वंदना के आविष्कार ने महिलाओं का बढ़ाया मान

आम धारणा है कि गांव की औरतें घर की दहलीज तक ही सीमित रहती हैं. खाना बनाने और बाल-बच्चों की परवरिश के अलावा कुछ नहीं कर सकतीं. बदलते परिवेश में यह बीते जमाने की बात हो गयी है. अब गांव-घर की औरतें पुरुषों से भी दो कदम आगे हैं. अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:55 PM

आम धारणा है कि गांव की औरतें घर की दहलीज तक ही सीमित रहती हैं. खाना बनाने और बाल-बच्चों की परवरिश के अलावा कुछ नहीं कर सकतीं. बदलते परिवेश में यह बीते जमाने की बात हो गयी है. अब गांव-घर की औरतें पुरुषों से भी दो कदम आगे हैं.

अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं. बांका की बहू और भागलपुर दराधी की बेटी वंदना को उदाहरण के तौर पर ले सकते हैं. गांव-घर में उपलब्ध सीमित संसाधनों से उसने घर बैठे एक आविष्कार कर दिया. आज उसके आविष्कार से क्षेत्र के किसान लाभान्वित हो रहे हैं.

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