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13 वर्षो में एक चेकपोस्ट नहीं बनवा सकी सरकार

रांची : झारखंड बनने के 13 वर्ष बीत जाने के बाद भी राज्य में कोई चेक पोस्ट नहीं बन पाया है. चेक पोस्ट नहीं होने के कारण हर वर्ष राजस्व के लगभग चार हजार करोड़ रुपये नुकसान का अनुमान है. वर्ष 2001 में बाबूलाल मरांडी के नेतृत्ववाली तत्कालीन कैबिनेट ने राज्य के विभिन्न प्रवेश मार्गो […]

रांची : झारखंड बनने के 13 वर्ष बीत जाने के बाद भी राज्य में कोई चेक पोस्ट नहीं बन पाया है. चेक पोस्ट नहीं होने के कारण हर वर्ष राजस्व के लगभग चार हजार करोड़ रुपये नुकसान का अनुमान है. वर्ष 2001 में बाबूलाल मरांडी के नेतृत्ववाली तत्कालीन कैबिनेट ने राज्य के विभिन्न प्रवेश मार्गो पर कुल नौ कंपोजिट (संयुक्त) चेक पोस्ट निर्माण कराने का फैसला लिया था.
चेक पोस्ट निर्माण की रफ्तार का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 12 साल बाद तक चार प्रस्तावित चेक पोस्ट (बांसजोर, धुलियान, चौपारण व कोडरमा) का वर्क ऑर्डर जारी नहीं किया गया है. जिन पांच चेक पोस्ट (चिरकुंडा, चास मोड़, बहरागोड़ा, मुरी सेमर और मांझाटोली) का वर्क आर्डर जारी किया गया है, उनका निर्माण 30 फीसदी भी पूरा नहीं हुआ है.
भाग गयी कंपनी
चेक पोस्ट बनाने के लिए चुनी गयी दिल्ली की कंपनी केएस सॉफ्टवेयर सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड झारखंड से अपना बोरिया-बिस्तरा समेट चुकी है. कंपनी ने अपना क्षेत्रीय कार्यालय भी बंद कर दिया है. कंपनी ने परिवहन विभाग के अधिकारियों को पत्र लिख कर असहयोग का आरोप भी लगाया है. केएस सॉफ्टवेयर को वर्ष 2001 में 44.24 करोड़ रुपये में चेक पोस्ट निर्माण का काम दिया गया था.
इस राशि में सिविल वर्क के लिए 20.75 करोड़ रुपये और आइटी वर्क के लिए 23.49 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. कार्य पूरा करने की अवधि तीन वर्ष तय की गयी थी. पांच स्थानों पर चेक पोस्ट निर्माण का आंशिक काम करने के एवज में कंपनी को विभिन्न समय अंतराल पर लगभग छह करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था. उसके बाद से परिवहन विभाग द्वारा कोई भुगतान नहीं किया गया है.

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