रांची : राजनीति के रंग अजब-गजब हैं. यहां सीन पल-पल में बदलते हैं. राजधानी में अगल-बगल सीट को लेकर जीजा-साला दावेदार थे. दोनों अलग-अलग पार्टी में दावेदार थे. जीजा टिकट लेने में कामयाब नहीं हुए, तो साले साहब भी आउट हो गये. जीजा की पार्टी ने ही साले को आउट कर दिया. गंठबंधन में साले की सीट चली गयी. साले साहेब विधानसभा चुनाव की जोरदार तैयारी कर रहे थे. उम्मीद थी कि जीजा की पार्टी से एलायंस नहीं होगा.
लेकिन रिश्ते की डोर से साथ-साथ दोनों की पार्टियों की भी डोर बंध गयी. रिश्ते की डोर में मिठास थी, लेकिन पार्टी की डोर बंधी, तो राजनीति का रंग फीका हो गया. अब जीजा अपनी पार्टी से खिसिया गये हैं. नेता मनाने में लगे हैं. वहीं साले साहब अपने नेतृत्व के फैसले से भौंचक हैं. चुनाव से पहले ही पोस्टर-बैनर में नजर आ रहे थे. खूब शिलान्यास कर रहे थे. गली-मुहल्ले की धूल फांक रहे थे, लेकिन मंसूबे पर पानी फिर गया. अब देखना होगा कि कितने दिन पार्टी में रहते हैं. यहां बिदक कर बाहर निकलते हैं. झारखंड की राजनीति रंगमंच में तमाशे का लोग भरपूर मजा ले रहे हैं.