झारखंड से 2000 करोड़ लेकर भाग गयी चिट फंड कंपनियां
!!शकील अख्तर!! रांची : करीब 40 चिट फंड कंपनियां झारखंड के लोगों के 2000 करोड़ रुपये लेकर भाग गयी है. इन कंपनियों के खिलाफ अलग-अलग क्षेत्रों में कुल 75 प्राथमिकी दर्ज की गयी है. बताया जाता है कि इन कंपनियों ने सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को अपने जाल में फंसाया. ग्रामीण क्षेत्र के […]
!!शकील अख्तर!!
रांची : करीब 40 चिट फंड कंपनियां झारखंड के लोगों के 2000 करोड़ रुपये लेकर भाग गयी है. इन कंपनियों के खिलाफ अलग-अलग क्षेत्रों में कुल 75 प्राथमिकी दर्ज की गयी है. बताया जाता है कि इन कंपनियों ने सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को अपने जाल में फंसाया. ग्रामीण क्षेत्र के 12 से 15 लाख लोगों को ठगा है. सीबीआइ जांच के दायरे में आयी चिट फंड कंपनी सारधा ग्रुप के खिलाफ भी देवघर व साहेबगंज में प्राथमिकी दर्ज है. सीबीआइ जल्द ही इस ग्रुप के खिलाफ झारखंड में भी जांच शुरू कर सकती है.
असम सरकार के पत्र के बाद सक्रिय हुई सरकार
राज्य से भागी इन 40 चिट फंड कंपनियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किये जाने के अलावा अब तक कोई और कार्रवाई नहीं हो सकी है. ये कंपनियां रांची, पलामू, देवघर, दुमका, साहेबगंज, धनबाद, जमशेदपुर सहित अन्य जिलों में वर्षो से कार्यरत थीं. इन कंपनियों की वैधता और उनके कार्यो पर नजर रखने की जिम्मेदारी सांस्थिक वित्त विभाग की है. पर विभाग ने असम सरकार के निगरानी विभाग का पत्र मिलने से पहले इन कंपनियों की गतिविधियों की कभी भी जांच नहीं की.
असम सरकार के निगरानी विभाग ने वर्ष 2013 में वहां चल रही दो नन बैंकिंग कंपनियों की ओर से एक हजार करोड़ रुपये लेकर भाग जाने की सूचना दी थी. साथ ही अनुरोध किया था कि यदि संबंधित कंपनियां झारखंड में चल रही हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाये. पत्र मिलने के बाद राज्य सरकार के सांस्थिक वित्त विभाग ने इस मामले में कार्रवाई शुरू की. जिलों को नन बैंकिंग कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया.
प्राथमिकी दर्ज होते ही भागे संचालक
सांस्थिक वित्त विभाग की ओर से जिलों को भेजे गये पत्र के बाद राज्य में नन-बैंकिंग कंपनियों के खिलाफ ‘ दि प्राइज चिटस एंड मनी सरकुलेशन (बैंकिंग) स्कीम्स एक्ट 1978 की धारा तीन, चार, पांच और छह के अलावा भारतीय दंड विधान की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. प्राथमिकी दर्ज होने के साथ ही इन कंपनियों के संचालक गायब हो गये. पुलिस की ओर से नन- बैंकिंग कंपनियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करने से निवेशक और एजेंटों की परेशानी बढ़ती जा रही है.
कैसे फंसाती थी लोगों को कंपनियां
राज्य में सक्रिय रही चिट फंड कंपनियों ने कम समय में पैसे दो गुना करने के अलावा दाल-चावल, कंप्यूटर, जेवर, जमीन और मकान तक आसान किस्तों में उपलब्ध कराने का ऑफर आम लोगों को दिया था. गरीब लोग इसी ऑफर में फंस कर अपनी जमा पूंजी इन कंपनियों में निवेश कर दी.
जिन कंपनियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी
ग्रीन रे इंटर नेशनल लिमिटेड
सन प्लांट एग्रो लिमिटेड
एंजेल एग्रोटेक लिमिटेड
आशादीप फाइनांस लिमिटेड
शारदा हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड
प्लेटिनम रियलकान लिमिटेड
रोज वैली होटल एंड इंटरटेनमेंट लि
जीबीसी इंटरप्राइजेज लिमिटेड
साइन इंडिया इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड
डय़ूक वेल प्राइवेट लिमिटेड
टावर इंफोटेक लिमिटेड
इजी वे इंफ्रा स्ट्रक्चर
मातृ प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड
सन साइन ग्लोबल एग्रो लिमिटेड
वेल्थ एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड
सन प्लांट एग्रो लिमिटेड
रेमेल इंस्ट्रीम लिमिटेड
इरिस एनर्जी लिमिटेड
होली एग्रो टीच लिमिटेड
भारतीय कृषि समृद्धि लिमिटेड
स्वास्तिका हॉटिकल्चर लिमिटेड
वेलफेयर बांड स्टेट डाटा लिमिटेड
रियल एग्री इंडस्ट्रीज एंड सर्विसेज लि
जेवीजी गोल्ड एंड फॉरेस्ट्री
ठगी का नमूना
जादुगोड़ा क्षेत्र में चिट फंड कंपनी चलानेवाले कमल कुमार सिंह ने निवेशकों को ठगने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया. वह अकेले ही जादूगोड़ा क्षेत्र में अलग-अलग नौ कंपनियां चलाता था. उसने एक लाख रुपये एकमुश्त निवेश करनेवालों को पांच हजार रुपये प्रति माह और एजेंट को एक हजार रुपये प्रति माह देने का वायदा किया था. 20 लाख रुपये निवेश करनेवालों को एक कार देने का वायदा किया था. निवेशकों से एक लाख रुपये जमा राशि लेने के लिए वह अनोखे किस्म का एग्रिमेंट तैयार करता था. इसमें लिखा होता था कि उसे अपने अधूरे मकान को बनाने के लिए पैसों की जरूरत है. इसलिए वह एक लाख रुपये ले रहा है. रकम वह 11 माह में वापस कर देगा. कुछ दिनों तक उसने पैसे लौटाये. कई निवेशकों को गाड़ियां बांटी और करीब एक साल पहले अचानक फरार हो गया.
अन्य कंपनियों द्वारा ठगी के लिए अपनाये गये तरीके
-ग्रीन रे इंटरनेशनल कंपनी ने 150 रुपये प्रति दिन की दर से दो साल तक राशि जमा कराने के बाद जेवर दिलाने का वायदा किया था.
-मास इंफ्रा कंपनी ने कोलकाता की एचएम दीवान ज्वेलर्स कंपनी के साथ एकरारनामा कर रखा था. कोलकाता की इस कंपनी ने ग्राहक भेजने पर चार प्रतिशत कमीशन देने की बात कही थी.
-अपना परिवार नामक कंपनी दाल, चावल सहित अन्य खाद्यान्न देने के नाम पर किस्तों में पैसे जमा करा रही थी.
-सन साइन नामक कंपनी पेड़ लगाने और बाद में मुनाफा देने के लिए किस्त में पैसे ले रही थी
-रोज वैली नामक कंपनी सैर सपाटे के लिए किस्त में पैसे जमा करारही थी
-बड़े-बड़े शहरों में होटल की सुविधा उपलब्ध कराने, सैर सपाटे कराने के नाम पर कई कंपनियां लोगों से किस्त में पैसा ले रही हैं