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पुरुष मेकअप आर्टिस्टों का वर्चस्व ख़त्म

उच्चतम न्यायालय ने 59 साल से जारी पुरुषों के एकाधिकार को ख़त्म करते हुए बॉलीवुड में महिला मेकअप आर्टिस्टों के काम करने पर लगी पाबंदी हटा दी है. इस क्षेत्र में पुरुषों के वर्चस्व की लंबी परंपरा ने अब तक फिल्मी सेटों पर महिला मेकअप आर्टिस्टों का रास्ता रोक रखा था. केवल महिला हेयरस्टाइलिस्टों को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 5, 2014 10:08 AM
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उच्चतम न्यायालय ने 59 साल से जारी पुरुषों के एकाधिकार को ख़त्म करते हुए बॉलीवुड में महिला मेकअप आर्टिस्टों के काम करने पर लगी पाबंदी हटा दी है.

इस क्षेत्र में पुरुषों के वर्चस्व की लंबी परंपरा ने अब तक फिल्मी सेटों पर महिला मेकअप आर्टिस्टों का रास्ता रोक रखा था. केवल महिला हेयरस्टाइलिस्टों को इस क्षेत्र में काम करने की छूट थी.

बॉलीवुड की यूनियंस ने पुरुषों की आजीविका पर पड़ने वाले असर का हवाला देते हुए अब तक महिला मेकअप आर्टिस्टों के काम करने पर पाबंदी लगाई हुई थी. लेकिन अब अदालत ने इसे ‘ग़ैरक़ानूनी’ क़रार दिया है.

जनवरी 2013 को नौ महिला मेकअप आर्टिस्टों ने अदालत में याचिका दायर की थी.

उनकी शिकायत थी कि बॉलीवुड की ताक़तवर यूनियंस उन्हें मेकअप आर्टिस्ट का काम नहीं करने दे रही है.

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इसे ‘संवैधानिक रूप से अनुचित भेदभाव‘ बताते हुए महिला मेकअप आर्टिस्टों के पक्ष में फ़ैसला दिया.

‘ये 20वीं सदी नहीं’

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एजेंसियों के अनुसार न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और यूयू ललित ने कहा, "अब तक इस तरह का भेदभाव कैसे जारी है? अदालत इसकी इजाज़त क़त्तई नहीं दे सकता. हमारे संविधान में भी इसकी इजाज़त नहीं है. मेकअप आर्टिस्ट का काम केवल पुरुष ही क्यों करें?"

आगे कहा गया, "यदि महिला मेकअप आर्टिस्ट क़ाबिल हैं तो ऐसी कोई वजह नहीं कि उनके काम करने पर पाबंदी लगाई जाए."

अदालत ने ‘सिने कॉस्ट्यूम मेकअप आर्टिस्ट एंड हेयर ड्रेसर्स एसोसिएसन’ को आदेश दिया है कि वह महिला मेकअप आर्टिस्टों पर लगाई गई पाबंदी को ‘फ़ौरन’ ख़त्म करे.

जज ने कहा, "हम 1935 में नहीं, 2014 में जी रहे हैं. ऐसे रिवाजों को एक दिन भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता."

ताकतवर यूनियनें

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याचिकाकर्ता चारु खुराना कहती हैं कि उन्होंने मेकअप की ट्रेनिंग कैलिफ़ोर्निया के स्कूल से ली लेकिन बॉलीवुड में उन्हें काम करने नहीं दिया गया.

खुराना ने बीबीसी को बताया, "मैंने कुछ फ़िल्मों में काम तो किया है, लेकिन अनुभव काफ़ी बुरा रहा. यहां की यूनियन बेहद ताक़तवर और दबंग हैं. फिल्म में महिला मेकअप आर्टिस्ट के काम करने की ख़बर मिलते ही वे उस फ़िल्म पर रोक लगा देती हैं. निर्माताओं को जुर्माना भी भरना पड़ता है."

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सुप्रीम कोर्ट ने बॉलीवुड में महिला मेकअप आर्टिस्टों पर लगी पाबंदी को गैरकानूनी बताया.

वे बताती हैं, "ऐसी कई महिला मेकअप आर्टिस्ट हैं जो बॉलीवुड में काम करना चाहती हैं. अभिनेत्रियों और महिला कलाकारों को भी उनसे मेकअप करवाने में सहूलियत रहती है."

फिल्मों में काम पाने की कोशिश करने वाली कई महिला मेकअप आर्टिस्टों के साथ मार-पीट तक हो चुकी है.

अब तक बॉलीवुड में मेकअप आर्टिस्ट बनने का सपना लिए आने वाली युवतियां रोज़ी-रोटी के लिए मजबूर होकर अंततः फ़ैशन शो, कर्मशियल और ब्राइडल मेकअप आर्टिस्ट बन कर रह जाती थीं.

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