जो आपके बस में नहीं उसका शोक क्या मनाना

।।दक्षा वैदकर।।ऑफिस के रास्ते में मोहम्मद रफी का गाया एक गीत मेरे कानों में पड़ा. आपने भी इस गीत को कई बार सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी इसके अर्थ को गहराई से समझने की कोशिश की है? अगर नहीं की, तो आज गौर फरमाइये. आप भी मेरे साथ कहेंगे कि साहिर लुधियानवी ने भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:53 PM

।।दक्षा वैदकर।।
ऑफिस के रास्ते में मोहम्मद रफी का गाया एक गीत मेरे कानों में पड़ा. आपने भी इस गीत को कई बार सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी इसके अर्थ को गहराई से समझने की कोशिश की है? अगर नहीं की, तो आज गौर फरमाइये. आप भी मेरे साथ कहेंगे कि साहिर लुधियानवी ने भी क्या खूब लिखा है- ‘मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया, हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया. जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया, जो खो गया मैं उसको भुलाता चला गया.’ आप इसका अर्थ समङो? यह कहता है कि जो फिक्र, जो परेशानी मुङो मिली है, मैं उसको बदल तो नहीं सकता, लेकिन मैं अपनी सोच को थोड़ा बदल कर, उस दुख को कम जरूर कर सकता हूं.

उदाहरण के लिए, मेरे पास 10 करोड़ रुपये नहीं है कि मैं पिज्जा हट की फ्रेंचाइजी ले सकूं, लेकिन मेरे पास एक हजार रुपये तो हैं. मैं उसी से नीबू पानी की दुकान डालूंगा. मैं इतना अधिक नीबू पानी बेचूंगा कि 10 साल में मेरे पास 10 करोड़ आ जायें और मैं तब फ्रेंचाइजी ले सकूं. मैं उन लोगों की तरह नहीं बनूंगा, जो असफल होने के बहाने तलाशते हैं. मैं यह नहीं कहूंगा कि मेरे पास यह नहीं है, वह नहीं है. मेरा रंग काला है, मेरी लंबाई कम है, मेरे पिता कमाते नहीं है, मेरी मां सौतेली है, मेरी जाति की वजह से दिक्कत है, मेरी शिक्षा ही कम है- मैं ऐसा कोई बहाना नहीं बनाऊंगा. क्योंकि मैं जो कुछ हूं, उसका जिम्मेवार खुद हूं.

साहिर लुधियानवी आगे फरमाते हैं, ‘बरबादियों का सोग(शोक) मनाना फिजूल था, बरबादियों का जश्न मनाता चला गया, हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया.’ इसका अर्थ है कि भले ही मैं फेल हो गया, मेरा बिजनेस में नुकसान हो गया, मेरा एक्सीडेंट हो गया, पैर पर प्लास्टर चढ़ गया, बेटा छोड़ कर चला गया, बॉस ने नौकरी से निकाल दिया, इंक्रीमेंट नहीं हुआ, लेकिन मैं इन चीजों का दुख ले कर नहीं बैठूंगा.

दुख मनाना समय को और बरबाद करना है. मैं उस दुख में भी मुस्कुराऊंगा. जश्न मनाऊंगा. वे आगे यह भी लिखते हैं- ‘गम और खुशी में फर्क न महसूस हो जहां, मैं दिल को उस मुकाम पे लाता चला गया.’ अर्थ तो आप समझ ही गये होंगे. आप भी बस ऐसा ही नजरिया रखें और यह गीत गुनगुनाते रहें.
बात पते कीः-
-जिंदगी में सुख के बाद दुख आयेगा ही आयेगा. हर चीज आपकी मर्जी से नहीं चल सकती. उसका दुख लेकर बैठे रहेंगे, तो सिर्फ वक्त बरबाद करेंगे.
-तकदीर से ज्यादा किसी को कुछ नहीं मिल सकता. किसी चीज को पाने के लिए मेहनत जरूर करें. लेकिन अगर वह न मिले, तो परेशान न हों.

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