सेंट्रल डेस्क
लगातार मौसम की मार ङोल रहे महाराष्ट्र के एक किसान ने शुक्रवार की रात आत्महत्या कर ली. उसने तुअर के खेत के बीच में अपनी चिता सजायी, उस पर लेट गया और खुद से आग लगा कर अपने जीवन का अंत कर लिया. घटना पश्चिमी विदर्भ के अकोला जिले के मनारखेड गांव की है. 76 साल के हताश और निराश किसान काशीराम इनडोरे को फसल चौपट होने के कारण यह कदम उठाना पड़ा. जिस बुजुर्ग से गांव के सभी लोग सलाह लेते थे, उसी के इस कदम से पूरा गांव सन्न है.
काशीराम को एक एकड़ खेत में कम से कम 10 क्विंटल सोयाबीन की उपज की उम्मीद थी. हाथ आयी सिर्फ डेढ़ क्विंटल. फिर तुअर में भी इल्लियां नजर आयीं, तो उनका हौसला टूट गया. इस बुजुर्ग पर किसी बैंक का कोई कर्ज नहीं था. लेकिन, फसल बार-बार चौपट हो रही थी. इस बार ऐसा सूखा पड़ा कि अगले मॉनसून तक गुजारा मुश्किल लगने लगा. काशीराम के अलावा और भी ऐसे किसान हैं, जिनकी फसलें बरबाद हुई हैं. बड़ी संख्या में किसान आत्महत्या भी कर रहे हैं.
कभी कर्ज नहीं लिया
काशीराम के बेटे सारंगधर (45) ने कहा, ‘पिताजी कर्ज के जाल में नहीं फंसना चाहते थे. सो एक पैसा किसी से कभी कर्ज नहीं लिया. कुछ वर्ष पहले हम भाइयों के बीच एक-एक एकड़ जमीन का बटवारा कर दिया. एक एकड़ जमीन अपने लिए रखी.वह आत्महत्या कर लेंगे, किसी ने सोचा भी नहीं था.’
मिट्टी की नमी हुई खत्म : क्षेत्र में सिंचाई का कोई साधन नहीं है. बारिश देर से हुई. 7,000 गांवों को सूखाग्रस्त घोषित करना पड़ा. किसानों का कहना है कि मिट्टी की नमी भी खत्म हो गयी है.
केंद्र से मांगे 4,000 करोड़ : किसानों की खुदकुशी का मुद्दा समय-समय पर उठता है, लेकिन राज्य सरकारें ऐसे मामलों में भी सियासत करने से नहीं चूकतीं. नयी सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए केंद्र से 4,000 करोड़ रुपये की मदद मांगी है.