पेशावर: पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल में कल हुए आतंकी हमले में 132 बच्चों की जानें चली गयीं. इसमें से पहली से 12वीं कक्षा के बच्चे शामिल थे. कक्षा नौवीं के सारे बच्चे इस हमले में मारे गए सिवाय एक बच्चे दाउद इब्राहिम के.
दाउद पिछली रात एक शादी में शरीक होने गया हुआ था. जिस वजह से वह मंगलवार को देर तक सोता रहा क्योंकि उसकी घड़ी का अलार्म सुबह किसी वजह से बज नहीं सका.
15 वर्षीय दाउद आज अपने 6 दोस्तों का अंतिम संस्कार से वापस आया है. जूडो अभ्यास करने वाला दाउद शारिरिक रूप से जरूर मजबूत और शरारती हो लेकिन पूरे दिन अपने अजीज़ दोस्तों की अंत्येष्टि में शामिल होने के बाद वह बिल्कुल शांत हो गया है.
मंगलवार को आर्मी स्कूल में हुए आतंकी हमले में कई मासूमों को मौत के घाट उतार दिया गया. इस हमले में करीब 1500 विद्यार्थियों की संख्या वाले इस स्कूल में भाग्यवस 500 विद्यार्थियों को सही सलामत निकाल लिया गया. लेकिन उनमें से 132 बच्चों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा.
आतंकियों ने स्कूल में घुसकर अंधाधुंध फायरिंग शुरु कर दी और कई बमों के गोले भी फेंके. इसमें से कई छात्रों को लाइन लगाकर बहुत नजदीक से उनपर गोलियां दाग दी गयीं. करीब 8 घंटे तक चले आतंकियों के खूनी खेल में उन्होंने छात्रों के साथ स्कूल के प्रध्यापक को भी नहीं छोड़ा. छात्रों की उपस्थिति के बाद उनकी परीक्षा शुरु होने वाली थी.
आज मीडिया को स्कूल में इंट्री की इजाजद दे दी गयी है. जहां-तहां खून के धब्बे, टूटे हुए ज्योमेटरी बॉक्स, फटे किताब और उनके बिखरे पड़े जूते कल हुए खैफनाक मंज़र को बयां करते हैं. कुछ निशान यह दिखाते हैं कि कैसे बच्चों ने भागने की कोशिश की लेकिन उन्हें गोलियों से भून दिया गया.
दाउद के बड़े भाई सूफियान ने बताया कि यह उसका भाग्य था कि उसका भाई बच गया लेकिन उसकी कक्षा में कोई नहीं बचा हर एक बच्चे को आंतंकियों ने अपना निशाना बना दिया. दाउद के माता-पिता अपने बच्चे की सलामती के लिए अपने ईश्वर को धन्यवाद कर रहे हैं. लेकिन इस आतंकी हमले से तबाह हुए परिवार वालों की टीस उनकी आंसू को नहीं रोक पा रही है.