पाकिस्तान के पेशावर में स्कूली बच्चों पर आतंकी हमला के बाद देश में भी स्कूलों की सुरक्षा को लेकर निर्देश जारी किये गये हैं. केंद्र सरकार ने राज्यों को स्कूलों की सुरक्षा बढ़ाने का निर्देश दिया है. सरकार द्वारा अलर्ट भी जारी किया गया है. राजधानी के अधिकांश निजी स्कूलों में सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था है. स्कूलों में बिना अनुमति के कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता है. गेट पर बंदूकधारी और गार्ड तैनात रहते है. कई निजी स्कूलों ने परिसर की निगरानी के लिए जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगा रखे हैं. वहीं राज्य के हजारों सरकारी स्कूलों में चहारदीवारी तक नहीं है. स्कूलों की सुरक्षा की स्थिति पर पेश यह रिपोर्ट :
रांची: राजधानी के अधिकांश निजी स्कूलों में सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था है. संत जेवियर्स स्कूल के गेट पर तैनात गार्ड कमल थापा ने बताया कि वह 24 घंटे अलर्ट रहते हैं. किसी घटना की सूचना सबसे पहले प्राचार्य को देने और फिर 100 नंबर पर डायल कर पुलिस को जानकारी देने का निर्देश है. प्राचार्य की अनुमति के बिना किसी को भी स्कूल के भीतर नहीं जाने दिया जाता है. यही स्थिति दीपाटोली स्थित सुरेंद्र नाथ स्कूल के गेट पर भी दिखी. गेट हमेशा बंद रहता है. गार्ड ने बताया कि स्कूल प्रबंधन की अनुमति के बाद ही किसी भी अभिभावक को छोटे गेट से स्कूल परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जाती है.
संत जेवियर्स स्कूल
संत जेवियर्स स्कूल स्कूल के चारों ओर चहारदीवारी है, जिस पर कील लगे हुए है. मेन गेट पर 24 घंटे गार्ड तैनात रहते हैं. 70 सीसीटीवी कैमरा से स्कूल परिसर की निगरानी की जाती है. प्राचार्य अजीत खेस ने बताया कि गेट पर सात गार्ड की तैनाती शिफ्ट में की जाती है. सभी फ्लोर में स्टाफ रूम है, ताकि हर गतिविधि पर ध्यान रखा गया जाय. स्टॉफ रूम में इंटर कनेक्टेड फोन है. गार्ड को पुलिस और अस्पताल का नंबर याद रखने को कहा गया है. इमरजेंसी के लिए नर्स की तैनाती है. बच्चे स्कूल आते हैं, अटेंडेंस बॉयोमेट्रिक सिस्टम (पंचिंग) से बनाते हैं और जाने समय में पंच करते हैं. इसकी सूचना अभिभावक तो तत्काल दूरभाष पर मैसेज के जरिये मिल जाता है. आगंतुक बिना अनुमति के अंदर प्रवेश नहीं करें इसके लिए स्लिप सिस्टम रखा गया है. अनुमति मिलने के बाद ही आगंतुक स्कूल में प्रवेश कर सकते हैं.
दिल्ली पब्लिक स्कूल
डीपीएस के प्राचार्य डॉ राम सिंह ने बताया कि स्कूल में दो लेयर की सुरक्षा है. सेल कॉलोनी के प्रवेश द्वार और स्कूल गेट के पास. स्कूल गेट के पास एक बंदूकधारी व 50 गार्ड की तैनाती है. गार्ड पूछताछ करने के बाद आगंतुक को साथ लेकर संबंधित व्यक्ति के पास आता है. स्कूल के चारों ओर 10 से 12 फीट की चहारदीवारी है. 17 सीसी टीवी कैमरे लगे हुए हैं. दो नर्स हैं. गार्ड को पुलिस नंबर और इस्पात अस्पताल का नंबर याद रखने को कहा गया है. गार्ड को सुरक्षा संबंधित टिप्स भी दिये जाते हैं.
केराली स्कूल
केराली स्कूल में 10 से 12 फीट ऊंची चहारदीवारी है. जिस पर लोहे की कील लगी हुई है. प्राचार्य राजन वर्गीस ने बताया कि प्रवेश के लिए एक द्वारा है. जबकि निकलने के लिए 10 द्वारा हैं. गेट पर एक बंदूकधारी सहित पांच गार्ड की तैनाती 24 घंटे रहती है. पांच अलग-अलग जगहों पर स्टॉफ रूम हैं. जहां फोन की सुविधा है. स्कूल का अपना एंबुलेंस है. स्कूल में एक नर्स की भी नियुक्ति की गयी है. आगंतुक के आने पर गार्ड द्वारा पूरी जांच करने व रजिस्टर में इंट्री के बाद ही प्रवेश देने को कहा गया है.
जेवीएम श्यामली : गेट पर बंदूकधारी भी
जवाहर विद्या मंदिर, श्यामली में सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था है. प्राचार्य एके सिंह ने कहा कि मेकन कॉलोनी में होने के कारण स्कूल में दो लेयर की सुरक्षा है. स्कूल के चारों ओर चहारदीवारी है. स्कूल गेट के पास एक बंदूकधारी सहित आठ गार्ड की तैनाती है. स्कूल में 35 सीसी टीवी कैमरा लगे हुए हैं. गेट के अंदर रजिस्टर में इंट्री के बाद ही प्रवेश करने दिया जाता है. दो सिक्यूरिटी कंट्रोल रूम है. जहां तत्काल चिकित्सा की व्यवस्था है. इस्पात अस्पताल स्कूल से पास ही है.
स्कूल अवधि के दौरान मुख्य गेट बंद रखें
रांची: जिला शिक्षा पदाधिकारी ने स्कूलों की सुरक्षा के लिए जिले के सभी कोटि के उच्च विद्यालयों के प्रधानाध्यापक को दिशा-निर्देश जारी किया है. जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि विद्यालय अवधि के दौरान स्कूल का मुख्य द्वार बंद रखा जाये. मुख्य द्वारा पर प्रहरी की उपस्थिति सुनिश्चित की जाये. विद्यालय आनेवाले लोगों की पूरी जानकारी प्राप्त कर ही उन्हें विद्यालय परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जाये. विद्यालय के मुख्य द्वार पर अनावश्यक भीड़ एकत्रित न होने दी जाये. संसाधन युक्त विद्यालयों में सीसीटीवी कैमरा भी लगाया जा सकता है. विद्यालय के विद्यार्थियों को आपातकालीन स्थिति में स्वयं की सुरक्षा एवं बचाव के लिए प्रशिक्षित किया जाये.
30 हजार सरकारी स्कूलों में चहारदीवारी तक नहीं
झारखंड में 41,847 प्राथमिक व मध्य विद्यालय है. इनमें से मात्र 10,880 विद्यालय में ही चहारदीवारी है. 30,967 विद्यालयों में चहारदीवारी नहीं है. इस तरह राज्य के 74 फीसदी प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में चहारदीवारी नहीं है. शहरी क्षेत्र के भी सभी स्कूलों में चहारदीवारी नहीं है. जिनमें चहारदीवारी है, उनमें से भी अधिकांश में गेट नहीं है. इनमें अधिकांश वैसे विद्यालय है जिन्हें शिक्षा गारंटी केंद्र से प्राथमिक विद्यालय में अपग्रेड किया गया है. विद्यालयों को अपग्रेड तो कर दिया गया, पर इसे संसाधन युक्त नहीं किया गया. सर्व शिक्षा अभियान के तहत विद्यालयों को संसाधन युक्त करने के लिए अब तक करोड़ो रुपये खर्च किये गये है, पर अब तक आवश्यक संसाधन उपलब्ध नहीं कराये गये हैं. देश के सभी राज्यों द्वारा स्कूलों की स्थिति से संबंधित रिपोर्ट भारत सरकार को उपलब्ध करायी जाती है. इस आधार पर भारत सरकार द्वारा जो रिपोर्ट जारी की गयी है, उसके अनुरूप वर्ष 2012-13 तक राज्य के मात्र 26 फीसदी प्राथमिक व मध्य विद्यालय में चहारदीवारी है.
भारत सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत वर्ष 2012-13 में राज्य के 3,253 स्कूलों में चहारदीवारी निर्माण के लिए 158 करोड़ रुपये दिये थे. यह राशि राज्य के 17 जिलों को दी गयी थी. चहारदीवारी निर्माण के लिए दी गयी राशि का कई जिलों ने अब तक उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं दिया है. इसके लिए भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2013-14 व 2014-15 में कोई राशि नहीं दी है.
चहारदीवारी का राष्ट्रीय औसत 61 फीसदी
देश भर में चहारदीवारी युक्त प्राथमिक व मध्य विद्यालयों का राष्ट्रीय औसत 61 फीसदी है. राज्य के स्कूलों में चहारदीवारी राष्ट्रीय औसत से 35 फीसदी कम है.
स्कूलों में चहारदीवारी निर्माण का कार्य चरणबद्ध तरीके से किया जा रहा है. गत दो वर्ष के अंदर काफी संख्या में स्कूलों में इसका निर्माण कराया गया है. इस वर्ष भी इसके लिए राशि दी गयी है. जमीन विवाद के कारण भी चहारदीवारी निर्माण में परेशानी हो रही है.
आराधना पटनायक, शिक्षा सचिव
सुरक्षा गार्ड तो हैं ही नहीं
राज्य के प्राथमिक से लेकर प्लस टू उच्च विद्यालय तक में कही भी सुरक्षा गार्ड नहीं है. स्कूलों में सुरक्षा गार्ड के पद भी नहीं है. राज्य के कुछ उच्च विद्यालयों में रात्रि प्रहरी के पद सृजित है. पर झारखंड गठन के बाद इनकी भी नियुक्ति नहीं हुई है. अधिकांश विद्यालयों में रात्रि प्रहरी सेवानिवृत्त हो गये है, जिन विद्यालय में हैं, वहां रात्रि में डय़ूटी पर नहीं रहते.