..और चोला बदल गाती फिर रही हैं

रांची : अपनों के लिए तो हर कोई मरता है. पर अपनों के लिए कम ही लोग बदलते हैं. मोहतरमा के बारे हर कोई कहता था कि उनकी रीढ़ सीधी है. सिस्टम को भी सीधा करती हैं. मीडिया वाले भी यही जानते-समझते रहे हैं. पर मैडम ने अपने साजन के खर्च-पानी लिए ऐसी राहगीरी की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 6, 2014 9:37 AM
रांची : अपनों के लिए तो हर कोई मरता है. पर अपनों के लिए कम ही लोग बदलते हैं. मोहतरमा के बारे हर कोई कहता था कि उनकी रीढ़ सीधी है. सिस्टम को भी सीधा करती हैं. मीडिया वाले भी यही जानते-समझते रहे हैं. पर मैडम ने अपने साजन के खर्च-पानी लिए ऐसी राहगीरी की है कि अब सब दोबारा सोचने को मजबूर हैं.अपने के लिए उन्होंने नये-नये रेकॉर्ड बनाये हैं.
कल करे सो आज कर.. से सीख लेते हुए अगले चार पांच साल का काम सिस्टम पलट कर निबटा दिया है. इसे कहते हैं अपनों का प्यार. इस प्यार में उन्हें किसी की परवाह नहीं. अपने-पराये किसी की नहीं. मीडिया की तो कतई नहीं. पूरा चोला बदल वह गाती फिर रही हैं..चाहे कोई मुङो जंगली कहे.कहने दो जी कहता रहे..हम प्यार के तूफानों से घिरे हैं..हम क्या करें.

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