धौनी नहीं दे सकेंगे वोट!

रांची : टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी विधानसभा चुनाव में वोट नहीं कर सकेंगे. भारत के चुनाव आयोग के ब्रांड एंबेसडर होने के बावजूद धौनी अपने विधानसभा में मताधिकार का प्रयोग नहीं कर सकेंगे. धौनी को 12 दिसंबर से होनेवाले एडिलेट टेस्ट मैच का हिस्सा होने के कारण ऑस्ट्रेलिया जाना होगा. चुनाव आयोग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 29, 2014 4:37 AM

रांची : टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी विधानसभा चुनाव में वोट नहीं कर सकेंगे. भारत के चुनाव आयोग के ब्रांड एंबेसडर होने के बावजूद धौनी अपने विधानसभा में मताधिकार का प्रयोग नहीं कर सकेंगे. धौनी को 12 दिसंबर से होनेवाले एडिलेट टेस्ट मैच का हिस्सा होने के कारण ऑस्ट्रेलिया जाना होगा.

चुनाव आयोग ने अपने ब्रांड एंबेसडर को मताधिकार हासिल करने में सहायता करने के लिए कुछ नहीं किया है. अब तक निर्धारित नियमों के मुताबिक धौनी को पोस्टल बैलेट के जरिये मतदान की सुविधा नहीं मिलेगी. मतदान के लिए सशरीर उपस्थिति जरूरी है. रांची में नहीं होने के कारण धौनी जेवीएम श्यामली स्थित अपने बूथ पर जाकर मतदान करने की स्थिति में नहीं होंगे.

* एनआरआइ होते, तो मिलता पोस्टल वोट

अगर महेंद्र सिंह धौनी विदेश में रहने वाले भारतीय (एनआरआइ) के रूप में सूचीबद्ध होते, तब वह पोस्टल बैलेट के जरिये अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकते थे. पोस्टल बैलेट के जरिये मतदान का अधिकार केवल बाहर पदस्थापित सरकारी कर्मचारियों, सैनिकों और विदेश में रहने वाले भारतीयों को ही है. इनके अलावा हर किसी का मतदान के लिए सशरीर उपस्थित होना जरूरी है. हालांकि चुनाव आयोग चाहे तो अपने ब्रांड एंबेसडर के लिए नियमों को शिथिल कर धौनी को पोस्टल वोट के जरिये मताधिकार दिला सकता है, परंतु अब तक आयोग ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है.

* चुनाव कार्य में लगे पदाधिकारी पहले ही कर देते हैं मतदान

चुनाव कार्य में लगे पदाधिकारी और कर्मचारी इवीएम पर मतदान नहीं करते हैं. वह मतदान के लिए निर्धारित तिथि के पहले ही अपने मताधिकार का प्रयोग कर लेते हैं. चुनाव कार्य के प्रशिक्षण के दौरान चुनाव कार्य में लगे पदाधिकारियों को पोस्टल बैलेट उपलब्ध करा दिया जाता है. प्रशिक्षण स्थल पर मतदान के लिए एक बक्सा भी रखा जाता है. हालांकि पोस्टल बैलेट के जरिये तुरंत मतदान की कोई बाध्यता नहीं है. फिर भी, लगभग सभी पदाधिकारी और कर्मचारी प्रशिक्षण के दौरान अपना वोट देकर पोस्टल बैलेट मतपेटी में डाल देते हैं. बाद में जिला प्रशासन द्वारा मत पेटी सील कर मतगणना के दिन खोली जाती है.

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