रांची : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह ने नक्सलियों से हिंसा छोड़ भाजपा जैसी सांप्रदायिक ताकतों को हराने में सहयोग करने को कहा. उन्होंने नक्सलियों से कहा है कि वे हिंसा छोड़ प्रजातांत्रिक व्यवस्था में आयें. गरीब,आदिवासी, दलितों की लड़ाई प्रजातांत्रिक व्यवस्था में रह कर करें. श्री सिंह गुरुवार को कांग्रेस भवन में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे.
श्री सिंह ने कहा कि कहा कि झारखंडवासी यहां के नैसर्गिक साधनों को निजी हाथों में नहीं जाने दें. यह बड़े उद्योगपतियों के हाथों में न जाये. उन्होंने कोल ब्लॉक आवंटन को पूरी तरह रद्द करने पर आपत्ति जतायी. उन्होंने कहा: विधिवत आवंटन को रद्द करना भारतीय अर्थव्यवस्था के हित में नहीं है. उन्होंने कहा कि कोल ब्लॉक आवंटन पर कैग ने रिपोर्ट दिया कि इसकी नीलामी नहीं होने से 1.80 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. बाद में इसे कहा जाना लगा कि 1.80 लाख करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है.
उन्होंने स्पष्ट किया कि तब नीलामी का कानून नहीं था. नीलामी का अधिकार नहीं था, इसलिए नीलामी नहीं हुई थी. पर प्रधानमंत्री चाहते थे कि आवंटन पूरी तरह पारदर्शी हो. नीलामी के लिए कानून 2011 में बनी. अब नीलामी का अधिकार है, पर भाजपा सरकार चाहती है कि नैसर्गिक साधनों, खास कर कोयला खदानों को निजी हाथों में सौंपा जाये. कांग्रेस इसके पक्ष में नहीं है. यदि इसका निजीकरण हुआ, तो भार उपभोक्ताओं पर आयेगा.
भ्रष्टाचारी बने हैं मंत्री
दिग्विजय सिंह ने कहा: गुजरात में भ्रष्टाचार के लिए पांच साल की सजा पाये को भी मंत्री बनाया गयाहै. कोर्ट से स्टे की बात कह कर वह पद पर बने हैं. यौन शोषण/रेप के आरोपी को भी मोदी की सरकार में मंत्री बनाया. मुजफ्फनगर दंगा के आरोपी को भी मंत्री बनाया गया. वहीं 302 के आरोपी को भाजपा अध्यक्ष बना दिया गया.
पेट्रोलियम की कीमत अनुपात में नहीं घटी:
श्री सिंह ने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत जिस अनुपात में कम हुई है, देश में उस अनुपात में इसकी कीमतें नहीं घटी है. सरकार एक्साइज डय़ूटी बढ़ा कर कमाई कर रही है.
तीन विचारधारा हैं : श्री सिंह ने कहा कि मोटे तौर पर तीन राजनीतिक विचारधारा होते हैं. एक कम्युनिस्ट विचारधारा, दूसरा सामाजिक विचारधारा और तीसरा संघ की विचारधारा. इस विचारधारा ने शुरू से ही पब्लिक सेक्टर का विरोध किया है. निजी सेक्टर को बढ़ाने का प्रयास किया है. सब कुछ निजी हाथों में सौंपना चाहते हैं.
कांग्रेस-भाजपा में फर्क है
उन्होंने कहा कि कांग्रेस व भाजपा में मूल फर्क है कि कांग्रेस पार्टी गरीब, आदिवासी, दलित की खुशहाली पर ध्यान देती है, पर भाजपा सारा कुछ कॉरपोरेट सेक्टर को सौंपना चाहती है. उन्होंने कहा कि भाजपा चुनाव में करोड़ों खर्च कर रही है. विज्ञापन/अभियान में इतना खर्च हमने कभी नहीं देखा था. इसकी वसूली जनता से ही होगी. इसलिए ऐसी पार्टी को सत्ता नहीं सौंपनी चाहिए, जो नैसर्गिक साधनों को निजी/विदेशी हाथों में सौंप दें.
बदलेंगे हित की कानून-योजनाएं
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने भू-अधिग्रहण का कानून किसानों/गरीबों के पक्ष में बनाया था, ताकि अधिग्रहण हो तो उन्हें ज्यादा लाभ मिले, पर भाजपा इस कानून को बदलने का प्रयास कर रही है, ताकि उद्योगपतियों को लाभ मिले. गरीबों की जमीन सस्ते दर पर ली जा रही है. वहीं मनरेगा, खाद्य सुरक्षा सहित अन्य कानूनों को बदलना चाह रही है.