यहां एक माह बसता है सतरंगी संसार

गंगाऔर सरयू नदी के संगम तट पर हर साल लगनेवाले विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला को लेकर एक बड़ा रोचक तथ्य है कि संभवत: यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मेला है, जहां सूई से लेकर हाथी तक उपलब्ध हैं. करीब 20 वर्ग किलोमीटर में फैले इस मेले की भव्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 15, 2014 1:33 AM
गंगाऔर सरयू नदी के संगम तट पर हर साल लगनेवाले विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला को लेकर एक बड़ा रोचक तथ्य है कि संभवत: यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मेला है, जहां सूई से लेकर हाथी तक उपलब्ध हैं. करीब 20 वर्ग किलोमीटर में फैले इस मेले की भव्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मेले के एक छोर से दूसरे छोर तक घूमते-घूमते लोग भले ही थक जायें, लेकिन उनकी उत्सुकता बनी रहती है.
इस भूमि पर लगनेवाले इस मेले को हरिहर क्षेत्र और छत्तर मेले के नाम से भी जाना जाता है. इस मेले को पशु मेले के रूप में विशेष पहचान मिली हुई है.
चिड़िया बाजार
इस बाजार की खास बात यह है कि यहां रंग-बिरंग की चिड़िया तुम्हें देखने को मिलेगी. इसे तुम खरीद कर घर भी ले जा सकते हो. इस बाजार के मालिक अमरकांत सिंह का कहना है कि इस बाजार में चिड़िया की बहुत सारी वेरायटी है. यहां लव बर्ड, कॉक्टेल, फिंच, जावा, कबूतर, बटेर और चाइनीज मुरगी की भरमार है. इन चिड़ियों को देश के अलग-अलग हिस्सों से लाया गया है. इन्हें ट्रेन से लाया जाता है. लोगों के खास आकर्षण का केंद्र बना रहता है यह बाजार. यहां चिड़िया की कीमत 200 से लेकर 3000 रुपये तक है. इस बाजार में खरगोश और तरह-तरह के चूहे भी देखे जा सकते हैं.
घोड़े का बाजार
इस बाजार में देश के कई हिस्सों से घुड़सवारी के शौकीन लोग आते हैं. कुछ यहां घोड़े की प्रदर्शनी लगाने के लिए आते हैं, तो कुछ इनकी खरीद-बिक्री के लिए. यहां घोड़ा रेस का भी आयोजन किया जाता है. यहां कई नस्ल के घोड़े हैं, जैसे- पंजाब, राजस्थान और विशेषकर पुष्कर और अजमेर के घोड़े की प्रदर्शनी इस बार लगी है. घोड़े की कीमत 20 हजार से 75 हजार रुपये है.
डॉगी का बाजार
यहां आनेवाले लोग इस बाजार को देखे बिना नहीं लौटते. सबसे अधिक खरीदारी यहीं होती है. यहां तरह-तरह के डॉगी एक ही जगह एक साथ देखे जा सकते हैं. कुत्तों की वेरायटी में प्रमुख हैं- जर्मन शेफर्ड, पोमेरेनियन, लिब्रा, डोबरमेन, सेंट बर्नार्ड व ग्रेडियन. इनकी कीमत 2500 से 60,000 रुपये है. इन्हें कोलकाता, बेंगलुरु, दिल्ली, सीवान, मुजफ्फरपुर, पटना, भागलपुर, इलाहाबाद, बनारस और कानपुर से लाया जाता है. दूर से आनेवाले कुत्तों को एयरोप्लेन से लाया जाता है.
हाथी बाजार
सोनपुर मेला पुराने जमाने से खासकर हाथियों के लिए ही प्रसिद्ध है. प्राचीनकाल में आस-पास के देशों से लोग इन्हें खरीदने आते थे. अब हाथियों की सिर्फ प्रदर्शनी होती है. इनके परेड का आयोजन रोमांचक है. बच्चे इसे बहुत ही उत्सुकता से देखते हैं.
पारंपरिक खिलौने
जमाना भले इलेक्ट्रॉनिक खिलौनों का हो, मगर हाथ के बने नायाब व खूबसूरत खिलौने की चाह यहीं पूरी हो सकती है. यहां सिर्फ पारंपरिक और हाथों से बने खिलौने ही नजर आते हैं. चाहे वह वेल्वेट पेपर से बनी गुड़िया हो या फिर लकड़ी की बनी गाड़ी या फिर मिट्टी से बने सीटी और लट्ट.
तंबुनुमा स्वीस कॉटेज
पर्यटन विभाग द्वारा बनाये गये ग्रामीण परिवेशवाले लुक के तंबुनुमा कॉटेज का आनंद पर्यटक ग्राम में उठा सकते हैं. पर्यटन विभाग द्वारा बनाये गये पर्यटक ग्राम में कुल 20 कॉटेज हैं. बाहर से देखने में यह जितना आकर्षक है, उतना ही अंदर से अत्याधुनिक सुविधाओं से लैश है. इसके भीतर पढ़ने-लिखने तथा बैठने की अलग से सुविधा है. ग्रामीण लुक देने के उद्देश्य से रोशनी के लिए इसके अंदर इलेक्ट्रानिक लालटेन रखे गये हैं.

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