गलत आरोप में ढाई वर्ष जेल में बंद रहे मां-बेटा
रांची: डोरंडा थाना क्षेत्र के भारती कंपाउंड निवासी विकास कुमार और उनकी मां अनीता सिन्हा धोखाधड़ी के गलत आरोप में लगभग ढाई साल तक जेल में बंद रहे. दोनों की रिहाई से संबंधित फैसला बुधवार को न्यायाधीश बीके गौतम की अदालत ने सुनाया. न्यायालय में मामले की सुनवाई के दौरान दोनों के खिलाफ लगाया गया […]
रांची: डोरंडा थाना क्षेत्र के भारती कंपाउंड निवासी विकास कुमार और उनकी मां अनीता सिन्हा धोखाधड़ी के गलत आरोप में लगभग ढाई साल तक जेल में बंद रहे. दोनों की रिहाई से संबंधित फैसला बुधवार को न्यायाधीश बीके गौतम की अदालत ने सुनाया.
न्यायालय में मामले की सुनवाई के दौरान दोनों के खिलाफ लगाया गया धोखाधड़ी का आरोप (भादवि की धारा 420) साबित नहीं हो सका. अभियोजन पक्ष धोखाधड़ी का आरोप साबित करने में विफल रहा. इस वजह से न्यायालय से दोनों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया.
रिहाई से संबंधित आदेश जेल पहुंचते ही जेल प्रशासन ने आवश्यक प्रक्रिया पूरी करने के बाद दोनों को शाम करीब सात बजे रिहा कर दिया. जेल से बाहर निकलने पर विकास कुमार और उसकी मां ने बताया कि पुलिस ने उन पर धोखाधड़ी का गलत आरोप लगाकर न्यायालय में आरोप पत्र समर्पित किया था. विकास कुमार का यह भी कहना है कि उसे और उसके परिवार को झूठे केस में एक साजिश के तहत फंसाया गया था.
यह है मामला
विकास कुमार पेशे से बिल्डर हैं. उनके खिलाफ डोरंडा थाना में वर्ष 2012 में फ्लैट बिक्री करने के नाम पर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया गया था. केस में विकास कुमार के अलावा उनकी मां, पिता और छोटे भाई को भी आरोपी बनाया गया था. विकास कुमार ने बताया कि केस दर्ज करने के बाद पुलिस ने उनकी मां और उसके पिता को तीन जून वर्ष 2012 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. घटना के बाद पुलिस ने विकास की बहन पर विकास को सरेंडर करवाने के लिए दबाव बनाया. जिसके बाद विकास ने 26 जून को न्यायालय में सरेंडर कर दिया. जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था. विकास ने बताया कि जेल जाने के बाद उनके पिता को कुछ दिनों के बाद जमानत मिल गयी थी. इसके साथ ही छोटे भाई को भी केस में जमानत लेनी पड़ी थी. लेकिन दोनों मां और बेटे जेल में बंद थे.