केरल पुलिस ने हिरासत में लिए ‘किस ऑफ़ लव’ प्रदर्शन के आयोजकों को रिहा कर दिया है.
इस संबंध में केरल पुलिस ने तीन अलग-अलग मामले भी दर्ज किए हैं जिनमें एक में 33 और अन्य में 19 लोगों को नामजद किया है.
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ तो कार्रवाई की लेकिन प्रदर्शनों का विरोध कर रहे कट्टरपंथी संगठनों पर कोई कार्रवाई नहीं की.
रिहा हुए एक प्रदर्शनकारी अनु आनंद ने बीबीसी से कहा, "पुलिस की कार्रवाई से केरल में मॉरल पुलिसिंग की भयावह हक़ीक़त और खुलकर सामने आ गई है."
पुलिस आयुक्त के मुताबिक़ इन आयोजकों ने प्रदर्शन के लिए अनुमति नहीं ली थी.
एक आयोजक ने बीबीसी को कोच्चि के मरीन ड्राइव इलाक़े से फ़ोन पर बताया कि प्रदर्शन के लिए काफ़ी लोग इकट्ठे हुए लेकिन पुलिस की कार्रवाई के बाद वहां अफ़रातफ़री का माहौल है.
इससे पहले भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के केरल राज्य सचिव लिंगिनलाल ने बीबीसी को बताया था, "हम ‘किस ऑफ़ लव’ कार्यक्रम के ख़िलाफ़ कोई एक्शन नहीं लेंगे. हमें ऐसा नहीं लगता है कि यह युवा मोर्चा के ख़िलाफ़ है."
पिछले हफ़्ते कालीकट के एक कैफ़े में एक हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने यह कहते हुए तोड़फोड़ मचाई थी कि इस जगह का इस्तेमाल डेटिंग के लिए किया जाता है.
उसी हमले के विरोध में फ़ेसबुक ग्रुप "फ्री थिंकर्स" ने कोच्चि के मरीन ड्राइव में रविवार शाम ‘किस ऑफ़ लव’ प्रदर्शन का आयोजन किया था.
क़ानून
हाालंकि फ़्री थिंकर्स से जुड़े ऑनलाइन एक्टिविस्ट फ़र्मिस हाशिम का कहना था, "भारतीय दंड संहिता के मुताबिक़ ऐसा कोई क़ानून नहीं है जो दो लोगों को मर्ज़ी से किस करने या गले लगाने या किस करने से रोकता हो. अश्लीलता को लेकर धारा 294 ज़रूर है, जो सार्वजनिक अश्लीलता को अपराध मानती है. उसमें भी कहीं भी किस करने या गले लगाने का कोई ज़िक़्र नहीं है."
शुक्रवार को केरल हाईकोर्ट ने इस बारे में दाख़िल एक याचिका पर कहा था कि अदालत इसमें दख़ल नहीं देगी.
इस अभियान को सोशल मीडिया पर भी समर्थन मिल रहा है.
समर्थन
पिछले हफ़्ते फ़ेसबुक पर शुरू हुए ‘किस ऑफ़ लव’ पेज से अब तक 50 हज़ार से अधिक लोग जुड़ चुके हैं.
फ़र्मिस कहते हैं, "राजनीतिक, साहित्य और सिनेमा जगत से भी हमें समर्थन मिल रहा है. ज़्यादातर लोग हमारा समर्थन कर रहे हैं. हमने एक छोटी सी शुरुआत की थी. हमें नहीं मालूम था कि इतना अपार समर्थन मिलेगा और केरल और भारत में इस मुद्दे पर इतनी चर्चा होगी."
लेकिन सवाल यह है कि क्या इस आयोजन से मॉरल पुलिसिंग बंद हो जाएगी. फ़र्मिस को लगता है कि इसमें वक़्त लगेगा.
वे कहते हैं, "हमें लगता है कि मॉरल पुलिसिंग एक दिन या एक साल में ख़त्म नहीं होगी पर विरोध से इसमें कमी ज़रूर आएगी और यही हमारी कामयाबी होगी."
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