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झामुमो ने गुड गवर्नेस का किया वादा, पर लटकती रहीं फाइलें

रांची: झामुमो ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में गुड गवर्नेस का वादा किया है. फाइलों के त्वरित निष्पादन पर जोर दिया है. हर काम जनता से सुझाव लेकर करने की बात कही है. कैबिनेट की बैठक से लेकर समीक्षा बैठक तक क्षेत्रीय स्तर पर कराने की बात कही गयी है. पर दूसरी ओर पिछले डेढ़ […]

रांची: झामुमो ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में गुड गवर्नेस का वादा किया है. फाइलों के त्वरित निष्पादन पर जोर दिया है. हर काम जनता से सुझाव लेकर करने की बात कही है. कैबिनेट की बैठक से लेकर समीक्षा बैठक तक क्षेत्रीय स्तर पर कराने की बात कही गयी है. पर दूसरी ओर पिछले डेढ़ वर्षो से झामुमो की सरकार झारखंड में है. गुड गवर्नेस का मौका मिलने के बावजूद फाइलें यहां लटकती रही. इसके पूर्ववर्ती सरकारों की भी यही प्रवृत्ति रही है.

फाइलों को एक दो दिन नहीं, महीनों नही,ं बल्कि वर्षो तक लटकाते रहने की परिपाटी सी झारखंड में बन गयी है. सरकारें बदलती रही पर परिपाटी भी चलती रही. अब चुनाव में पार्टियां गुड गवर्नेस का वादा कर रही है.

क्या स्थिति है सरकार में फाइलों की

आठ माह लंबित रही रेंजर पदस्थापन की फाइल

सरकार ने जनवरी माह में ही वनपाल से रेंजर में प्रोन्नति दे दी थी. इनके पदस्थापन की संचिका सरकार के पास आठ माह तक घुमती रही. आचार संहिता लगने के लिए इनके पदस्थापन पर निर्णय हुआ. आचार संहिता लग जाने के कारण अधिसूचना जारी नहीं हो पायी. मामला अब तक लटका हुआ है.

तीन माह लटकी रही पशुपालन निदेशक की फाइल

पशुपालन निदेशक बनाने की संचिका तीन माह तक सचिवालय का चक्कर काटती रही. कैप्टन आनंद गोपाल बंदोपाध्याय का कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद प्रचार दिये जाने की संचिका तैयार की गयी थी. अगस्त माह में वह सेवानिवृत्त हुए थे. डॉ रजनीकांत तिर्की को निदेशक का प्रभार दिये जाने पर निर्णय अक्तूबर माह में हुआ.

छह माह में नहीं मिली इंजीनियरों को प्रोन्नति

पथ निर्माण विभाग ने सहायक अभियंताओं को प्रोन्नति देने की तैयारी शुरू की. 20 साल से भी ज्यादा से समय से एक ही पद पर नौकरी करनेवाले इन सहायक अभियंताओं को कार्यपालक अभियंता बनना था. छह माह पहले फाइल बढ़ी. कार्मिक के पास गयी. वहां से सहमति ली गयी. विजिलेंस क्लीयर कराया गया. सारा कुछ हुआ, पर फाइल में ही पड़ा रह गया मामला. आचार संहिता लग जाने से 159 सहायक अभियंता कार्यपालक अभियंता नहीं बन सके.

झामुमो के घोषणा पत्र में प्रशासनिक सुधार की बातें

त्वरित फाइल निष्पादन एवं निर्णय. फाइल निष्पादन के लिए सचिव स्तर पर 24 घंटे, मुख्य सचिव स्तर पर 48 घंटे, मंत्री स्तर पर 48 घंटे एवं मुख्यमंत्री स्तर पर 72 घंटे का समय निर्धारण किया जायेगा.

जन अधिकार एवं जन शिकायत दिवस का आयोजन प्रत्येक मंगलवार को प्रखंड स्तर पर, हर गुरुवार को जिला स्तर पर, हर शुक्रवार को मंत्री सत्र, हर शनिवार को मुख्यमंत्री स्तर पर होगा. समय सुबह 10 बजे से दिन के तीन बजे तक का होगा.

राजधानी रांची से अगले एक वर्ष के अंदर सरकार के सभी प्रकार के निदेशालयों को उनकी जरूरतों के हिसाब से जिला मुख्यालय में क्षेत्रवार विकेंद्रीकरण किया जायेगा.

प्रशासन को जवाबदेह व समयबद्ध काम करने के लिए दायित्व का निर्धारण होगा.

जनाकांक्षा अनुरूप तथा योग्यता अनुसार स्थिर कालबद्ध कालबद्ध प्रशासनिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों की नियुक्ति तथा पदस्थापन.

बजट निर्धारण के पूर्व समाज के हर क्षेत्र के व्यक्ति, समूह, संगठन, विचारधारा के सुझावों का आमंत्रण एवं सार्थक परामर्श ग्रहण.

हर दूसरे कैबिनेट की बैठक प्रमंडलीय मुख्यालयों में आयोजित करना.

मंत्रियों द्वारा विभाग की समीक्षा बैठक प्रमंडलों में आयोजित करना.

बजट एवं योजनाओं का निर्धारण जमीनी हकीकत एवं समीक्षा के उपरांत.

लटकी रही सड़क/पुल योजना की फाइल

ग्रामीण कार्य विभाग ने सड़क व पुल योजना का टेंडर निकाला. टेंडर निकालने में इतनी देरी हुई कि समय ही नही मिला, उसके निष्पादन का. सबको इसका अंदाजा था कि कब आचार संहिता लगनेवाला है. फिर भी फाइल निष्पादन में देरी हुई और टेंडर विंलब से निकला. नतीजन उसका निष्पादन नही ंहो सका. दो-तीन दिनों में विभाग के इंजीनियरों ने टेंडर निष्पादन किया. टेंडर निष्पादन का काम रात आठ बजे तक किया गया, फिर भी सारी योजनाएं फंस गयी. कुछ ही योजना का टेंडर फाइल हुआ.

एक वर्ष में भी फैसला नहीं हो सका राजधानी की 25 सड़कों का

राजधानी रांची के शहरी इलाकों की सारी सड़कों को बनाने की योजना थी. यह योजना एक साल पहले की है, पर टेंडर निष्पादन व उसके बारे में आवश्यक निर्णय लेने में इतना विलंब हुआ कि सारी योजनाएं फंस गयी. स्थिति है कि आज भी उसका टेंडर निष्पादन नहीं हुआ. न ही किसी पर काम शुरू हुआ. अब आचार संहिता के बाद ही इस पर कुछ हो सकेगा. सारी योजनाओं को मिला कर एक पैकेज बनाया गया था. पैकेज में काम लेने लायक कोई कंपनी नहीं मिली. इसके बाद काफी विलंब से विभाग ने निर्णय लिया कि पैकेज को तोड़ कर छोटी-छोटी योजनाएं की जाये. इसके फाइल के निष्पादन में विलंब होने की वजह से इस पर फैसला भी देर से हुआ. इसके बाद ही नये सिरे से टेंडर निकाला गया, पर इस बीच आचार संहिता लग गयी.

सिपाही नियुक्ति दो साल से लंबित

पुलिस मुख्यालय ने दो साल पहले सिपाही नियुक्ति के लिए ट्रांसपैरेंट रिक्रूटमेंट पॉलिसी (टीआरपी) बनाने का प्रस्ताव सरकार को दिया था. लेकिन सरकार के स्तर से इस प्रस्ताव को अब तक मंजूर नहीं किया गया है. हालांकि सरकार ने आचार संहिता लगने से कुछ दिन पहले सिपाही नियुक्ति शुरु करने का आदेश दिया था.

एटीएस का गठन : आतंकी संगठनों और आतंकी घटनाओं से निपटने के लिए पुलिस मुख्यालय ने सरकार को एंटी टेरररिस्ट स्क्वायड (एटीएस) के गठन का प्रस्ताव भेजा था. वर्ष 2013 में पटना में हुए सीरियल ब्लास्ट के तार रांची से जुड़ने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी इसका गठन करने का निर्देश दिया था. लेकिन यह काम नहीं हो सका.

सरेंडर पॉलिसी में परिवर्तन : नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए सरकार ने सरेंडर पॉलिसी में परिवर्तन करने की बात कही थी. नये सरेंडर पॉलिसी का प्रस्ताव पुलिस मुख्यालय ने सरकार के पास भेजा, लेकिन सरकार ने इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया.

डेढ़ वर्ष से लंबित

शिक्षकों की प्रोन्नति का मामला

राज्य के प्राथमिक व मध्य विद्यालय के लगभग आठ हजार शिक्षकों की प्रोन्नति का प्रस्ताव पिछले डेढ़ वर्ष से लंबित है. शिक्षा मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक ने प्रोन्नति के मामले को लेकर केवल आश्वासन दिया. अचार संहिता लगने के पूर्व तक प्रक्रिया चलती ही रही. पर प्रोन्नति नहीं मिल सकी.

दो वर्षो से लंबित

मदरसों के अनुदान का मामला

मदरसों के अनुदान का मामला दो वर्षो तक लंबित रहा. अजरुन मुंडा के शासनकाल में वर्ष 2012 में ही मदरसों को अनुदान देने की स्वीकृति कैबिनेट द्वारा दी गयी थी. फिर सर्वे की बातें आयी. फाइलें कभी भू-राजस्व के पास तो कभी शिक्षा विभाग के पास घूमती रही. इसी दौरान सरकार बदल गयी. हेमंत सोरेन की सरकार में दोबारा कैबिनेट में प्रस्ताव लाया गया. इसके बाद इसका सत्यापन किया गया. तब कहीं मदरसों के अनुदान देने की प्रक्रिया आरंभ हो सकी. 38 मदरसों को स्वीकृति दी जा चुकी है. अन्य की प्रक्रिया चल रही है.

एक वर्ष के बाद हुआ टीएसी का गठन

हेमंत सोरेन की सरकार जुलाई 2013 में बनी. सरकार बनते ही अमूमन टीएसी का गठन किया जाता है. जनवरी 2014 में टीएसी के गठन की फाइल राजभवन भेजी गयी. कई बार इसमें संशोधन हुआ. कभी राजभवन से फाइल वापस की गयी तो कभी सरकार के स्तर से विलंब किया गया. तब जाकर सिंतबर में टीएसी का गठन हो सका.

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