टिकट के लिए मारामारी कर रहे प्रत्याशी अब टाइट हो गये हैं. जिन्हें टिकट मिला वह अब आचार संहिता की जद में है, इधर जिनका टिकट कट गया वे आचार-व्यवहार भी भूल गये हैं. अच्छे दिन के माहौल में वह पार्टी पदाधिकारियों सहित प्रदेश प्रभारियों के भी दिन खराब कर दे रहे हैं.
यही प्रभारी जब पहले आते थे,तो एयरपोर्ट से ही माला खर्च शुरू हो जाता था. भाई लोग भीड़ में चेहरा घुसा कर प्रणाम बोलते थे. सर..सर की रट तो तोता की तरह लगती थी. पर गेम प्लान साफ होते ही अब इनके आंखों की रोशनी मैली हो गयी है. पार्टी कार्यालय में प्रभारी आये व ऊपर वाले तल्ले पर चले गये. नीचे भीड़ तो थी, लेकिन प्रणाम पाती नहीं मिला. ऊपर जाकर साहब ने किसी के लिए संदेश भिजवाया. नीचे कहा गया कि फलाने को साहब (प्रभारी) बुला रहे हैं. इधर नीचे वाले ने कहा..धुर..फुरसत नइ हऊ..बोल दे..