आज भी ना नेता जाते हैं ना कार्यकर्ता

जफर, हुसैनाबाद हुसैनाबाद विधान सभा क्षेत्र का अति उग्रवाद प्रभावित आदिवासीबहुल पंचायत महुडंड में स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क ,बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. अनुमंडल मुख्यालय से करीब बीस किलोमीटर की दूरी पर जंगल और पहाड़ों से घिरे इस गांव के लोग अब तक उपेक्षित हैं. इस गांव में अधिकांश प्रत्याशी वोट मांगने भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 9, 2014 6:14 AM
जफर, हुसैनाबाद
हुसैनाबाद विधान सभा क्षेत्र का अति उग्रवाद प्रभावित आदिवासीबहुल पंचायत महुडंड में स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क ,बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. अनुमंडल मुख्यालय से करीब बीस किलोमीटर की दूरी पर जंगल और पहाड़ों से घिरे इस गांव के लोग अब तक उपेक्षित हैं.
इस गांव में अधिकांश प्रत्याशी वोट मांगने भी नहीं जाते हैं.
2007 में इस पंचायत के 40 आदिम जनजाति के लोगों को बिरसा आवास स्वीकृत हुआ था. आज तक उसका निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है. सबसे अधिक परेशानी मरीजों को होती है. इलाज के लिए डोली-खटोली से हुसैनाबाद लना पड़ता है. गांव के अधिकांश लोगों का रोजगार खेती बाड़ी व जंगलों से लकड़ियां चुन कर उसे बाजार में बेचना है. इस पंचायत की आबादी करीब 5400 है. इस पंचायत में एक भी स्वास्थ्य उप केंद्र नहीं है. पंचायत में माध्यमिक विद्यालय नहीं होने से मैट्रिक की पढ़ाई के लिए छात्रों को शहरों में जाना पड़ता है. यहीं कारण है क्षेत्र में साक्षरता दर काफी कम है.

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