बीज उत्पादन के साथ सामाजिक दायित्वों का भी निर्वहन करता है एनएससी
राष्ट्रीय बीज निगम, जो बिहार आयी थी किसानों के बीच बीज का विपणन करने लेकिन देखते ही देखते टीम भावना का परिचय देते हुए यह आज बीज उत्पादन के क्षेत्र में यह अग्रणी संस्था बन गयी. अपने 450 से अधिक आउटलेट के विशाल नेटवर्क के माध्यम से निगम किसानों को स्वयं उत्रत किस्म के बीज […]
राष्ट्रीय बीज निगम, जो बिहार आयी थी किसानों के बीच बीज का विपणन करने लेकिन देखते ही देखते टीम भावना का परिचय देते हुए यह आज बीज उत्पादन के क्षेत्र में यह अग्रणी संस्था बन गयी. अपने 450 से अधिक आउटलेट के विशाल नेटवर्क के माध्यम से निगम किसानों को स्वयं उत्रत किस्म के बीज तैयार करने के लिए मार्गदर्शन करने के साथ-साथ राष्ट्रीय कृषि विकास योजना तथा खाद्य सुरक्षा योजना में अपनी अग्रणी भूमिका निभा रही है. यह न केवल बिहार के किसानों को उत्रत किस्म के बीज उपलब्ध करा रही है, बल्कि देश के अन्य राज्यों के किसानों के बीच इसके बीज की विश्वसनीयता बढ.ते जा रही है. राष्ट्रीय बीज निगम कैसे इतनी बड़ी संस्था बनी और यह कैसे कार्य कर रहा है उसे सुशील के साथ साझा कर रहे हैं निगम के क्षेत्रीय महाप्रबंधक आरके राम.
राष्ट्रीय बीज निगम बिहार में किस प्रकार किसानों की मदद कर रहा है तथा यह कैसे कार्य करता है?
निगम की मूल अवधारणा राज्य में किसानों को उत्रत किस्म के बीज उपलब्ध कराने की थी. लेकिन यहां के किसानों की कार्यशैली और उद्यमशीलता ने निगम को इसके लिए प्रेरित किया और कालांतर में इसका दायरा बढ.ता गया और आज यह विशाल बट वृक्ष बन कर किसानों के बीच अपनी जिम्मेवारी का एहसास करा रहा है. निगम किसानों को बीज उपलब्ध कराने से लेकर तकनीकी परार्मश देकर उसके उत्पादों को उचित कीमत भी उपलब्ध करा रहा है.
निगम किन-किन फसलों के बीज का उत्पादन करने में सहयोग कर रही है. इसके लिए इसके पास क्या संसाधन हैं. बिहार के अलावा और कहां बीज का उत्पादन किया जा रहा है?
बिहार के लगभग सभी जिलों में निगम के डीलर हैं. इसके अलावा आउटलेट सेंटर की भी स्थापना की गयी है, जहां से किसान सीधे बीज प्राप्त कर सकते हैं. वर्तमान में निगम के सात क्षेत्रीय कार्यालय शेखपुरा, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, मधुबनी, सीवान तथा पूर्णिया में है.
निगम किसानों से कैसे बीज तैयार करवाता है. इसके लिए किसानों को क्या आर्थिक मदद भी दी जाती है. क्या बिहार के बाहर से भी बीज यहां मंगवाये जाते हैं?
बीज तैयार करने से लेकर इसकी पैकेजिंग तक तीन स्तरों पर निगम के कर्मचारी व पदाधिकारी किसानों की मदद करते हैं. सबसे पहले किसानों का चयन कर उन्हें खेतों की जांच की जाती है. उसके बाद उन्हें प्रमाणित बीज उपलब्ध कराया जाता है. बुआई के बाद ही हमारे कृषि विशेषज्ञ फसलों की सतत निगरानी रखते हैं. फसल का संरक्षण अच्छी तरह से हो इसके लिए किसानों को समय-समय पर उचित सलाह भी दी जाती है. बीज तैयार होने के बाद इसका पहला परीक्षण खेतों में किया जाता है.
परीक्षण में सही पाने के बाद बीज को पटना स्थित प्रयोगशाला में मंगवाया जाता है, जहां इसे निगम के अपने परीक्षण केंद्र के अलावा राज्य में स्थित बीज प्रमाणन केंद्र भी भेजा जाता है. निगम का अपना परीक्षण केंद्र दिल्ली, भोपाल, पुणे, सिकंदराबाद व कोलकाता में है. दोनों जगहों पर इसकी गुणवत्ता परखने के बाद ही बीज की टैगिंग व सर्टिफिकेशन किया जाता है. इन सारी प्रक्रियाओं में आंतरिक गुणवत्ता के साथ-साथ पूरी पारदर्शिता बरती जाती है, ताकि किसान बीज खरीदते समय पूरी तरह संतुष्ट हो सके. कुछ बीज की गुणवत्ता वायुमंडल पर भी निर्भर करती है. तापमान और जलवायु को ध्यान में रखते हुए कुछ बीजों का उत्पादन आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, और यूपी में भी कराया जाता है.
उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश की जलवायु दलहन के लिए उत्तम मानी जाती है इसलिए इन बीजों का उत्पादन इन्हीं प्रदेशों में किया जाता है. जहां तक किसानों को आर्थिक मदद की बात है, किसानों को निगम उनकी फसलों का बाजार मूल्य या सर्मथन मूल्य से 20 प्रतिशत अधिक मूल्य देता है. आवश्यकता पड़ने पर उन्हें अग्रिम भुगतान भी किया जाता है. किसानों को उनकी फसल की कीमत सीधे बैंक में आरटीजीएस के माध्यम से उनके खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है.
इस वर्ष निगम ने बिहार में कितने बीज का उत्पादन तथा कारोबार किया. आगे निगम की क्या योजना है?
एनएससी खरीफ 2013 के दौरान बिहार व झारखंड के लिए विभित्र फसलों की प्रजातियां उपलब्ध करा रही है. संकर धान डीआरआरएच-दो व केआरएच-दो, धान की प्रजातियां स्वर्णा सब-1, सहभागी, स्वर्णा (एमटीयू-7029), राजेंद्र मंसूरी, राजेंद्र श्वेता, एमटीयू-1001, एमटीयू-1010, सरजू-52, पंत धान-10 व 12, बीपीटी-5204, अभिषेक, जया, ललाट, आइआर-64, आइआर-36, उरद की टी-9 व शेखर प्रजाति, अरहर की उपास-120, लक्ष्मी, मालवीय व आशा प्रजाति, मूंग की एसएमएल-668, के-851 व पीडीएम-139, मक्का की प्रजातियां एचक्यूपीएम-1, महाराजा पीइएचएम-दो व पांच, पूसा कंपोजिट-तीन व चार इसके अतिरिक्त एनएससी द्वारा लगभग सभी सब्जियों की प्रजातियों के बीज भी उचित मूल्य पर किसानों को उपलब्ध कराने की योजना है. निगम का एकमात्र लक्ष्य है कि बीज के मामले में बिहार के किसान आत्मनिर्भर बनें. कल तक बीज के मामले में दूसरे राज्यों पर आश्रित रहने वाला बिहार अब आत्म निर्भर ही नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों को भी बीज उपलब्ध करा रहा है. अब यहां सभी प्रकार के उत्रत किस्म के बीजों का उत्पादन होने लगा है.
निगम द्वारा अबतक एक लाख क्विंटल से अधिक बीज का उत्पादन किया जा चुका है. वर्तमान में निगम के सहयोग से लगभग पांच हजार हेक्टेयर में बीज का उत्पादन किया जा रहा है. निगम ने वर्ष 2009-10 में 41.27 करोड़, वर्ष 2010-11 में 77.32 करोड़, 2011-12 में 121.79 करोड़ तथा 2012513 में 126.68 करोड़ का कारोबार किया, जो एक रिकार्ड है. बिहार में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए निगम द्वारा 50 हजार क्विंटल ढांचा तथा पांच हजार क्विंटल मूंग हरी चादर योजना के अंतर्गत राज्य सरकार को उपलब्ध कराया गया है.
बीज उत्पादन के साथ-साथ निगम सामाजिक दायित्वों का भी निर्वहन भलीभांति कर रहा है. सामाजिक दायित्व योजना के तहत महिलाओं, बाच्चों के लिए स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जाता है, जहां नि:शुल्क चिकित्सा की व्यवस्था की जाती है. इसी योजना के अंतर्गत बक्सर जेल में बिजली समस्या को ध्यान में रखते हुए कैदियों के बीच सोलर लालटेन व व्यायाम कीट उपलब्ध कराये गये हैं.