शहरी गुरिल्ला वार का खतरा, नक्सली-उग्रवादी संगठन घुस सकते हैं शहर में

।। सुरजीत सिंह ।। रांची : नक्सल प्रभावित राज्यों के शहरी इलाकों में माओवादी गुरिल्ला वार के खतरे मंडरा रहे हैं. खुफिया एजेंसियों को इसकी आशंका है. खुफिया एजेंसियों ने राज्यों की पुलिस को अलर्ट करते हुए इससे निबटने के लिए तैयारी शुरू करने को कहा है. माओवादियों की ओर से इस तरह की कार्रवाई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 20, 2014 4:21 AM

।। सुरजीत सिंह ।।

रांची : नक्सल प्रभावित राज्यों के शहरी इलाकों में माओवादी गुरिल्ला वार के खतरे मंडरा रहे हैं. खुफिया एजेंसियों को इसकी आशंका है. खुफिया एजेंसियों ने राज्यों की पुलिस को अलर्ट करते हुए इससे निबटने के लिए तैयारी शुरू करने को कहा है.

माओवादियों की ओर से इस तरह की कार्रवाई करने की वजह यह है कि सुदूर जंगली व पहाड़ी इलाकों में नक्सलियों-उग्रवादियों का दस्ता लगातार छोटा होता जा रहा है. इन इलाकों में तैनात पुलिस फोर्स की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इस कारण नक्सली पुलिस पर हमला नहीं कर पाते हैं.

पुलिस के एक सीनियर अधिकारी कहते हैं : झारखंड के गिरिडीह में दो घटनाएं हुई हैं, जिसमें नक्सली शहर में आये और कार्रवाई कर चले गये. पहली घटना 2006 में होमगार्ड ट्रेनिंग सेंटर पर हमले की थी, जबकि दूसरी घटना वर्ष 2013 में कोर्ट से जेल लौट रही कैदी वैन पर हमला कर नक्सलियों को मुक्त कराने की थी. दोनों घटनओं को नक्सलियों ने अपने फायदे के लिए अंजाम दिया.

भविष्य में नक्सली शहरी इलाके में पुलिस को नुकसान पहुंचाने के लिए भी घटनाएं कर सकते हैं. समय आ गया है कि हम शहरी इलाकों में भी इस तरह की वारदातों से निपटने की तैयारी करें. करीब 15-17 साल पहले जब आंध्रप्रदेश के ग्रामीण इलाकों से नक्सलियों का सफाया होने लगा था, तब वहां शहरी गुरिल्ला वार शुरू किया गया था, जिसमें शहरी क्षेत्र में दो आइपीएस अफसरों की हत्या कर दी गयी थी. ओड़िशा के कोरापुट और उदयगिरी शहर में भी हमले हुए थे.

* आंध्रप्रदेश में हुई थी दो आइपीएस की हत्या

हैदराबाद के लाई बहादुर स्टेडियम में जॉगिंग कर रहे डीआइजी केएस व्यास की गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी. वहीं केएस व्यास को गोली मारने के बाद नक्सली बम धमाका कर फरार हो गये थे. एसपी (1991 बैच के आइपीएस) उमेश चंद्रा की कार एक ट्रैफिक सिग्नल पर रुकी थी, तभी चार नक्सलियों ने उन पर फायरिंग की. जिस वक्त उनकी हत्या की गयी, उस वक्त वह दो नक्सलियों का पीछा कर रहे थे. नक्सली पीछे से आये और उनकी हत्या कर फरार हो गये.

* तैयार नहीं है झारखंड पुलिस

शहरी इलाकों में नक्सलियों द्वारा गुरिल्ला वार से निपटने के लिए झारखंड पुलिस की तैयारी नहीं के बराबर है. शहरी इलाकों में इस तरह के हमलों से निपटने के लिए क्वीक रेस्पांस टीम नहीं है. रांची में झारखंड जगुआर की जो टीम है, वह जंगली इलाकों में लड़ने के लिए है. रिहायशी इलाकों में लड़ाई का उन्हें कोई अनुभव नहीं है. जिलों का कंट्रोल रूम भी सही तरीके से काम नहीं कर रहा है. भीड़-भाड़ वाले इलाकों में स्थिति पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे तक नहीं लगाये गये हैं. पुलिस के पास प्रशिक्षित बम डिस्पोजल स्क्वायड तो है, लेकिन उसे हर जिले में पोस्ट करने का काम नहीं किया गया है.

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