भाजपा को भरोसा, फिर नमो पार लगायेंगे नैया

सतीश कुमार रांची : झारखंड में पहले चरण का चुनाव पलामू प्रमंडल के साथ गुमला और लोहरदगा के 13 विधानसभा सीटों पर 25 नवंबर को होना है. रविवार को प्रचार थम गया. अब जनता के वोट की बारी है. चुनाव से पहले भाजपा की ओर से समाजवादियों के गढ़ में पैठ बनाने के लिए स्टार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 24, 2014 2:27 AM

सतीश कुमार

रांची : झारखंड में पहले चरण का चुनाव पलामू प्रमंडल के साथ गुमला और लोहरदगा के 13 विधानसभा सीटों पर 25 नवंबर को होना है. रविवार को प्रचार थम गया. अब जनता के वोट की बारी है. चुनाव से पहले भाजपा की ओर से समाजवादियों के गढ़ में पैठ बनाने के लिए स्टार प्रचारकों की 50 से अधिक चुनावी सभाएं करायी गयी. शुक्रवार को नरेंद्र मोदी ने डाल्टेनगंज और चंदवा में सभा को संबोधित कर प्रत्याशियों और कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाया. भाजपा भरोसा है कि इनकी नैया नरेंद्र मोदी पार लगा देंगे. जिन इलाकों में पहले चरण का चुनाव होना है, उसमें भाजपा की पकड़ अच्छी नहीं रही है. पिछले दो विधानसभा चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि यहां पर राजद और जदयू का कब्जा रहा है. वर्ष 2005 और 2009 के चुनाव में जदयू के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ी. इन इलाकों की ज्यादा सीटें जदयू के हिस्से में दी गयी थी. इस बार परिस्थिति बिल्कुल अलग है. भाजपा और जदयू दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं. इधर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ रवींद्र राय दावा कर रहे हैं कि पहले चरण के चुनाव में पार्टी को कम से कम 10 सीटों पर जीत मिलेगी.

कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दावं पर

पहले चरण के चुनाव में राजद के प्रदेश अध्यक्ष गिरिनाथ सिंह समेत कई पूर्व मंत्रियों की मंत्रियों की प्रतिष्ठा भी दावं पर लगी है. चतरा सीट से राजद के जनार्दन पासवान, पांकी से विदेश सिंह, डालटेनगंज से मंत्री केएन त्रिपाठी, भवनाथपुर से पूर्व मंत्री भानु प्रताप शाही, गढ़वा से राजद के प्रदेश अध्यक्ष गिरिनाथ सिंह चुनाव मैदान में हैं.

पिछले दो चुनावों में भाजपा की स्थिति

झारखंड गठन के बाद दो बार विधानसभा के चुनाव हुए हैं. वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में इन इलाकों से भाजपा को सिर्फ दो सीटें मिली थी. भाजपा के सहयोगी जदयू को भी दो सीट मिली थी. वहीं दूसरी तरफ राजद को इन इलाकों में पांच सीट हासिल हुई थी. कांग्रेस, एनसीपी, झामुमो और फारवर्ड ब्लॉक को एक-एक सीट मिली थी. वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में इन इलाकों में समाजवादी राजनीति की पकड़ कमजोर हुई, लेकिन इसका लाभ झाविमो और आजसू जैसे नये दलों और निर्दलीयों ने उठाया. भाजपा इसका लाभ उठाने से वंचित रह गयी थी. वर्ष 2009 में भाजपा को यहां से तीन और जदयू को सिर्फ एक सीट से संतोष करना पड़ा था. वहीं कांग्रेस को तीन और राजद को दो सीट मिली थी. आजसू, झाविमो और दो निर्दलीय चमरा लिंडा और विदेश सिंह को एक-एक सीट मिली थी.

पांच सीटों पर दूसरे दलों से आये प्रत्याशी पर जताया भरोसा

भाजपा ने इस क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए 13 विधानसभाओं में से पांच सीटों पर दलबदलुओं पर भरोसा जताया है. एनडीए गंठबंधन में एक सीट आजसू को दी गयी है. चतरा सीट से जय प्रकाश सिंह भोक्ता को उम्मीदवार बनाया है, जो चुनाव से ठीक पहले झाविमो में थे. पिछले विधानसभा चुनाव में जय प्रकाश सिंह भोक्ता बगल की सीट सिमरिया से विधायक थे. वहां से अपनी स्थिति बेहतर नहीं देख चतरा से चुनाव लड़ने का फैसला किया. विश्रमपुर सीट से भाजपा ने रामचंद्र चंद्रवंशी को उम्मीदवार बनाया है, जो राजद में थे. वर्ष 2005 के चुनाव में राजद के टिकट पर ही उन्होंने जीत हासिल की थी. छत्तरपुर से भाजपा ने राधाकृष्ण को उतारा है. ये पुराने कांग्रेसी हैं. जदयू के टिकट पर 2005 का चुनाव जीता था. गढ़वा की सीट पर भाजपा ने सत्येंद्र नाथ तिवारी को उम्मीदवार बनाया है, जो पिछला चुनाव झाविमो के टिकट पर जीते थे. इसी प्रकार भवनाथपुर से भाजपा के अनंत प्रताप देव को उम्मीदवार बनाया गया है, जो कांग्रेस से उम्मीदवार घोषित होने के बाद पाला बदल कर भाजपा में शामिल हो गये.

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