नेल्सन के जीवन पर गांधी जी का प्रभाव

दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद नीति का अंत करनेवाले नेल्सन मंडेला का अपने देश में वही स्थान है, जो भारत में महात्मा गांधी को प्राप्त है. उन्होंने रक्तहीन क्रांति कर अश्वेत अफ्रीकी लोगों को उनका हक दिलाया. गांधी जी की तरह उनका भी मानना था कि किसी समस्या का हल हिंसा से नहीं किया जा सकता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 1, 2014 1:52 PM
दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद नीति का अंत करनेवाले नेल्सन मंडेला का अपने देश में वही स्थान है, जो भारत में महात्मा गांधी को प्राप्त है. उन्होंने रक्तहीन क्रांति कर अश्वेत अफ्रीकी लोगों को उनका हक दिलाया. गांधी जी की तरह उनका भी मानना था कि किसी समस्या का हल हिंसा से नहीं किया जा सकता है.
विद्यार्थी जीवन में उन्हें प्रतिदिन याद दिलाया जाता था कि उनका रंग काला है और सिर्फ इसी वजह से वह फलां काम नहीं कर सकते. उन्हें रोज इस बात का एहसास करवाया जाता कि अगर वे सीना तान कर सड़क पर चलेंगे, तो इस अपराध के लिए उन्हें जेल जाना पड़ सकता है.
ऐसे अन्याय ने उनके अंदर असंतोष भर दिया. उनके अंदर एक क्रांतिकारी तैयार हो रहा था. उन्होंने हेल्डटाउन से अपनी स्नातक शिक्षा पूरी की. हेल्डटाउन अश्वेतों के लिए बनाया गया एक विशेष कॉलेज था. यहीं पर उनकी मुलाकात ऑलिवर टॉम्बो से हुई, जो जीवन भर के लिए उनके दोस्त और सहयोगी बने.
शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार
यह वह दौर था जब पूरी दुनिया गांधी से प्रभावित हो रही थी, नेल्सन भी उनमें से एक थे. वैचारिक रूप से वह स्वयं को गांधी के नजदीक पाते थे और यह प्रभाव उनके द्वारा चलाये गये आंदोलनों पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था. मंडेला ने अपने जीवन में बार-बार गांधीवादी विचारधारा की बात की है.
सत्याग्रह शुरू होने के 100 साल बाद 2007 में नयी दिल्ली में हुए सम्मेलन में अपने विडियो संदेश में मंडेला ने कहा, ‘दक्षिण अफ्रीका के शांतिपूर्ण बदलाव में गांधी की विचारधारा का योगदान छोटा नहीं है. उनके सिद्धांतों के बल पर ही दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की बेकार नीति के कारण जो समाज में गहरा भेदभाव था, वह खत्म हो सका.’ गांधी जी की तरह उनका भी मानना था कि शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है, जिसका इस्तेमाल विश्व को बदलने में किया जा सकता है.
हंसमुख स्वभाव
नेल्सन मंडेला हमेशा रंगीन छींटदार शर्ट पहनते थे, उसी तरह से उनका स्वभाव भी था. वे हमेशा हंसमुख और मजाकिया रहते थे. एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि मुङो इस बात का बहुत अफसोस रहेगा कि मैं मुक्केबाजी में विश्व चैंपियन का खिताब नहीं जीत पाया. उनके मजाकिया स्वभाव के कारण ही मीडिया से उनका बहुत अच्छा संबंध था.
वे फोटोग्राफर को फ्लैश करने के लिए मना करते थे. उनका कहना था कि कारावास के दौरान चूना पत्थर खदान में काम करने की वजह से उनकी आंखों की रोशनी कमजोर हो गयी. अंतिम बार उन्हें 2014 में विश्व कप फुटबॉल मैच के दौरान सार्वजनिक स्थल पर देखा गया था. 5 दिसंबर, 2013 को उनका निधन हो गया.
पूरा नाम : नेल्सन रोहिल्हाला मंडेला
जन्म : 18 जुलाई, 1918, केपटाउन, दक्षिण अफ्रीका में
परिवार : उनके परिवार का संबंध क्षेत्र के शाही परिवार से था.
उनका संघर्ष :
– 1940 में कॉलेज की पढ़ाई के दौरान राजनीतिक विचारधारा के
कारण काफी चर्चित रहे.
– 1951 में यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये.
– 1952 में रंगभेद का विरोध करते हुए मंडेला पूरी दुनिया में स्वतंत्रता एवं
समानता के प्रतीक बने.
– 1960 में संयुक्त राष्ट्र ने अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस को आतंकवादियों की सूची में डाल दिया था.
– 1962 में नेल्सन मंडेला को गिरफ्तार कर लिया गया.
– 1964 में उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गयी. सजा के लिए उन्हें रॉबिन द्वीप पर भेजा गया.
– 1990 में 27 वर्ष तक कैद में बिताने के बाद उनकी रिहाई हुई. त्न1994 में पहले अश्वेत राष्ट्रपति चुने गये.
– 2004 में राजनीति से संन्यास.
उनके अलग-अलग नाम
नेल्सन मंडेला को कई नामों से जाना जाता है. हर एक नाम का अपना एक अर्थ है, एक कहानी है.
रोहिल्हाला : यह मंडेला का जन्म नाम है. इसिकोसा भाषा में इसका मतलब है, पेड़ की डाल को खींचना, लेकिन बोलचाल में यह नटखट बच्चे के लिए भी प्रयोग होता है. उनके पिता ने यह नाम दिया था.
नेल्सन : मंडेला को स्कूल में पहले ही दिन उनकी टीचर मिस मदिगेन ने यह नाम दिया. दक्षिण अफ्रीका में उन दिनों अंगरेजी नाम देने का ट्रेंड था.
मदीबा : यह मंडेला के कबीले का नाम है. अफ्रीका में कबीले का नाम उपनाम से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस से व्यक्ति के पूर्वजों की जानकारी मिलती है.
टाटा : इसीकोसा भाषा में इसका मतलब होता है पिता. दक्षिण अफ्रीका के लोग प्यार से मंडेला को ‘टाटा’ भी बुलाते थे.
खुलु : मंडेला को अक्सर खुलु नाम से भी बुलाया जाता था. इसका मतलब होता है महान. वहां की भाषा में इसे दादाजी के लिए भी प्रयोग किया जाता है.
दलिभुंगा : मंडेला के 16 वर्ष पूरे होने पर पारंपरिक आयोजन में उन्हें यह नाम दिया गया. इसका अर्थ है- परिषद की स्थापना करनेवाला.

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