रांची : बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सह भाजपा नेता सुशील मोदी ने कहा कि बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खौफ से इस्तीफा दिया. यदि वे मुख्यमंत्री रहते, तो कैसे श्री मोदी से हाथ मिलाते और उनका गुलदस्ता देकर स्वागत करते. उन्हें प्रधानमंत्री के साथ बैठकों में जाना पड़ता. शर्म और इसी फजीहत से बचने के लिए उन्होंने इस्तीफा दिया.
कांग्रेस, राजद और जदयू गंठबंधन की झारखंड में भी भद्द पीटने वाली है. अब नीतीश कुमार अप्रासंगिक हो गये हैं. यही वजह है कि नीतीश कुमार झारखंड में एक दिन भी प्रचार करने नहीं आये. उन्होंने मान लिया है कि झारखंड में भी भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बननेवाली है.
दिल्ली और हरियाणा के विस चुनाव में जदयू की पोल खुल गयी. जदयू ने हरियाणा में दो सीटों पर उम्मीदवार खड़ा किया था. जिनकी जमानत जब्त हो गयी थी. श्री मोदी शुक्रवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री रामकृपाल यादव, प्रदेश प्रवक्ता प्रेम मित्तल मौजूद थे. श्री मोदी व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव ने इटखोरी व जयनगर के भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में चुनावी सभा को संबोधित किया.
* 10 वर्ष का हिसाब दिया नहीं, छह माह में करने लगे सवाल
काला धन मामले में विपक्ष की ओर से सवाल उठाये जाने पर श्री मोदी ने कहा कि यूपीए गंठबंधन की सरकार ने पिछले 10 वर्षों हिसाब नहीं दिया है. छह माह की मोदी सरकार ने काला धन को लेकर एसआइटी का गठन किया. काला धन लाने की प्रक्रिया जारी है. विपक्ष को पहले अपना हिसाब देना चाहिए. जनता ने एनडीए गंठबंधन को पांच साल के लिए चुना है. कार्यकाल पूरा होने से पहले एनडीए जनता को हिसाब देगा.
* एक दल की सरकार से ही विकास संभव
उन्होंने कहा कि मैं बिहार में रहते हुए भी झारखंड अलग राज्य का समर्थक था. लालू प्रसाद समेत कई नेता इसका विरोध कर रहे थे. लालू प्रसाद ने कहा था कि झारखंड मेरी लाश पर बनेगा, लेकिन जिन उद्देश्यों को लेकर झारखंड अलग राज्य का गठन हुआ, वह पूरा नहीं हो पाया. झारखंड की दुर्दशा से उबार कर विकास की पटरी पर लाने के लिए एक दल की पूर्ण बहुमत की सरकार जरूरी है. एकीकृत बिहार के समय से झारखंड लूट का चारागाह रहा है. यह चारा घोटाला, भूमि घोटाला, अलकतरा घोटाला का केंद्र रहा.
अलग राज्य बनने के बाद भी इसे चारागाह बना कर लूटने का काम किया गया. इसका परिणाम है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री और विधायकों को जेल जाना पड़ा. झारखंड को पारदर्शी और लोक कल्याणकारी सरकार की जरूरत है. छत्तीसगढ़ में पूर्ण बहुमत की सरकार के विकास हुआ. जहां तक बिहार का सवाल है गंठबंधन टूटते ही विकास के काम ठप पड़ गये. उन्होंने कहा कि झारखंड में केंद्र सरकार को सहयोग करने वाली सरकार चाहिए. केंद्र और राज्य में एक विचारधारा वाली सरकार रहने से तेजी से विकास होता है.