रांची/गुमला : गुमला जिले के कामडारा थाना क्षेत्र स्थित रेड़वा मुरगीकोना जंगल में सोमवार की शाम 6.30 बजे पीएलएफआइ के उग्रवादियों ने सात लोगों को गोलियों से भून दिया. मारे गये लोगों में शांति सेना के तीन सदस्य हाफू दानपुर गांव के मदन साहू, करमपाल साहू व लालमोहन साहू हैं. उग्रवादी तीनों की राइफलें लूट ली. मारे गये अन्य चार लोगों की शिनाख्त नहीं हो सकी है. पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता आइजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि मारे गये सभी लोग बोलेरो (जेएच 07 ए 8881) वाहन पर सवार थे. रेड़मा बस्ती के पास जंगल में उग्रवादी घात लगा कर बैठे थे. गाड़ी नजदीक आते ही उग्रवादियों ने फायरिंग शुरू कर दी. घटनास्थल पर ही सभी लोगों ने दम तोड़ दिया.
जंगल से लौट रहे थे सभी :बताया जा रहा है कि मारे गये मदन, करमपाल व लालमोहन बोलेरो गाड़ी लेकर मुरगीकोना जंगल गये हुए थे. वहां पहले से चार ग्रामीण लकड़ी काट रहे थे. लकड़ी काटने के बाद सभी लोग गाड़ी से हाथू वापस आ रहे थे. उग्रवादियों से घिरने के बाद शांति सेना के सदस्यों ने भी वाहन से ही फायरिंग की, लेकिन वे अपने को बचा नहीं पाये. उग्रवादियों की संख्या 40 से 50 होने के कारण वे संभल नहीं सके. घटना की सूचना मिलने पर कामडारा पुलिस घटनास्थल पर पहुंची. वहां से काफी संख्या में खोखे बरामद किये. रात आठ बजे गुमला एसपी भीमसेन टूटी भी पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. पुलिस ने उग्रवादियों के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है.
गोलियों की आवाज से दहला इलाका :मुरगाटोली जंगल में जब गोलीबारी शुरू हुई तो पूरा इलाका दहल गया. बताया जा रहा है कि उस समय आसपास कुछ ग्रामीण भी थे. परंतु गोलियों की आवाज सुन कर सभी इधर- उधर भाग गये. ग्रामीणों के मुताबिक करीब 200 राउंड गोली चलने की सूचना है.
सात ग्रामीण मारे गये हैं. पीएलएफआइ के उग्रवादियों ने मारा है. इस घटना में दिनेश गोप के भी शामिल होने की सूचना है. छापामारी अभियान चलायी जा रही है.
भीमसेन टूटी, एसपी, गुमला
दस्ते में दिनेश गोप भी शामिल था
पुलिस के अनुसार, पीएलएफआइ के जिस दस्ते ने घटना को अंजाम दिया है, उसमें संगठन का सुप्रीमो दिनेश गोप भी शामिल था. वही दस्ते का नेतृत्व भी कर रहा था. घटना को अंजाम देने के बाद उग्रवादी रांची के कर्रा क्षेत्र के जंगल में भाग गये.
2008 की तरह दिया घटना को अंजाम
शांति सेना के इतिहास में यह दूसरी बड़ी घटना है. आठ अप्रैल 2008 को भाकपा माओवादी के नक्सलियों ने गुमला के पालकोट स्थित सेमरा जंगल के पास शांति सेना के सुप्रीमो भादो सिंह समेत पांच सदस्यों, तीन महिलाओं और एक चार वर्ष की बच्ची की हत्या कर दी थी. माओवादियों ने बोलेरो में आग लगा कर सभी शवों को जला दिया था. सभी गुरमा गांव के रहनेवाले थे. बैगमा जा रहे थे.
पीएलएफआइ की सबसे बड़ी कार्रवाई
इस घटना को पीएलएफआइ की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई माना जा रहा है. इससे पहले उग्रवादी संगठन द्वारा एक-दो लोगों की हत्या की जाती रही है. यह संगठन खूंटी, गुमला, सिमडेगा व रांची के कुछ इलाको में सक्रिय है.
दस्ते में दिनेश गोप भी शामिल था
पुलिस के अनुसार, पीएलएफआइ के जिस दस्ते ने घटना को अंजाम दिया है, उसमें संगठन का सुप्रीमो दिनेश गोप भी शामिल था. वही दस्ते का नेतृत्व भी कर रहा था. घटना को अंजाम देने के बाद उग्रवादी रांची के कर्रा क्षेत्र के जंगल में भाग गये.
2008 की तरह दिया घटना को अंजाम
शांति सेना के इतिहास में यह दूसरी बड़ी घटना है. आठ अप्रैल 2008 को भाकपा माओवादी के नक्सलियों ने गुमला के पालकोट स्थित सेमरा जंगल के पास शांति सेना के सुप्रीमो भादो सिंह समेत पांच सदस्यों, तीन महिलाओं और एक चार वर्ष की बच्ची की हत्या कर दी थी. माओवादियों ने बोलेरो में आग लगा कर सभी शवों को जला दिया था. सभी गुरमा गांव के रहनेवाले थे. बैगमा जा रहे थे.
पीएलएफआइ की सबसे बड़ी कार्रवाई
इस घटना को पीएलएफआइ की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई माना जा रहा है. इससे पहले उग्रवादी संगठन द्वारा एक-दो लोगों की हत्या की जाती रही है. यह संगठन खूंटी, गुमला, सिमडेगा व रांची के कुछ इलाको में सक्रिय है.
मदन ने उठाया था उग्रवादियों के खिलाफ हथियार
कामडारा के मुरगाकोना जंगल में सोमवार को मारे गये शांति सेना के सदस्य मदन साहू व करमपाल साहू दोनों सगे भाई हैं. दोनों भाईयों ने वर्ष 2010 में पीएलएफआइ संगठन के खिलाफ हथियार उठा लिया था. क्योंकि पीएलएफआइ के उग्रवादियों ने कई बार इन पर हमला किया था. इसके बाद इन लोगों ने पुलिस से सुरक्षा भी मांगी थी. पुलिस ने सहयोग भी किया. लेकिन हर समय वे लोग निशाने पर रहे थे. उग्रवादियों के खिलाफ हथियार उठाने के बाद कई बार दोनों पर हमला हुआ, लेकिन हरबार दोनों बचते रहे. सोमवार की शाम हुई घटी घटना के बारे में बताया जा रहा है कि पीएलएफआइ ने पहले से इन लोगों को मारने की योजना बनायी थी. पूरी रणनीति के तहत उग्रवादियों ने घटना को अंजाम दिया है. इधर, घटना की सूचना के बाद गुमला के साथ ही खूंटी जिला के एसपी भी घटनास्थल पर पहुंचे. डीआइजी प्रवीण सिंह ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा है कि मारे गये सात लोग ग्रामीण है. पुलिस पहुंच गयी है. छापामारी अभियान चला रही है.
पुलिस अभियान रुकने पर कई इलाकों में पीएलएफआइ हुआ और ज्यादा आक्रामक
पीएलएफआइ के उग्रवादियों के खिलाफ पुलिस का अभियान रुकने के बाद इस उग्रवादी संगठन ने अपनी आक्रमकता बढ़ा दी है. तीन जुलाई 2014 से खूंटी, गुमला व सिमडेगा जिला में इस उग्रवादी संगठन के खिलाफ अभियान शुरु किया गया था. अभियान करीब एक माह तक चला. पुलिस अभियान का असर यह हुआ था कि पीएलएफआइ के उग्रवादियों ने इलाका खाली कर दिया था. संगठन के सुप्रीमो दिनेश गोप समेत तमाम उग्रवादी इलाका छोड़ कर भाग गये थे. जिसके बाद तीनों जिलों में पीएलएफआइ की गतिविधियां और हत्या की घटनाएं रुक गयी थीं. पुलिस की तरफ से बड़े-बड़े दावे किये गये थे. लेकिन सच यह है कि जुलाई माह के बाद तीनों जिलों में पीएलएफआइ के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई बंद हो गयी. कार्रवाई बंद होने के बाद पीएलएफआइ के उग्रवादी फिर से क्षेत्र में लौटने लगे थे. साथ ही पहले की तरह अपनी गतिविधि को शुरु भी कर दिया था. इसकी सूचना भी पुलिस तक पहुंची, लेकिन कार्रवाई नहीं शुरु की गयी. इसी का परिणाम यह हुआ कि उग्रवादियों ने गुमला में सात लोगों की हत्या कर दी.
कहीं पुलिस की मदद करने का परिणाम तो नहीं
गुमला के कामडारा में मारे गये सात लोगों के बारे में अभी विस्तृत जानकारी नहीं मिली है. मारे गये लोगों में से तीन का संबंध शांति सेना से होने की बात कही जा रही है. लेकिन घटना की तात्कालिक वजह का पता नहीं चल पा रहा है. पुलिस के ही कुछ अधिकारी संदेह जता रहे हैं कि कहीं पीएलएफआइ ने पुलिस को सूचना देने के शक पर तो इस घटना को अंजाम नहीं दिया. पीएलएफआइ के उग्रवादी पुलिस को सूचना देने की शक पर लगातार हत्या करते रहते हैं.