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स्थानीयता की नीति पर झामुमो ने साधी चुप्पी

सात सूत्री मांग को लेकर झामुमो ने मुंडा सरकार से समर्थन लिया थाआंदोलनकारियों को सम्मान व नौकरी देने के मामले भी गौण झामुमो ने जिन सात शर्तो पर अर्जुन मुंडा की सरकार से समर्थन वापस लिया था, उनमें से तीन मुद्दों को पार्टी ने घोषणा पत्र में शामिल ही नहीं किया है. स्थानीय नीति पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 11, 2014 8:19 AM

सात सूत्री मांग को लेकर झामुमो ने मुंडा सरकार से समर्थन लिया थाआंदोलनकारियों को सम्मान व नौकरी देने के मामले भी गौण झामुमो ने जिन सात शर्तो पर अर्जुन मुंडा की सरकार से समर्थन वापस लिया था, उनमें से तीन मुद्दों को पार्टी ने घोषणा पत्र में शामिल ही नहीं किया है. स्थानीय नीति पर पार्टी ने चुप्पी साध रखी है. आंदोलनकारियों को सम्मान व नौकरी देने के मामले को भी पार्टी ने गौण किया है. पुनर्वास नीति पर भी पार्टी की स्पष्ट राय नहीं है, जबकि ये सब वही विवादित मुद्दे हैं, जिसे लेकर भाजपा सरकार से झामुमो ने समर्थन वापस लिया था.

क्या कहती है भाजपा
झामुमो ने जिन मुद्दों को लेकर भाजपा से समर्थन वापस लिया था, उनमें कई मुद्दे ऐसे हैं, जिसे पार्टी ने घोषणा पत्र में शामिल करना उचित नहीं समझा. यानी पार्टी की कथनी और करनी में अंतर है. सीएनटी-एसपीटी एक्ट को लेकर झामुमो भ्रम फैला रही है, जबकि निवर्तमान केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद पहले ही स्पष्ट कर चुके थे कि केंद्र द्वारा जिन पुराने कानूनों को समाप्त किया जा रहा है, उसमें सीएनटी और एसपीटी एक्ट शामिल नहीं है. जबकि, झामुमो की सरकार ने ही सीएनटी और एसपीटी एक्ट में टीएसी के जरिये संशोधन करने का प्रयास किया था.
क्या कहता है झामुमो
स्थानीय नीति को पार्टी ने छोड़ा नहीं है. इस पर काम बहुत आगे बढ़ चुका है. जो भी छह या सात मुद्दे थे, उस पर हेमंत सोरेन की सरकार ने काफी काम आगे बढ़ाया है. पार्टी ने नये काम को घोषणा पत्र में शामिल किया है. इसे करने की प्रतिज्ञा की है. कुछ लोग बेवजह इसे तूल देना चाह रहे हैं.
क्या थीं शर्ते, घोषणा क्या
त्नसीएनटी-एसपीटी एक्ट को अक्षरश: व कठोरता के साथ सुनिश्चित करें. असंवैधानिक हस्तांतरित जमीन वापसी की कार्य योजना अविलंब घोषित करें.
घोषणा पत्र में जिक्र है.
1932 ई राजस्व खतियान को प्राथमिक के आधार वर्ष मान कर स्थानीयता परिभाषित करें.
घोषणा पत्र में शामिल नहीं किया.
त्नसमुचित पुनर्वास एवं किसी भी प्रकार के विस्थापन की आशंका समूल समाप्त करें एवं राज्य भर के विस्थापितों के लिए अविलंब पुनर्वास, रोजगार उपलब्धता एवं कल्याण की योजना बने.
इस मुद्दे का जिक्र ही नहीं.
त्नराज्य भर के अल्पसंख्यक विद्यालयों विशेषकर 592 मदरसों को अनुदान दिया जाये.}झामुमो ने अल्पसंख्यक स्कूलों के अधिग्रहण की बात कही है.नौ क्षेत्ऱीय भाषा को द्वितीय राजभाषा के रूप में मान्यता दी गयी, पर इसका पूर्ण रूप से पालन सुनिश्चित हो.
झामुमो ने इसके लिए आयोग बनाने की बात कही है.
त्नझारखंड निर्माण आंदोलनकारियों को सम्मान, मानदेय व नौकरी तथा आश्रितों को नौकरी एवं आवास दिया जाये.घोषणा पत्र में इस पर ज्यादा जोर नहीं दिया गया है.

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