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नशाखोरी के खिलाफ औरतों की जंग

केसठ बक्सर से विनीत कुमार केसठ पंचायत को नशा मुक्त बनाने का अभियान यहां की महिलाओं ने शुरू किया है. इस अभियान में सभी वर्ग की महिलाएं शामिल हैं. पढे.-लिखे और जिम्मेदार पुरुष भी इस अभियान को बल दे रहे हैं. महिलाओं ने अपने अभियान को असरदार बनाने के लिए बाच्चों को भी इसमें शामिल […]

केसठ

बक्सर से विनीत कुमार

केसठ पंचायत को नशा मुक्त बनाने का अभियान यहां की महिलाओं ने शुरू किया है. इस अभियान में सभी वर्ग की महिलाएं शामिल हैं. पढे.-लिखे और जिम्मेदार पुरुष भी इस अभियान को बल दे रहे हैं. महिलाओं ने अपने अभियान को असरदार बनाने के लिए बाच्चों को भी इसमें शामिल किया है और बेटियों को आगे बढ़ाया है. उनका तर्क कि बेटियां अगर अपने पिता को शराब से दूर रहने की सलाह देती हैं, तो वह ज्यादा कारगर होगा. दूसरा कि अब ये बेटियां शादी के बाद दूसरे घर और गांव जायेंगी, तो वहां भी इस बुराई का विरोध कर सकेंगी. नशा के खिलाफ महिलाओं की इस एकजुटता का पुरुषों पर असर हो रहा है. महिलाओं ने अभियान में जुलूस और नारों को बड़ा हथियार बनाया है.

उनके नारों को पंचायत भर के लोग बुलंद कर रहे है, ‘ नशा का जो हुआ शिकार, उजड़ा उसका घर परिवार’. पहले इस पंचायत में शराब नहीं बिकती थी. लोग दूसरी जगह पर जा कर या वहां से ला कर शराब पीते थे, तो शराब पीने वालों की संख्या भी कम थी. अब जबकि पंचायत में ही सरकार ने शराब के ठेकेदार को बिठा दिया है, तो शराब पीने की मात्रा और पाने वालों की संख्या दोनों बढ. गयी है. सबसे ज्यादा चिंता युवाओं और बच्चों पर पड़ रहे कुप्रभाव को ले कर है.

पुतुल की कोशिशों से बदल रही ब्रांबे पंचायत

पंचायत

ब्रांबे, प्रखंड-मांडर, रांची

रांची जिले के मांडर प्रखंड की ब्रांबे पंचायत की भौगोलिक स्थिति कम ही पंचायतों को नसीब होती है. राजधानी रांची से लगभग 20-22 किमी की दूरी पर पलामू रोड (एनएच 75) पर स्थित इस पंचायत में झारखंड केंद्रीय विश्‍वविद्यालय का कैंपस भी संचालित हो रहा है. इस पंचायत में दो राजस्व गांव हैं : एक ब्रांबे व दूसरा चुंद. यहां कि मुखिया हैं पुतुल तिग्गा. पुतुल तिग्गा ने स्कूल-कॉलेज की ज्यादा शिक्षा तो नहीं पायी है, लेकिन अनुभव की शिक्षा ने इन्हें पंचायत के लिए बेहतर करने के लिए हमेशा प्रेरित किया. इनके पति हैं जयवंत तिग्गा.

वे स्थानीय लैंपस के अध्यक्ष भी हैं. इस पंचायत ने पेयजलापूर्ति सहित कई क्षेत्रों में बेहतर कार्य कर मिसाल बनायी है. इस गांव में एक सरकारी टंकी से जलापूर्ति की व्यवस्था है और ग्रामीणों ने खुद सहयोग राशि जमा कर एक पानी टंकी भी लगायी है. इससे पूरे गांव में पेयजल की आपूर्ति की जाती है. मजे कि बात यह कि सरकारी टंकी से जहां एक घंटे पानी की आपूर्ति हो पाती है, वहीं लोगों के निजी प्रयास से लगायी गयी टंकी से दो घंटे तक प्रतिदिन जलापूर्ति होती है. पानी का कनेक्शन लेने वाले प्रति परिवार से 62 रुपया महीना शुल्क भी लिया जाता है. नशाखेरी की बुरी लत के कारण गांव की एक बड़ी समस्या है लोगों की असमय मृत्यु. इस कारण यहां विधवा महिलाओं की संख्या अनुपातिक रूप से ज्यादा है. ऐसे में मुखिया व उनके प्रति इसके लिए जागरूकता अभियान चलाने की सोच रहे हैं. कुछ माह पूर्व लोगों को अखड़ा में बैठा कर इसके लिए शपथ भी दिलवाया गया था. ग्रामसभा ने 15 लड़कों का चयन गांव में लगने वाले हाट बाजार से टैक्स वसूली के लिए किया है, जो लड़के कल तक व्यर्थ समय गंवाया करते थे, आज वे गांव के लिए बेहतर काम कर रहे हैं.

इनमें से तीन लड़कों के नाम से एक संयुक्त बैंक खाता खुलवा दिया गया है, जहां टैक्स के पैसे जमा होते हैं. तीन महीना पहले शुरू हुए इस काम का उद्देश्य हैकि टैक्स वसूली से जो पैसे आयें, उससे स्थानीय युवाओं को रोजगार से जोड़ा जा सके. गांव में स्थित लैंपस न सिर्फ खाद-बीज का काम करता है, बल्कि बर्मी कंपोस्ट का उत्पादन व स्वयं सहायता समूह के संचालन को भी प्रोत्साहित करता है. लोगों की असमय मौत से दुखी मुखिया पुतुल तिग्गा बताती हैं कि यह बड़ा दुखद है, हमलोग लोगों की सोच बदलने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले साल उन्होंने 27 लोगों को कल्याणकारी पेंशन योजनाओं से जोड़ा. 10 महिलाओं को बकरी पालन से भी जोड़ा गया.

मां ने बेटे और पत्नी ने पति के खिलाफ उठाया कदम

शंकर सरैया उत्तरी पंचायत

मोतिहारी से अमरेश सिंह

पूर्वी चंपारण के तुरकौलिया प्रखंड के शंकर सरैया उत्तरी पंचायत के पिपरिया गांव की महिलाओं ने नशामुक्ति के लिए अनूठा कदम उठाया. माताओं ने बेटों और पत्नियों ने पतियों के खिलाफ मोरचा खोला. वे शराब पीने और बेचने वाले अपने ही बेटों-पतियों के खिलाफ गवाही देने ग्राम कचहरी पहुंच गयीं. 30 जून 2012 को उन्होंने सरपंच से मामले की लिखित शिकायत की. सरपंच को कहा, अवैध शराब की बिक्री और नशाखोरी को वह रोके, नहीं तो वे डीएम-एसपी के पास जायेंगी.

महिलाओं के तेवर के आगे सरपंच दीपक कुमार के पास एक ही रास्ता था, अवैध शराब बेचने और शराब पीने वालों को वे समझाएं. वे नहीं माने, तो अपनी न्यायिक शक्ति का इस्तेमाल करें. उन्होंने पहल भी की, लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ. एक पखवा.डे के बाद ग्राम कचहरी लगी. इसकी तारीख पहले से मुकर्रर थी. लिहाजा भीड़ भी ज्यादा थी. महिलाओं के लिए अच्छा मौका था. वे फिर ग्राम कचहरी में पहुंची और सरपंच से पूछा, शराब की अवैध बिक्री और नशाखोरी वह रोके या महिलाएं एसपी-डीएम के पास जायें? उधर अवैध शराब बेचने और शराब पीने वालों ने देखा कि उनके घर की औरतें, उनकी मां और पत्नियां ही उसके खिलाफ गवाही देने को तैयार हैं, तो उनके पास भी कोई रास्ता नहीं था. वे ग्राम कचहरी में पेश हुए और सरपंच के सामने कसम खायी, अब न तो अवैध रूप से शराब बेचेंगे, न पीयेंगे. महिलाओं ने कमेटी बनायी. यह कमेटी गांव में घूम-घूम पर इस बात को सुनिश्‍चित करती हैं कि इस कसम को कोई तो.डे नहीं.

आज एक साल हो गया. इस गांव के एक भी व्यक्ति ने इस कसम को तोड़ने की हिम्मत नहीं की है. पतासी देवी को खुशी है कि अब शराब के कारण गांव की कोई औरत उसकी तरह समय से पहले विधवा नहीं होगी. चिंता देवी की भी चिंता दूर हो चुकी है. उसके पति जितेंद्र राय ने शराब पी कर चार बार फांसी लगाने की कोशिश की थी. मंजू देवी सरस्वती देवी, शारदा देवी, राजकुमारी देवी सहित दर्जनों महिलाएं इस बात पर नजर रखती हैं कि कोई व्यक्ति शराब न पीए.

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