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चंदवा : 20 हजार से अधिक लोग हो गये बेरोजगार, मोदी की सभा आज

सुनील चौधरी आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस चंदवा में जनता को करेंगे संबोधित, वहां कभी चंदवा को झारखंड की दूसरे औद्योगिक नगरी के रूप में देखा जाने लगा था. रातों-रात घोर नक्सल प्रभावित यह इलाका सुर्खियों में आ गया था. कारण था एस्सार, अभिजीत, टाटा पावर, आर्सेलर मित्तल, आधुनिक जैसी कंपनियां यहां अपना काम आरंभ […]

सुनील चौधरी
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस चंदवा में जनता को करेंगे संबोधित, वहां
कभी चंदवा को झारखंड की दूसरे औद्योगिक नगरी के रूप में देखा जाने लगा था. रातों-रात घोर नक्सल प्रभावित यह इलाका सुर्खियों में आ गया था. कारण था एस्सार, अभिजीत, टाटा पावर, आर्सेलर मित्तल, आधुनिक जैसी कंपनियां यहां अपना काम आरंभ कर चुकी थीं.
एस्सार व अभिजीत पावर प्लांट बना रहा था, तो टाटा पावर व आर्सेलर मित्तल जैसी कंपनी यहां कोल ब्लॉक डेवलप करने जा रही थी. पर अचानक यहां फिर सन्नाटा पसर गया. कंपनियां बंद हो गयीं. कंपनियों के निवेश के पैसे फंस गये और देखते ही देखते 20 हजार से ज्यादा लोग बेरोजगार हो गये. इसी इलाके में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता को संबोधित करनेवाले हैं. लाजिमी है चंदवा के लोगों के साथ-साथ पूरे राज्य की नजरें इस पर होंगी.
रांची : चंदवा एक ऐसा इलाका जहां कभी शाम के समय जाने से लोग डरते थे. अचानक यहां आवाजाही बढ़ने लगी. घुप अंधेरे में रहने वाला चंदवा जगमगाने लगा. यह बात वर्ष 2006 से लेकर वर्ष 2012 तक की है. वजह थी इस इलाके में बड़ी कंपनियों का रूचि लेना. एस्सार, अभिजीत, टाटा पावर, आर्सेलर मित्तल, आधुनिक जैसी कंपनियां अब तक इस क्षेत्र में 15 हजार करोड़ रुपये का निवेश कर चुकी हैं. पावर प्लांट के प्रोजेक्ट फंस जाने से बैंकों के कर्ज भी फंस गये हैं.
आगे क्या होगा यह न तो कंपनी के अधिकारी बता पा रहे हैं और न ही सरकार. एस्सार और अभिजीत सरकार से अपेक्षित सहयोग न मिलने की बात कह रही है. बहरहाल अभिजीत में आज की तिथि में कोई कर्मचारी नहीं है. केवल 20 सुरक्षाकर्मी तैनात हैं. अब स्थानीय लोग यहां से लोहा चोरी कर बेच रहे हैं.
अब शाम छह बजते ही बंद हो जाता है बाजार
वर्ष 2012 तक रात 10-11 बजे तक खुलनेवाला चंदवा बाजार अब शाम छह बजते ही बंद हो जाता है. लोग निराश हैं, जो कल तक नयी-नयी गाड़ियां खरीदते थे आज बेच रहे हैं. 20 हजार से अधिक लोग बेरोजगार हो चुके हैं. कल तक 15 हजार में मकान किराये पर मिलता था. आज 500 रुपये में भी कोई लेने को तैयार नहीं है. राज्य सरकार की ओर से कई पहल नहीं है.
राजनेताओं द्वारा चुनाव के दौरान केवल आश्वासन मिलता है. कॉरपोरेट कंपनी के प्रतिनिधि कन्नी काट रहे हैं. स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि पीएम अब आ रहे हैं. शायद कुछ बदलाव हो. शायद कुछ चमत्कार हो और परी कथा का सपना फिर से पूरा हो जाये. झारखंड में दोबारा औद्योगिक नगरी बस जाये.
बंद होते गये उद्योग
जब अभिजीत व एस्सार ग्रुप का पावर प्लांट निर्माण का कार्य प्रगति पर था. उस वक्त यहां करीब 30 हजार लोग रहते थे. शहर की गतिविधि देर रात तक देखी जाती थी. पिछले दो वर्ष से आर्थिक बदहाली के कारण इन दिनों दोनों प्लांट बंद पड़े हैं. अभिजीत का जहां 90 फीसदी काम पूरा हो गया है, वहीं एस्सार का करीब 30 फीसदी काम पूरा है. कोल गेट का मामला उठने के बाद अभिजीत ग्रुप बंद होने लगा. इसके कर्मचारी एक-एक कर छोड़ कर जाने लगे. वित्तीय संस्थानों ने लोन देना बंद कर दिया. वैश्विक मंदी और जमीन की वजह से एस्सार पावर ने भीअपना काम धीमा कर दिया.
कोल ब्लॉक रद्द होना भी है वजह
चंदवा प्रखंड में ही गणोशपुर कोल ब्लॉक टाटा स्टील व आधुनिक पावर को मिला था. चितरपुर अभिजीत को, चकला व अशोक करकटा एस्सार को, तुबेद टाटा पावर को, सेरेगढ़ा आर्सेलर मित्तल को व रोहिणी जेएसडब्ल्यू को मिला था. इन कंपनियों ने कोल ब्लॉक को डेवलप करने की कार्रवाई आरंभ ही की थी कि कोलगेट का मामला उठा. अब सुप्रीम कोर्ट ने सारे आवंटन रद्द कर दिये हैं. बड़ी कंपनियां अब थम गयीं. इसके कर्मचारी यहां से या तो स्थानांतरित कर दिये या कर्मचारियों ने नौकरी ही छोड़ दी है.
परी कथा की तरह बदला था चंदवा
चंदवा घनघोर नक्सल प्रभावित इलाका था. जहां हर महीने दो महीने में नक्सली घटनाएं होती थी. लोग जाने से भी डरते थे. पर वर्ष 2006 से 2012 तक छह साल का यह वर्ष चंदवा के लिए किसी परी कथा से कम नहीं था. अचानक लोगों के जीवन में बदलाव आने लगा. शाम पांच बजे बंद होने वाला बाजार रात के 10-11 बजे तक खुलने लगा. 24 घंटे में 22 घंटे बिजली मिलने लगी. कारण था कि दो बड़ी कंपनियों के पावर प्लांट का निर्माण कार्य चल रह था.
स्थानीय युवक यहां काम करने लगे थे. जिन्होंने जमीन दी, उन्हें मुआवजे के रूप में 20 लाख से लेकर पांच करोड़ रुपये तक मिले. अचानक लोगों के जीवन में समृद्धि आने लगी. वर्ष 2006 के पहले जहां यहां पर केवल एक ग्रामीण बैंक थी, वहीं अब तीन-तीन बैंक खुल गये. हर तरफ लग्जरी वाहन दिखने लगे. वर्ष 2009 का साल ऐसा था, जब राज्य में सबसे अधिक ट्रैक्टर की बिक्री इसी इलाके में हुई. एक साल में पांच सौ ट्रैक्टर केवल चंदवा प्रखंड में खरीदे गये.

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