भारतीय हॉकी टीम जब ऑस्ट्रेलिया से चार टेस्ट मैचों की सिरीज़ का पहला मैच 4-0 से हारी तो भारतीय हॉकी प्रेमियों को अधिक आश्चर्य नहीं हुआ.
अक्सर बड़ी टीमों से भारतीय टीम ऐसे स्कोर से हारती रही हैं. इसके बाद भारत ने वापसी करते हुए दूसरा मैच 2-1 से अपने नाम किया, तब लगा कि शायद ऑस्ट्रेलिया ने अपनी दूसरे दर्जे की टीम मैदान में उतार दी होगी.
तीसरे मैच में 1-0 की जीत और चौथे और आखिरी मैच में भी जब 3-1 से भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराया तो जैसे खलबली मच गई.
खेल प्रेमियों को जैसे यकीन ही नही हो रहा है कि यह वही भारतीय हॉकी टीम हैं जिसे ऑस्ट्रेलिया की टीम जब चाहे, जैसे चाहे, जहां चाहे वैसे हरा देती हो. भारतीय हॉकी के चाहने वालों के लिए यह जीत किसी चमत्कार से कम नही हैं.
चमत्कारी जीत
भारतीय हॉकी प्रेमियों को आज भी दिल्ली 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों का फाइनल याद हैं जब ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 8-0 से हराया था.
भारतीय हॉकी टीम ने कुछ समय पहले ही इंचियोन एशियाई खेलों में 16 साल बाद स्वर्ण पदक जीता था.
भारत की ऑस्ट्रेलिया पर इस जीत से भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान ज़फर इक़बाल भी खुशी के साथ जैसे चकित रह गए हों.
उन्होने बीबीसी हिंदी से ख़ास बातचीत में कहा, "यह चमत्कार ही है और इसे सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा. भारतीय टीम का किसी विश्व चैंपियन टीम के ख़िलाफ़ ऐसा खेल पिछले तीस सालों में तो देखा नहीं."
लगातार खेलने का फ़ायदा
ज़फर इक़बाल के अलावा अपने समय में दुनिया के सबसे तेज़ सेंटर फॉरवर्ड में से एक रहे पूर्व ओलंपियन हरबिंदर सिंह भी इस जीत को विशेष मानते हैं.
उनका कहना है, "टीम में यह बदलाव लगातार खेलने से आया है. इससे खिलाड़ी विरोधी टीमों की रणनीति समझने लगते हैं. इसके बाद हार के अंतर में फर्क आ जाता हैं."
इस जीत से भारतीय टीम का हौसला अब चैंपियंस ट्रॉफी के लिए भी बढ़ेगा जो भारत की मेज़बानी में ही छह से 14 दिसंबर तक भुवनेश्वर में आयोजित होगी.
ज़फर इक़बाल मानते हैं कि टीम को हॉकी इंडिया लीग में विदेशी खिलाड़ियों के साथ खेलने के अनुभव का लाभ मिला है. इसके अलावा टीम के गोलकीपर पी श्रीजेश भी जीत में अहम कड़ी साबित हुए हैं.
भारतीय टीम के कप्तान सरदार सिंह रविवार को अपना 200वां अंतराष्ट्रीय मैच खेल रहे थे.
ऑस्ट्रेलिया को 3-1 से सिरीज़ में हराकर सोने पर सुहागा जैसी चमक लिए भारतीय कप्तान अपनी टीम को और कितना कामयाब बना पाते हैं.
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