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छात्र अब खुद चुन सकेंगे, क्या है पढ़ना

आसनसोल: सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसइ) एकेडमिक सेशन 2013-14 से वोकेशनल कोर्सेस की शुरु आत करने जा रहा है. इसके मुताबिक 9वीं-10वीं और 11वीं-12वीं के स्टूडेंट्स अपनी चुनी गयी स्ट्रीम में से कोई एक विषय हटा कर वोकेशनल कोर्स का कोई विषय चुन सकते हैं. 9वीं-10वीं के लिए यह एडिशनल हैं और 11वीं-12वीं के […]

आसनसोल: सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसइ) एकेडमिक सेशन 2013-14 से वोकेशनल कोर्सेस की शुरु आत करने जा रहा है. इसके मुताबिक 9वीं-10वीं और 11वीं-12वीं के स्टूडेंट्स अपनी चुनी गयी स्ट्रीम में से कोई एक विषय हटा कर वोकेशनल कोर्स का कोई विषय चुन सकते हैं. 9वीं-10वीं के लिए यह एडिशनल हैं और 11वीं-12वीं के लिए इलेक्टिव. यह कम्पलसरी बिल्कुल नहीं है. स्टूडेंट्स और स्कूल्स अपनी च्वॉइस से ही फैसला लेंगे.

11वीं में छात्र अधिकतम दो वोकेशनल सब्जेक्टस चुन सकेंगे. इस तरह पांच सब्जेक्ट का कॉम्बिनेशन पूरा होगा. इसका अर्थ यह है कि यदि कोई स्टूडेंट साइंस ग्रुप में से केमेस्ट्री नहीं पढ़ना चाहता है, तो वह उसकी जगह मास कम्यूनिकेशन विषय ले सकता है. ऐसे ही स्टूडेंट कॉमर्स ग्रुप में से इकोनॉमिक्स नहीं पढ़ना चाहता है, तो वह उसकी जगह मास कम्यूनिकेशन ले सकता है. मैथ्स की जगह स्टूडेंट अकाउंटिंग एंड ऑडिटिंग विषय
पढ़ सकता है. इसके लिए उन्हें

अलग से कोई फीस नहीं
देनी होगी. हालांकि अभिभावकों के अनुसार छात्र यदि प्रतियोगी परीक्षा देना चाह रहा है, तो उसे मेन सब्जेक्ट को रिप्लेस नहीं करना चाहिए. वैसे जो छात्र प्रतियोगी परीक्षा देना चाहते हैं, वो खुद ऐसा नहीं करेंगे. छात्रों का कहना है कि इस व्यवस्था के लागू होने से टफ सब्जेक्ट के साथ अपनी पसंद का सब्जेक्ट पढ़ने का मौका मिलेगा, तो टेंशन कम होगा.

सारी चीजें कठिन हो जाने से बहुत प्रेशर फील होता है. जो छात्र मास कॉम में ग्रेजुएशन करना चाहते हैं, उनके लिए यह अच्छा है. इसका नका रात्मक पक्ष यह है कि जो छात्र 11वीं कक्षा में तय नहीं कर पाते कि उन्हें किस क्षेत्र में कैरियर बनाना है. यह उनके लिए नुकसानदायक भी हो सकता है. छात्र टफ सब्जेक्ट से छुटकारा पाने के लिए वोकेशनल सब्जेक्ट लेना शुरू कर देंगे, बाद में उन्हें परेशानी हो सकती है. लेकिन प्राचार्यो का मानना है कि सीबीएसइ का यह निर्णय बहुत अच्छा है कि छात्र अपनी पसंद का सब्जेक्ट चुनें. हालांकि अभी इसे स्कूलों में कम्पलसरी नहीं किया गया है.

जो स्कूल इसे अपनाना चाहें, अपना सकते हैं. इसे अपनाने के लिए पहले स्कूल में उस विषय के टीचर की व्यवस्था करना होगी. विभिन्न स्कूलों में इस विषय पर चर्चा चल रही है. अगले साल शायद कुछ स्कूल इसे अपना लें. उन्होंने कहा कि ऐसे कई छात्र होते हैं, जो मैथ्स लेने के बाद कॉमर्स में शिफ्ट हो जाते हैं. ऐसे छात्रों को अचानक कॉमर्स में शिफ्ट होने से परेशानी आती है. अगर वे मैथ्स के साथ अकाउंटिंग एंड ऑडिटिंग लेंगे, तो उन्हें कॉमर्स में कैरियर बनाने में दिक्कत नहीं आयेगी.

प्राइवेट स्कूल चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष शमायल अहमद ने कहा कि सीबीएसइ ने यह निर्देश दे दिया है, लेकिन हमेशा की तरह इसे विभिन्न राज्यों में पहुंचते-पहुंचते वक्त लगेगा. लगभग पांच-छह महीने बाद ही यह यहां आ पायेगा. इस साल स्टूडेंट्स शायद ही इसका लाभ उठा पायेंगे.

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