अपने गठन के करीब डेढ़ दशक बाद भी झारखंड सड़कों के मामले में छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड से बहुत पीछे है. इतना ही नही, यह क्षेत्रफल और जनसंख्या की दृष्टि से कम और भौगोलिक दृष्टि से पहाड़ी व दुर्गम राज्यों- नगालैंड और त्रिपुरा से भी बहुत पीछे है. नयी सड़कों के निर्माण को लेकर योजनाएं नहीं बनायी जा रही, प्रयास शिथिल है. मरम्मत के अभाव में भी मौजूदा सड़कें बदहाल हैं, पुल जजर्र हैं.
सड़क के रखरखाव के प्रति भी संबंधित एजेंसियों का रवैया उदासीन है. विकास की गति धीमी होने का यह बड़ा कारण है और उदाहरण भी. इस हालात में सुधार की जिम्मेवारी राजनीतिक नेतृत्व की है. आज के विशेष में राज्य की सड़कों से जुड़े जरूरी आंकड़े.
झारखंड में नयी सड़कें
2014 के शुरू में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत राज्य में 483 नयी सड़कें बनाने की मंजूरी दी थी. इसमें 1,562.85 किलोमीटर नयी सड़कें बनाने, 954.36 किलोमीटर सड़कों का अपग्रेड और 5,479 मीटर लंबे पुलों के निर्माण की योजना है. इस परियोजना पर 1,323.40 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है जिसमें 1,269.16 करोड़ रुपये केंद्र और 54.24 करोड़ राज्य सरकार का हिस्सा है.
2011-12 के वित्त वर्ष में केंद्र ने 703 करोड़ रुपये की लागत से 540 सड़कों और 50 पुलों के निर्माण की मंजूरी दी थी, जबकि 2012-13 के वित्तीय वर्ष में 1,827 करोड़ की लागत से 1,064 सड़कों और 174 पुलों के निर्माण की योजनाएं पारित हुई थीं. 2014-15 के राज्य के बजट में सड़कों के लिए तकरीबन 2,500 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है.