केंचुए बतायेंगे मौसम में परिवर्तन
वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन की भविष्यवाणी करने के संबंध में एक बड़ी कामयाबी हासिल की है. यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क और यूनिवर्सिटी ऑफ रिडिंग के शोधकर्ताओं ने इस बात का पता लगाया है कि केंचुए के मलमूत्र में इसकी कड़ियां मौजूद होती हैं. ये संकेत केल्साइट के छोटे दानों में पाये जाते हैं, जिसे कास्टिंग भी […]
वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन की भविष्यवाणी करने के संबंध में एक बड़ी कामयाबी हासिल की है. यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क और यूनिवर्सिटी ऑफ रिडिंग के शोधकर्ताओं ने इस बात का पता लगाया है कि केंचुए के मलमूत्र में इसकी कड़ियां मौजूद होती हैं. ये संकेत केल्साइट के छोटे दानों में पाये जाते हैं, जिसे कास्टिंग भी कहा जाता है.
‘डेली मेल’ की एक खबर में बताया गया है कि भिन्न–भिन्न तापमान पर केंचुओं को रखने के बाद पाया गया कि उसके द्वारा उत्सर्जित इन दानों के तापमान को समझते हुए ऐसा करने में मदद मिल सकती है. दोनों वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इन केंचुओं के कुछ खास जीवाश्म के नमूनों का अध्ययन करके और इनकी कणिकाओं के अवशिष्ट के तापमान का परीक्षण करके हजारों वर्ष से धरती पर हुए तापमान में परिवर्तन का पता लगाने में मदद मिल सकती है.
शोधकर्ताओं ने केचुओं द्वारा उत्सजिर्त पदार्थो के तापमान और उसके आसपास के वातावरण को समझते हुए मौसम में होनेवाले बदलावों को भी समय पूर्व पता लगाने की बात कही है. यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क के पर्यावरण विभाग के प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर मार्क हड्सन ने इस शोध रिपोर्ट में बताया है कि इस बारे में बहुत से विरोधाभासी सिद्धांत हैं कि आखिर किस तरह केंचुए जमीन में छोटे–छोटे और भुर–भुरे दाने बनाते हैं.
हालिया शोध में कुछ बातें स्पष्ट हुई हैं और बहुत सी जैविक प्रतिक्रियाओं के बारे में जानकारी मिली है. शोधकर्ताओं का मानना है कि इस खोज से कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को समझने में और आसानी होगी.