कुपोषण मुक्त भारत बनाने में खुद कुपोषित हो रही हैं सेविका: अनीता

झाझा. केंद्र सरकार द्वारा संचालित आइसीडीएस योजना द्वारा भारत के कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों को मुक्त कराने वाली आंगनबाड़ी सेविका खुद कुपोषण का शिकार हो रही है. उक्त बातों की जानकारी आंगनबाड़ी-सेविका संघ की जिलाध्यक्ष अनिता अंशु ने एक भेंट वार्ता के दौरान दी. उन्होंने कहा कि महंगाई के इस दौर में पढ़ी-लिखी महिला […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 18, 2014 7:02 PM

झाझा. केंद्र सरकार द्वारा संचालित आइसीडीएस योजना द्वारा भारत के कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों को मुक्त कराने वाली आंगनबाड़ी सेविका खुद कुपोषण का शिकार हो रही है. उक्त बातों की जानकारी आंगनबाड़ी-सेविका संघ की जिलाध्यक्ष अनिता अंशु ने एक भेंट वार्ता के दौरान दी. उन्होंने कहा कि महंगाई के इस दौर में पढ़ी-लिखी महिला भी सामान्य मजदूर के बराबर मेहनताना नहीं पा रही है. 100 रुपये प्रतिदिन पाने वाली आंगनबाड़ी सेविका टीकाकरण, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गत करने के अलावे नित्य अनेकों नये कार्य कर रही है, लेकिन जिस तरह से काम लिया जा रहा है उस हिसाब से मेहनताना नहीं मिल पा रहा है. जिला सचिव अर्चना सहाय, सेविका सुनीला, सुनीता देवी, नीलम पांडेय, रंजू देवी, शोभा देवी समेत कई सेविका कहती है कि कुपोषण मुक्त भारत बनाने के लिए कार्यरत सेविका-सहायिका पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए. सरकार 50 प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण देकर उसे समृद्ध बनाना चाहती है. समेकित बाल विकास परियोजना में कार्य करने वाली सभी सेविका एवं सहायिका भी महिला ही है. फिर भी सरकार इस के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है. ससमय सरकार सेविकाओं की हित के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाती है तो हमारा संघ क्रमबद्ध आंदोलन चलाने के लिए बाध्य हो होगी.

Next Article

Exit mobile version