अलगाववादी नेता से मुख्यधारा के नेता बने सज्जाद लोन की सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात हुई. इस मुलाकात ने जम्मू-कश्मीर में एक नई बहस शुरू कर दी है.
25 नवंबर से जम्मू कश्मीर में पांच चरणों में वोट डालने का सिलसिला शुरू होगा.
सज्जाद लोन पीपल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष हैं और वह इशारे दे चुके हैं कि चुनाव के बाद उनकी पार्टी भाजपा के साथ सरकार बनाने के विरुद्ध नहीं है.
हरियाणा और महाराष्ट्र में जीत के बाद भाजपा मुस्लिम बहुल जम्मू-कश्मीर में बेहतर प्रदर्शन को लेकर दृढ़ संकल्प है. वो राज्य में ज़्यादा से ज़्यादा राजनेताओं को रिझाने की कोशिश कर रही है.
बड़ी चुनौती
भाजपा को जम्मू और लद्दाख में अच्छे प्रदर्शन का विश्वास है लेकिन उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती कश्मीर घाटी में होगी.
जम्मू में 37 सीटें हैं जबकि लद्दाख में चार. कश्मीर घाटी में 46 सीटें हैं.
पार्टी की निगाहें उन कुछ सीटों पर हैं जहां अलगाववादियों के चुनाव बॉयकॉट के नारे के कारण बहुत कम वोट पड़ते हैं.
भाजपा सज्जाद लोन जैसे नेताओं को रिझाने की कोशिश कर रही है ताकि उनकी मदद से वह 44 का जादुई आंकड़ा पार कर सके.
मुख्यमंत्री पद
वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में सज्जाद लोन ने उत्तरी कश्मीर के बारामुला-कुपवाड़ा से चुनाव लड़ा था लेकिन वह हार गए.
वर्ष 2014 में उन्होंने इसी सीट से लोकसभा प्रत्याशी खड़ा किया लेकिन वो भी चुनाव हार गए.
तब से सज्जाद लोन कुपवाड़ा में बहुत मेहनत कर रहे हैं. रिपोर्टों के मुताबिक कुपवाड़ा और हंडवारा में उनका अच्छा खासा प्रभाव है.
लोलाब और लंगट में भी उनके प्रत्याशियों को अच्छे वोट मिल सकते हैं. सज्जाद खुद हंडवारा से चुनाव लड़ रहे हैं.
हालांकि भाजपा जम्मू-कश्मीर के लिए हिंदू मुख्यमंत्री होने की बात करती रही है, पार्टी के कुछ नेताओं ने इशारे दिए हैं कि राज्य में एक मुसलमान मुख्यमंत्री भी हो सकता है.
कश्मीर घाटी में कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर भाजपा राज्य में पीपल्स कॉंफ्रेंस की मदद से सरकार बनाती है तो सज्जाद लोन उसके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे.
कड़ी मशक्कत
भाजपा नेता घाटी में दूसरे राजनेताओं को भी लुभा रहे हैं. रिपोर्टों के मुताबिक पार्टी गुलाम हसन मीर के साथ भी संपर्क में है.
मीर उमर अब्दुल्ला सरकार में मंत्री थे और उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी नेशनलिस्ट पार्टी की शुरुआत की है.
भाजपा की निगाहें बडगाम में खानसाहिब इलाके से विधायक हाकिम यासीन और कुपवाड़ा के लंगट से विधायक इंजीनियर शेख रशीद पर भी है.
काफ़ी मशक्कत के बावजूद जम्मू कश्मीर में सरकार बनाना भाजपा के लिए बेहद मुश्किल है लेकिन पार्टी को पहले के मुकाबले ज़्यादा सीटें मिलने की उम्मीद है.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)