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मैदान में गंठबंधन नहीं, परदे के पीछे मिला रहे हाथ

विरोधियों को शिकस्त देने के लिए कई सीटों पर प्रत्याशी अंदर से हुए एकजुट सीटिंग विधायकों की मदद के लिए उतरे हैं स्पांसर उम्मीदवार रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव में शह-मात का खेल चल रहा है. एक -दूसरे का रास्ता रोकने के लिए प्रत्याशी दावं चल रहे हैं. चुनावी मैदान में पार्टियों का गंठबंधन नहीं […]

विरोधियों को शिकस्त देने के लिए कई सीटों पर प्रत्याशी अंदर से हुए एकजुट

सीटिंग विधायकों की मदद के लिए उतरे हैं स्पांसर उम्मीदवार

रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव में शह-मात का खेल चल रहा है. एक -दूसरे का रास्ता रोकने के लिए प्रत्याशी दावं चल रहे हैं. चुनावी मैदान में पार्टियों का गंठबंधन नहीं है, लेकिन परदे के पीछे हाथ मिलाने का खेल जारी है. जातीय समीकरण को देखते हुए विरोधियों के लिए चुनौती बनायी जा रही है. किसी खास क्षेत्र में किसी जाति की संख्या ज्यादा है, तो वहां खेल बिगाड़ने के लिए स्पांसर उम्मीदवार उतारे जा रहे हैं. ऐसी कई सीटें हैं, जहां एक खास जाति के वोट में सेंधमारी के लिए तीन से चार प्रत्याशियों को उतारा गया है.

जमीन में ताकत नहीं है, लेकिन खास जाति के वोट में दरार के लिए प्रयोजित उम्मीदवार उतारे गये हैं. दक्षिणी-उत्तरी छोटानागपुर और कोयलांचल के कई सीटों पर यह खेल चल रहा है. उत्तरी छोटानागपुर के एक सीट पर सीटिंग महिला उम्मीदवार हैं. खास जाति में इनकी पकड़ है. सामने एक मजबूत प्रत्याशी को रोकने के लिए एक जाति से दो-तीन उम्मीदवार खड़े हैं. इधर, दक्षिणी छोटानागपुर के एक सीट पर धाकड़ नेता चुनाव लड़ रहे हैं. विरोधी के राह में कांटा बिछाने के लिए जाति विशेष के कई उम्मीदवार मैदान में उतार दिये गये हैं.

परदे के पीछे पार्टियां भी हैं मिली

दो क्षेत्रीय दलों में गंठबंधन नहीं हुआ. इन दलों के नेताओं ने गंठबंधन की कोशिश भी की थी. अब इन दोनों दलों के बीच प्रत्याशी उतारने में खूब छन रही है. एक -दूसरे को मदद करने के लिए प्रत्याशी उतारे गये हैं. क्षेत्रीय दलों के बड़े नेताओं ने एक दूसरे की मदद की. संताल परगना से एक क्षेत्रीय दल के नेता ने अपने यहां तरीके से सामने वाले पार्टी से चुनावी समीकरण में मदद हो, ऐसे प्रत्याशी को उतरवा लिया. उधर, दूसरी जगह अपनी पार्टी के कमजोर उम्मीदवार को दे दिया.

प्रचार से दूर, बार्गेन की राजनीति

प्रयोजित प्रत्याशी प्रचार से दूर रहते हैं. विधानसभा चुनाव में जीत के लिए पसीना नहीं बहाते. जातीय गोलबंदी की हवा से जो वोट मिला, उस पर संतोष कर लिया. लेकिन बार्गेन की राजनीति में माहिर हैं. मजबूत दावेदार से बात बन गयी, तो कमाई हो गयी. कोल्हान के दो सीटों पर एक राष्ट्रीय पार्टी के प्रत्याशी ने यही खेल किया. पार्टी परेशान है कि उसके उम्मीदवार चुनाव में मन नहीं लगा रहे हैं. चर्चा है कि कोल्हान के इन उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ने के लिए मजे से चंदा भी जम कर किया.

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