15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

14 साल में एक कदम नहीं चल पाया आवास बोर्ड

मनोज सिंहरांची : झारखंड राज्य आवास बोर्ड 14 साल में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सका. एक भी नयी परियोजना शुरू नहीं हो सकी. भूखंड आवंटन का एक असफल प्रयास किया गया. इस दौरान विवादों से अच्छा-खासा नाता रहा. बोर्ड की जमीन और फ्लैट पर अतिक्रमण और कब्जा आज भी है. कई एमडी और […]

मनोज सिंह

रांची : झारखंड राज्य आवास बोर्ड 14 साल में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सका. एक भी नयी परियोजना शुरू नहीं हो सकी. भूखंड आवंटन का एक असफल प्रयास किया गया.

इस दौरान विवादों से अच्छा-खासा नाता रहा. बोर्ड की जमीन और फ्लैट पर अतिक्रमण और कब्जा आज भी है. कई एमडी और अध्यक्ष आये, लेकिन इसे हटवा नहीं सके. आवास बोर्ड के हरमू आवासीय परिसर में नियम का उल्लंघन कर कई कंपनियों को भूखंड आवंटित किया गया. इससे संबंधित कईमामले आज भी न्यायालय में चल रहे हैं. यह स्थिति केवल रांची की नहीं है. धनबाद, हजारीबाग, बोकारो और जमशेदपुर में स्थित आवास बोर्ड के भूखंड का यही हाल है.

नहीं हुआ एक इंच अधिग्रहण, बिहार के समय की संपत्ति बेची

राज्य गठन के बाद आवास बोर्ड एक इंच जमीन का अधिग्रहण नहीं कर पाया है. खूंटी और रांची में अधिग्रहण का प्रयास चल रहा है. दुमका में भी एक क्षेत्रीय कार्यालय खोलने की पहल हुई थी. इस पर भी कोई काम नहीं हो पाया. आवास बोर्ड ने बिहार के समय अधिग्रहित जमीन को दो बार आवंटित करने का प्रयास किया. 2010 में एक बार सही तरीके आवंटन किया. तत्कालीन आवास बोर्ड के एमडी विनय कुमार चौबे के कार्यकाल में 2011 में आवंटन का दूसरी बार प्रयास किया गया. इसमें केवल रांची में ही 500 आवासीय भूखंड थे. यह विवादों में घिर गया. आयुक्त रांची की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी ने इसका जांच की. जांच रिपोर्ट में आवंटन प्रक्रिया को सही ठहराया गया था. लेकिन, मामला अब तक लटका हुआ है.

चार सालों में 156 एकड़ जमीन में आवासीय परिसर विकसित किया छत्तीसगढ़ ने

छत्तीसगढ़ में आवास बोर्ड ने चार साल में 156 एकड़ आवासीय परिसर विकसित किया है. इसमें 1832 फ्लैट बनाये गये हैं. 833 स्वतंत्र बंगला भी बनाये गये हैं. इसका शिलान्यास चार जनवरी 2009 को हुआ था. अप्रैल 2013 में इसका उदघाटन किया गया था. इसमें कई व्यावसायिक परिसर भी बनाये गये हैं. इसमें से 20 फीसदी दुकान प्रोजेक्ट प्रभावित लोगों के लिए आरक्षित रखी गयी है. छत्तीसगढ़ आवासीय परिसर की कीमत भी सामान्य से बहुत कम कीमत पर लोगों के लिए उपलब्ध है. इसमें से 332 फ्लैट सरकारी कर्मियों को आवंटित किये गये हैं.

छत्तीसगढ़ नहीं जा सकी आवास बोर्ड की टीम

झारखंड आवास बोर्ड की उच्च स्तरीय टीम को आवासीय नियमावली का अध्ययन करने के लिए छत्तीसगढ़ जाना था. छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कराये गये कार्यो की जानकारी लेनी थी. एक पूर्व वरीय अधिकारी ने बताया कि कई बार छत्तीसगढ़ जाने की योजना बनी, लेकिन कुछ ना कुछ कारण से वहां नहीं जा सके.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें