बढ़ गयी विभीषणों की संख्या
रांची : चुनावी मौसम में चौक-चौराहे गुलजार हैं. चाय-पान की दुकानों पर पुरकस बहस चल रही है. अभी आम लोगों की पूछ बढ़ गयी है. दलों के प्रत्याशी भी उन्हें भाव दे रहे हैं. खास कर दो प्रत्याशियों ने कंजूसी छोड़ दी है. समोसा, मुर्गा, मर-मिठाई किसी के लिए ना नहीं बोल जहां सूचना मिली […]
रांची : चुनावी मौसम में चौक-चौराहे गुलजार हैं. चाय-पान की दुकानों पर पुरकस बहस चल रही है. अभी आम लोगों की पूछ बढ़ गयी है. दलों के प्रत्याशी भी उन्हें भाव दे रहे हैं. खास कर दो प्रत्याशियों ने कंजूसी छोड़ दी है. समोसा, मुर्गा, मर-मिठाई किसी के लिए ना नहीं बोल जहां सूचना मिली कि फलाना विरोधी दल को मदद कर रहा है, तो तत्काल उसे मैनेज किया जा रहा है.
अच्छे दिन वाले तो इस काम में महारत रखते हैं. चौक-चौराहों पर ये लोग कहते फिर रहे हैं कि यदि गंठबंधन वाले जीत गये, तो यह सीट भाजपा के हाथ से लंबी निकल सकती है. इसलिए विभीषणों की संख्या बढ़ गयी है. भाई लोग जमकर इधर की बात उधर कर रहे हैं. कुछ वैसे भी हैं, जिन्हें मौका नहीं मिल रहा है. ऐसे लोग फूल वालों से भाव नहीं मिलने की बात कह कर रूठने का नाटक कर रहे हैं, लेकिन अच्छे दिन वाले कुछ समझदार लोग सब कुछ मैनेज कर अपना काम निकाल रहे हैं. लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र में अभी प्रचार अभियान ने जोर नहीं पकड़ा है. हर कोई चाह रहा है कि उन्हें कोई तो मनाये. वहां तो डबल गेम वालों की चांदी हो गयी है. सुबह को अनाम बाबू के यहां, तो रात का दाना पानी किसी और यहां जुगाड़ लग जा रहा है. हर दिन जेब में हजार-हजार के नोट की आवाज से घरवाली भी खुश. नहीं टोकती कि रात में देर से या पी कर क्यों आ रहे हैं. ये तो सबको पता है..