीं है. फुरकान अंसारी ने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व इसको लेकर जल्द ही फैसला लेगा.

Next Article

Exit mobile version