एक मैराथन जिसमें शामिल है पूरा भारत
15 अगस्त को देश के जाने-माने मैराथन धावक राज वडगामा ने मुंबई से एक दौड़ शुरू की. नाम दिया ‘भारथॉन’. 120 दिनों में देश भर के चारो कोनों को जोड़ती 10 हजार किमी की यह दौड़ अब अपने अंतिम पड़ाव पर है. क्या है इस दौड़ का मकसद और कैसा रहा राज का अनुभव, आइए […]
15 अगस्त को देश के जाने-माने मैराथन धावक राज वडगामा ने मुंबई से एक दौड़ शुरू की. नाम दिया ‘भारथॉन’. 120 दिनों में देश भर के चारो कोनों को जोड़ती 10 हजार किमी की यह दौड़ अब अपने अंतिम पड़ाव पर है. क्या है इस दौड़ का मकसद और कैसा रहा राज का अनुभव, आइए जानें-
राजीव चौबे
मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए! बॉलीवुड फिल्म ‘उमराव जान’ के एक गाने में यह पंक्ति यूं ही नहीं लिखी गयी होगी. वैसे यह बात 47 वर्षीय राज वडगामा पर बिलकुल सटीक बैठती है. मैराथन कोच और अल्ट्रा-मैराथनर जैसे विशेषणों से अलंकृत राज, भारत भर में 10 हजार किलोमीटर की दौड़ पर निकल चुके हैं. इसे उन्होंने ‘भारथॉन’ का नाम दिया है. इस साल 15 अगस्त को शुरू हुई और चार महीनों तक चलनेवाली राज की इस दौड़ के जरिये देश के पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण, सभी दिशाओं को नापने की योजना है. एक दिन में लगभग 85 किलोमीटर दौड़ कर वह इसे पूरी भी करते जा रहे हैं.
इस मुहिम में राज की जरूरी मदद और यात्रा को रिकॉर्ड करने के लिए उनके पीछे एक एसयूवी में उनकी टीम भी चलती है. इसमें एक डॉक्टर, फिजियोथेरेपिस्ट और उनका ड्राइवर शामिल है. रात के समय रास्ते में पड़नेवाले होटलों में वह आराम कर लेते हैं और अगली सुबह फिर निकल पड़ते हैं, अपने लंबे सफर पर. इस कारनामे के जरिये गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस में अपना नाम दर्ज कराने की इच्छा रखनेवाले राज वडगामा के नाम कई और रिकॉर्डस हैं. मसलन, वह पहले ऐसे भारतीय हैं, जिसने मोटर-गाड़ी के रास्तेवाले दुनिया के सबसे ऊंचे खारदुंग-ला र्दे पर 100 किलोमीटर की दौड़ पूरी की है. इसके अलावा, 30 दिनों में दिल्ली से लेकर मुंबई के बीच 1500 किमी की दौड़ लगाने के लिए उनके नाम राष्ट्रीय रिकॉर्ड है. यही नहीं, 41 घंटे 30 मिनट के भीतर हरियाणा में 220 किमी की सबसे तेज ट्रेल-रनिंग का रिकॉर्ड भी राज के ही नाम है (आम बोल-चाल की भाषा में ऊंची-नीची और आड़ी-तिरछी जगहों पर दौड़ को ट्रेल-रनिंग कह सकते हैं).
अपनी यात्रा के बारे में राज वडगामा कहते हैं कि अगर यह संकल्प पूरा हो जाता है तो यह अपने तरीके का पहला रिकॉर्ड होगा. ऐसा रिकॉर्ड दुनिया में किसी ने नहीं बनाया है. राज आगे बताते हैं कि इस मुहिम में लोग भी उनकी खूब मदद कर रहे हैं. कई लोग और संस्थान उनके होटल व खाने-पीने का खर्च दे देते हैं. लंबी दौड़ के दौरान वे देश के जिस हिस्से से गुजर रहे हैं, उनके आने की खबर उनसे पहले पहुंच जा रही है.
लोग सड़कों पर उनके स्वागत और हौसलाफजाई के लिए खड़े रहते हैं. कई लोग उनका साथ देने के लिए समूह में कुछ किलोमीटर तक दौड़ भी लगाते हैं. युवाओं में तो उनके प्रति आकर्षण देखते ही बनता है. कुछ उनका ऑटोग्राफ लेते हैं, तो कुछ उनके साथ सेल्फी खिंचवाते हैं.
मूल रूप से सौराष्ट्र के सुंदरनगर से ताल्लुक रखनेवाले और फिलहाल अपने परिवार के साथ मुंबई में बस गये राज बताते हैं कि वह इस दौड़ के जरिये युवाओं को दौड़ और फिटनेस के प्रति जागरूक करना चाहते हैं. दौड़ को सबसे सस्ता खेल बतानेवाले राज कहते हैं कि यह आपको फिट रखने का भी सबसे अच्छा जरिया है. राज कहते हैं कि 15 अगस्त को सुबह 6:30 बजे से मुंबई के ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ से शुरू हुई यह दौड़ 120 दिनों तक चलनी है. इस दौरान वह मुंबई, सूरत, बड़ौदा, अहमदाबाद, अजमेर, जयपुर, दिल्ली, अमृतसर, जम्मू, श्रीनगर, कारगिल, लेह, मनाली, शिमला, हरिद्वार, गोरखपुर, गोपालगंज, सिलीगुड़ी, शिलांग, कोलकाता, भुवनेश्वर, चेन्नई, कन्याकुमारी, बेंगलुरु, गोवा, सतारा, पुणो होते हुए वापस मुंबई में दौड़ खत्म करेंगे. सतारा तक की दौड़ उन्होंने पूरी कर ली है और वे अपने लक्ष्य के काफी करीब हैं. खुद को ‘टेक-सेवी’ माननेवाले राज वडगामा बीच-बीच में समय निकाल कर अपनी यात्र से जुड़ी तसवीरों को फेसबुक और ‘भारथॉन’ की वेबसाइट पर अपडेट करते चल रहे हैं.
गौरतलब है कि फिलहाल फ्रांस के सर्ज गेराल्ड के नाम इस तरह का गिनीज रिकॉर्ड है, जिन्होंने एक साल में 27 हजार किमी की दौड़ पूरी की थी. इसके अलावा, कोलकाता के तीर्थ कुमार के नाम एक साल में 22 हजार 500 किमी की दौड़ लगाने का रिकॉर्ड है. लेकिन राज वडगामा कहते हैं कि चार महीनों में 10 हजार किमी की दौड़ सबसे तेज और अपने आप में अनोखी होगी.
अपने 26 साल के कैरियर में अब तक कई मैराथन, हाफ-मैराथन और अल्ट्रा-मैराथनों में भाग ले चुके राज वडगामा कई धावकों को ट्रेनिंग देते हैं. वह बताते हैं कि उनसे सीखनेवालों में 16 साल से लेकर 60 साल तक की उम्र वाले लोग शामिल हैं. आनेवाले दिनों में एक मैराथन ट्रेनिंग अकादमी खोलने की भी राज की योजना है, जहां 12 से 18 साल की उम्र वाले युवाओं को मुफ्त ट्रेनिंग दी जायेगी, ताकि वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में अपने राज्य और देश के लिए पदक जीतें. दौड़ को अपनी जिंदगी बतानेवाले राज कहते हैं कि मैं दौड़ में भारत को ऊंचे स्थान पर देखना चाहता हूं. यह ऐसा खेल है जिसके लिए आपको किसी खास योग्यता या पैसे की जरूरत नहीं होती है और न ही किसी से आगे रहने का दबाव. आपको बस अपनी दौड़ पूरी करनी होती है और इसमें हर कोई जीतता है.