15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

दिग्गजों को भी देखना पड़ा है हार का मुंह

संजय रांची : चुनावी में हार-जीत तो होती रहती है. कई बार किसी पार्टी के कुछ बड़े नेताओं को भी हार का मुंह देखना पड़ता है. पर, कांग्रेस इस मायने में ज्यादा दुर्भाग्यशाली है. राज्य बनने के बाद अब तक के सभी चुनावों में यह हुआ है. वर्ष 2009 में कांग्रेसी विधायकों की संख्या तो […]

संजय
रांची : चुनावी में हार-जीत तो होती रहती है. कई बार किसी पार्टी के कुछ बड़े नेताओं को भी हार का मुंह देखना पड़ता है. पर, कांग्रेस इस मायने में ज्यादा दुर्भाग्यशाली है. राज्य बनने के बाद अब तक के सभी चुनावों में यह हुआ है. वर्ष 2009 में कांग्रेसी विधायकों की संख्या तो बढ़ी (नौ से 14) लेकिन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बलमुचु व विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष आलमगीर आलम तक चुनाव हार गये थे.
बतौर नेता विरोधी दल मनोज यादव भी चुनाव हार गये थे. वहीं पांच पूर्व विधायकों की भी नैया डूब गयी थी. चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हुए स्टीफन मरांडी व राधाकृष्ण किशोर को भी हार का मुंह देखना पड़ा था.
स्टीफन इससे पहले छह बार विधायक रह चुके थे. यानी उनके 30 साला राजनीतिक सफर की यह पहली हार थी. उस बार के चुनाव में केंद्र में रहे रामेश्वर उरांव भी मनिका विधानसभा सीट से हार गये थे. इससे पहले 2005 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के जमे-जमाये नेता राजेंद्र सिंह, फुरकान अंसारी, सावना लकड़ा, बागुन सुंब्रई, थियोडोर किड़ो व चंद्रशेखर दुबे
हारे थे.
हालांकि आलमगीर आलम, मनोज कुमार यादव, प्रदीप बलमुचु व नियेल तिर्की जैसे कांग्रेसी अपनी सीटें बचाने में सफल रहे थे. इस बार के चुनाव में कांग्रेसी विधायकों की संख्या भी घट गयी थी. वर्ष 2000 के चुनाव में कुल 11 कांग्रेसी प्रत्याशियों की जीत हुई थी, पर 2005 के चुनाव में कांग्रेस के नौ विधायक ही सदन पहुंचे थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें